JAMSHEDPUR: टाटा मेन हॉस्पिटल (टीएमएच) में 3-बी वार्ड के बेड नंबर 49 में भर्ती रीतिका महापात्रा की रीढ़ की हड्डी में फंसी टूटी सुई निकालने पर टीएमएच के डाक्टरों की टीम का मंथन चल रहा है। पीडि़ता को इस मुश्किल से कैसे निजात दिलाई जाए इसे लेकर डाक्टरों की एक टीम लगी हुई है। टीएमएच प्रबंधन चाहता है कि मरीज को अस्पताल से ही फायदा हो जाए। टीएमएच के डाक्टरों ने मंगलवार को रीतिका का एक्सरे और थ्रीडी सीटी स्कैन किया है। अब इस जांच की रिपोर्ट पर ही भविष्य का इलाज निर्भर है। डाक्टरों का कहना है कि अगर सुई मांस में होगी तो ऑपरेशन कर उसे निकाल दिया जाएगा। लेकिन, अगर सूई रीढ़ की हड्डी में होगी तो उसे निकालना मुश्किल काम है। परिजनों की क्रिश्चियन मेडिकल कॉलेज (सीएमसी) वेल्लोर रेफर करने की मांग पर टीएमएच प्रबंधन ने फिलहाल कोई फैसला नहीं किया है।

सोनारी गणेश पूजा मैदान निवासी कोवित्र महापात्रा की 14 वर्षीय बेटी रीतिका महापात्रा को बुखार आ रहा था। कोवित्र ने कई दिनों तक टीएमएच की डिस्पेंसरी में इलाज कराया लेकिन, फायदा नहीं हुआ। इसके बाद बाहरी डाक्टरों का भी इलाज हुआ और अल्ट्रासाउंड कराया गया। अल्ट्रासाउंड के बाद डाक्टरों ने लीवर में इंफेक्शन की बात कही। खून की कमी भी बताई। रीतिका की मां झरना महापात्र ने बताया कि बुखार ठीक नहीं हुआ तो बेटी को फिर टीएमएच की डिस्पेंसरी में दिखाया गया। 25 मई को डिस्पेंसरी की तरफ से टीएमएच में भर्ती कराया गया। यहां पैथोलॉजी की डाक्टर फराह राना ने टेस्ट के लिए बोन मैरो निकाला गया और लापरवाही से सुई कमर के पास रीढ़ की हड्डी में टूट गई। तब से रीतिका दर्द से तड़प रही है। अब रीतिका को आर्थो के एचओडी डा। एस रावत की देखरेख में रखा गया है। रीतिका के पिता कोवित्र महापात्रा के कहने पर भी मरीज को सीएमसी वेल्लोर नहीं रेफर किया जा रहा है। डाक्टरों का कहना है कि हड्डी में सुई टूटने से कोई नुकसान नहीं है। लेकिन, रीतिका का कहना है कि इससे तकलीफ हो रही है। वो लेट नहीं पा रही है तो भाग-दौड़ कैसे करेगी। रीतिका के चाचा प्रणव कुमार महापात्रा का कहना है कि अगर यहां सूई नहीं निकाली गई तो वो मरीज को सीएमसी वेल्लोर ले जाकर इलाज कराएंगे।

एक करवट ही लेट सकती है रीतिका

रीतिका ने बताया कि रीढ़ की हड्डी में सुई टूटने से काफी दिक्कत हो रही है। उसे दर्द है। काफी तकलीफ है। वो करवट नहीं ले पा रही है। एक ही करवट लेटे-लेटे दर्द बढ़ जाता है। उसने डाक्टरों से अपील की कि मानवता के नाते कुछ करें ताकि उसे इस मुसीबत से निजात मिल सके।

हुआ अस्थि मज्जा का टेस्ट

रीतिका के इलाज में लगे मेडिसिन के एक डाक्टर ने बताया कि बुखार नहीं उतरने पर डाक्टरों को कैंसर का शक हुआ। कैंसर की आशंका में ही रीढ़ की हड्डी से अस्थि मज्जा निकाला गया और इसे टेस्ट के लिए भेजा गया। अभी टेस्ट रिपोर्ट नहीं आने से ये कहना मुश्किल है कि मरीज को ये बीमारी है या नहीं।

मरीज टीएमएच के वरिष्ठ डाक्टरों की देखरेख में है। डाक्टरों की टीम मरीज की पूरी देखभाल कर रही है। परिजनों को पूरी जानकारी दी जा रही है। जल्द ही मरीज को ठीक किया जाएगा।

- अमरेश सिन्हा, प्रवक्ता, टाटा स्टील