-गंभीर मानसिक बीमारी है सिजोफ्रेनिया, समय पर इलाज शुरू कर बीमारी पर पाया जा सकता है काबू

-आज है व‌र्ल्ड सिजोफ्रेनिया डे, एमजीएम हॉस्पिटल में चार सालों में आए सिजोफ्रेनिया के 1284 मरीज

abhijit.pandey@inext.co.in

JAMSHEDPUR: एक ऐसी बीमारी जिसमें मरीज को ऐसी आवाजें सुनाई देती हैं या ऐसी चीजें दिखाई देती हैं जो है ही नही, मरीज का किसी काम में कॉन्संट्रेट नही कर पाता, हर किसी को शक की नजर से देखता है, अपनी भावनाओं तक को सही तरीके से एक्सप्रेस नही कर पाता। ये बीमारी है सिजोफ्रेनिया। दुनियाभर में करीब 1 परसेंट लोग इस गंभीर मानसिक बीमारी से पीडि़त हैं। एक अनुमान के मुताबिक भारत में भी करीब 60 से 70 लाख लोग इस बीमारी से पीडि़त है। बात शहर की करें तो यहां भी इस बीमारी के कई मामले हैं। पिछले चार सालों में एमजीएम हॉस्पिटल में इलाज के लिए सिजोफ्रेनिया के 12 सौ से ज्यादा मरीज आए हैं। रविवार को व‌र्ल्ड सिजोफ्रेनिया डे है। क्या है यह बीमारी और क्या है इलाज, साइकियाट्रिस्ट्स से बात कर आई नेक्स्ट ने यह जानने की कोि1शश की।

चार साल में आए 1284 मरीज

अगस्त 2014 से लेकर अप्रैल 2015 तक एमजीएम हॉस्पिटल में सिजोफ्रेनिया के 1284 मरीज आए। हॉस्पिटल के मनोरोग विभाग के डॉ दीपक गिरि ने बताया कि इन मरीजों में 746 पुरुष और 538 महिलाएं हैं। उन्होंने बताया कि सिजोफ्रेनिया एक मानसिक बीमारी है जो जेनेटिक कारणों, केमिकल बैलेंस के बिगड़ने, नशा, स्ट्रेस जैसी वजहों से होता है। उन्होंने कहा कि इस बीमारी में मरीज को ऐसी चीजें दिखाई या सुनाई देती हैं जो हैं ही नहीं। इसके अलावा शक करना, बड़बड़ाना, डर लगना, उत्साह मे कमी, अपनी भावनाओं के सही तरीके से व्यक्त ना कर पाना जैसे भी लक्षण होते हैं। उन्होंने कहा कि यह बीमारी 15-45 एज ग्रुप के लोगों में होने की आशंका ज्यादा रहती है।

सही समय पर इलाज जरूरी

डॉ दीपक गिरी ने बताया कि अगर सही समय पर बीमारी की पहचान कर इसका इलाज शुरू कर दिया जाए तो इसे ठीक किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि प्रॉपर इलाज से सिजोफ्रेनिया के 30 से 40 परसेंट मरीज पूरी तरह ठीक हो जाते हैं वहीं 30 से 40 परसेंट मरीज की स्थिति मैनेजेबल हो जाती है। उन्होंने कहा कि दवाइयां, काउंसलिंग सहित अन्य तरीकों से बीमारी का इलाज किया जाता है,

ये हैं सिजोफ्रेनिया के लक्षण

मतिभ्रम (Hallucination) - इस बीमारी में मरीज ऐसी आवाजें सुनते हैं या ऐसी चीजें देखते हैं जो हैं ही नहीं।

विभ्रम (Delusion) - अजीबोगरीब और असलियत से दूर विचार आते हैं।

-सिजोफ्रेनिया से पीडि़त व्यक्ति को लगता है कि सब लोग उनकी सोच पढ़ सकते हैं और उनके खिलाफ साजिश रच रहे हैं।

-मरीज का अपने कार्य, पढ़ाई, फैमिली, फ्रेंड्स में इंटरेस्ट खत्म हो जाता है। वह कॉन्संट्रेट नहीं कर पाता।

-अक्सर बिना किसी मकसद के घूमना, अपने विचारों में खोए रहना, उत्साह की कमी, पूरा वाक्य बोलने या बातचीत करने में दिक्कत आना।

-मरीज को अपनी पर्सनल हाइजिन की फिक्र नहीं रहती। मरीज को नहाने में या खुद को स्वच्छ रखने में रुचि नहीं रहती

-मरीज अपनी भावनाओं को सही तरीके से व्यक्त नहीं कर पाता।

े हैं सिजोफ्रेनिया के रिस्क फैक्टर

जेनेटिक- यदि किसी परिवार में सिजोफ्रेनिया का इतिहास रहा हो तो आगे भी परिवार के किसी सदस्य में इस बीमारी के होने की आशंका रहती है।

-दिमाग में बायो-केमिकल इरेग्यूलैरिटी।

- लो बर्थ वेट, जन्म के समय ऑक्सीजन की कमी जैसे जन्म से पहले या जन्म के दौरान किसी तरह की कॉम्प्लीकेशन होने पर इस बीमारी के होने के चांसेज रहते हैं।

-स्ट्रेस।

-ड्रग एब्यूज।

क्या है इलाज

दवाइयां- सिजोफ्रेनिया के इलाज के लिए मरीज को एंटीसाइकोटिक दवाइयां दी जाती हैं। ये दवाइयां 7 से क्ब् दिन में साइकोसिस के लक्षण को कम कर सकती हैं।

-इलेक्ट्रोकन्वल्सिव थेरेपी।

-साइकोसोशल ट्रीटमेंट।

-साइकोसोशल रिहैबिलिटेशन।

अगस्त ख्0क्क् से लेकर अप्रैल ख्0क्भ् तक एमजीएम हॉस्पिटल में इलाज के लिए आए सिजोफ्रेनिया के मरीजों की संख्या

कुल मरीज क्ख्8ब्

पुरुष 7ब्म्

महिला भ्फ्8

एज ग्रुपवाइज मरीजों की संख्या

क्9 वर्ष तक - क्ब्ख्

ख्0-फ्भ् वर्ष - म्भ्भ्

फ्म्-म्भ् वर्ष - ब्म्म्

म्भ् से अधिक - ख्क्

सिजोफ्रेनिया एक गंभीर मानसिक बीमारी है। अगस्त ख्0क्ब् से अप्रैल ख्0क्भ् तक एमजीएम हॉस्पिटल में सिजोफ्रेनिया के क्ख्8ब् मरीज आए हैं। इस बीमारी के प्रति लोगों में अवेयरनेस का होना जरूरी है। सही समय पर बीमारी की पहचान कर इलाज शुरू कर दिया जाए, तो इसे ठीक किया जा सकता है।

-डॉ दीपक गिरि, साइकेट्रिस्ट, एमजीएम हॉस्पिटल