-जेबी तुबिद ने ग्रेजुएट कॉलेज की स्टूडेंट्स को लीडरशिप क्वालिटी डेवलप करने के टिप्स दिए

-एक्सपीरिएंस शेयर किया और ग‌र्ल्स को कॉम्पटीटीव एग्जाम्स में सक्सेस होने के टिप्स बताए

JAMSHEDPUR: जिंदगी के उस चौराहे से हर कोई गुजरता है जहां कुछ समझ नहीं आता। सही रास्ता बताने वाला कोई नहीं होता। क्या करें, क्या न करें वाली स्थिति उत्पन्न हो जाती है। पर यही समय होता है जब खुद को साबित किया जाए। ऐसे समय में परख होती है डिसीजन लेने की क्षमता की। जो सही समय पर सही डिसीजन ले और उसपर डिटरमाइंड रहे, जो टीम को साथ लेकर की क्षमता हो। वही सही मायने में लीडर होता है। यह कहना था एक्स सीनियर आईएएस ऑफिसर और स्टेट के एक्स होम सेक्रेटरी जेबी तुबिद का। वे बुधवार को साकची स्थित ग्रेजुएट कॉलेज में 'यूथ में लीडरशिप क्वालिटी कैसे डेवलप हो' सब्जेक्ट पर ऑर्गनाइज हुए सेमिनार में मुख्य वक्ता के रूप में बोल रहे थे।

ग‌र्ल्स कॉलेज इसलिए चुना

जेबी तुबिद ने कहा कि उन्होंने सोच रखा था कि जमशेदपुर में पहली बार यूथ से इंट्रैक्ट करने का मौका मिलेगा तो उनकी फ‌र्स्ट प्रायोरिटी ग‌र्ल्स कॉलेज होगी। उन्होंने अपनी जिंदगी के एक्सपीरिएंस को शेयर करते हुए कि उनके यहां तक पहुंचने में उनकी मां का सबसे बड़ा योगदान है। अपनी बहन के बारे में बताया कि वे पटना में फेमस डॉक्टर हैं। उनका कहना था कि उनके समय में ज्यादा न्यूज पेपर्स नहीं थे। मां से सौ रुपए लेकर ट्रांजिस्टर खरीदा था और तकिए के नीचे उसको रखते थे। डेली सुबह बीबीसी सुनते थे। उनका कहना था कि ग‌र्ल्स का एजुकेटेड होना बहुत जरूरी है, तभी समाज का विकास होगा। उन्होंने पॉलिटिक्स ज्वॉइन करने के बारे में बताया कि शुरू से ही उनका समाज सेवा के प्रति झुकाव रहा है। उन्होंने कहा कि लोगों के बीच उनके पास कहने को इतना जरूर रहता है कि चार साल का जॉब छोड़कर वे उनकी सेवा करने अाए हैं।

कठिन परिस्थितियां बहुत कुछ िसखाती हैं

जेबी तुबिद ने कहा कि कठिन परिस्थितियों से घबराना नहीं चाहिए। इन्हीं परिस्थितियों में बहुत कुछ सीखने को मिलता है। उन्होंने अपना एक्सपीरिएंस शेयर करते हुए कहा कि आईएएस में सेलेक्शन के बाद पहली पोस्टिंग एसडीओ के पोस्ट पर बिहार में हुई थी। वहां उन्हें सीनियर्स का सपोर्ट नहीं मिला। उन्हें एक चौकी दी गई थी सोने के लिए। छत से पानी टपकता था। काफी पानी जमा हो जाता था, जिसमें मेढक और सांप तैरते थे, लेकिन वे इन परिस्थितियों से घबराए नहीं बल्कि यह समझ आया कि गरीब लोग कैसे जिंदगी जीते हैं। उनका कहना था कि शुरुआती दौर में विपरीत परिस्थितियों में रहने का अनुभव ने ही उन्हें मजबूत बनाया जिस वजह से अब वे किसी भी परिस्थिति में खुद को एडजस्ट कर लेते हैं।

तभी बदलेगा समाज

मौके पर कॉलेज की प्रिंसिपल डॉ उषा शुक्ला ने गेस्ट का वेलकम करते हुए कहा कि आईएएस की नौकरी और वह भी टॉप पर रहते हुए रिजाइन कर पॉलिटिक्स ज्वॉइन कर जेबी तुबिद ने एक एग्जामपल पेश किया है। उन्होंने कहा कि पॉलिटिक्स में अच्छे लोग आएंगे तभी उसमें सुधार की गुंजाइश बनेगी। पॉलिटिकल साइंस डिपार्टमेंट की डॉ वीणा प्रियदर्शी ने प्रोग्राम का संचालन किया।