-हेल्थ सेंटर्स में मलेरिया के दवाओं की है कमी, कई सेंटर्स में नही हैं दवाएं

JAMSHEDPUR: ईस्ट सिंहभूम डिस्ट्रिक्ट की गिनती मलेरिया प्रोन जोन में की जाती है। हेल्थ डिपार्टमेंट ने कुछ क्षेत्रों में मलेरिया के तेजी से बढ़ते प्रकोप को देखते हुए उसे मलेरिया जोन घोषित किया है। पर हेल्थ डिपार्टमेंट द्वारा मलेरिया कंट्रोल की कोशिशें नाकाफी दिखाई दे रही हैं। कई ऐसे सब सेंटर और कम्यूनिटी हेल्थ सेंटर्स में की दवा नहीं है। इतना ही नहीं, कर्मचारियों की भी काफी कमी है। दवाओं और मैनपावर की ये कमी मलेरिया के खतरे को और भी बढ़ा रही है।

तीन महीने से नही है दवा!

हेल्थ डिपार्टमेंट ने पटमदा, मुसाबनी, डुमरिया, बहरागोड़ा, घाटशिला, जादुगोड़ा सहित अन्य क्षेत्रों को मलेरिया प्रोन जोन घोषित किया गया है। पर हैरानी की बात है की मलेरिया से बचाव के लिए डिस्ट्रिक्ट्स में स्थिति हेल्थ सेंटर्स में पर्याप्त दवाएं तक उपलब्ध नही है। जिले के एक सब सेंटर पर तैनात डॉक्टर ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि उनके यहां करीब तीन महीने से मलेरिया की दवा नहीं है। इसे लेकर डिपार्टमेंट को कई बार पत्र लिखा गया। जिसे देखते हुए हेल्थ डिपार्टमेंट ने दवा उपलब्ध कराने के संदर्भ में एक बैठक भी बुलाई थी, लेकिन कोई रास्ता नहीं निकल सका।

सब सेंटर्स में दवाअों की कमी

जिले में कुल ख्ब्ब् सब सेंटर है। इसमें 8म् मलेरिया जोन क्षेत्र में पड़ता है। यहां पर भी दवाएं की भारी किल्लत है। मानगो, घाटशिला, मुसाबनी, जादुगोड़ा, पोटका स्थित सब सेंटर में दवा नहीं है। साथ ही मरीजों की पहचान करने के लिए कर्मचारी भी नहीं है। किसी तरह सहिया और एएनएम के माध्यम से कार्य चलाया जा रहा है।

ठप पड़ा मलेरिया कंट्रोल प्रोग्राम

मलेरिया से बचने के लिए डिपार्टमेंट की ओर से कई कार्यक्रम संचालित किया जाता है। लेकिन सुविधा का लाभ लोगों तक नहीं पहुंच पा रहा है। इसका मुख्य कारण कर्मचारियों की कमी और फंड का अभाव बताया जा रहा है। अक्टूबर माह से एमपीडब्लू (मल्टी पर्पस वर्कर्स) कर्मचारियों को हटने के बाद से मलेरिया जोन क्षेत्रों में भी अभियान पूरी तरह से ठप पड़ गया है। नेशनल वेक्टर बॉर्न डिजीज कंट्रोल प्रोग्राम के तहत जिले में कुल 9भ् एमपीडब्लू बहाल हुए थे। इनका उद्देश्य मलेरिया से निपटने के लिए तरह-तरह के कार्यक्रम संचालित करना और मरीजों को बेहतर उपचार उपलब्ध कराना था। इसके लिए वह घर-घर जाकर सर्वे के माध्यम से मरीजों की पहचान करते थे। जिले में कुल ख्फ्ब्भ् सहिया व करीब क्ख्00 एएनएम कर्मचारी है।

कुछ सेंटर्स पर मलेरिया की दवा नहीं होने की सूचना मिली है। सभी सेंटर्स की सुची मंगाई गई है। जल्द ही इन सेंटर्स पर दवाएं उपलब्ध करा दिए जाएंगे। ताकि मरीजों को परेशानी का सामना नहीं करना पड़े।

डॉ। बीबी टोपनो, जिला मलेरिया पदाधिकारी