JAMSHEDPUR : साकची स्थित ग्रेजुएट कॉलेज में गुरुवार को ¨हदी डिपाटमेंट की ओर से अनुसंधान-दशा एवं दिशाएं विषय पर सेमिनार का आयोजन किया गया। इसका उद्घाटन कॉलेज की प्रिंसिपल डॉ। ऊषा शुक्ला व अन्य अतिथियों ने दीप प्रज्जवलित कर किया। सेमिनार में विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित कोल्हान विश्वविद्यालय सिलेबस कमिटी के सदस्य सह को-ऑपरेटिव कॉलेज के ¨हदी डिपाटमेंट के प्रोफेसर डॉ। जेपी सिंह ने कहा कि शोध एवं अनुसंधान में तटस्था आवश्यक है। नई तकनीक से भी ¨हदी में शोध की दिशा व दशा दोनों तय होगी और यह रोचक बन पड़ेगा।

इन्होंने भी व्यक्त किए विचार

सेमिनार में संस्कृत डिपाटमेंट की एचओडी डॉ। रागिनी भूषण, मनोविज्ञान की डिपाटमेंट की एचओडी डॉ। शशिरुपा श्रीवास्तव, ग्रेजुएट कॉलेज की ¨हदी डिपाटमेंट की एचओडी डॉ। मुकुल खंडेलवाल ने भी अपने विचार रखे। मौके पर डॉ। सविता मिश्रा, डॉ। अर्चना सिंह, प्रोफेसर संगीता बिरुआ, डॉ। अनामिका कुमारी, भारती सिन्हा, निखत परवीन, प्रोफेसर अर्चना गुप्ता, प्रो। भारती कुमारी सहित ¨हदी की स्टूडेंट्स उपस्थित थी।

रिसर्च करने में बुद्धि का करें इस्तेमाल

उन्होंने कहा कि अनुसंधान दो तरह के होते हैं एक उद्येश्यहीन व दूसरा व्यवस्थित। उद्येश्यविहीन अनुसंधान में विज्ञान में कई आविष्कार हुए है। लेकिन व्यवस्थित अनुसंधान में जरुरी है बुद्धि की परिपक्वता। उन्होंने परीक्षा पद्धति की एकरुपता, शोध में गोपनीयता, शोध समीक्षा या समीक्षा शोध, शोध का अधिकारी कौन हो जैसे विषयों पर अपने विचार रखे तथा स्टूडेंट्स से भी विचार जानें। डॉ। जेपी सिंह ने कहा कि एक से अधिक विषयों पर भी शोध हो सकता है लेकिन उसका दृष्टिकोण एक नहीं हो सकता।