छ्वन्रूस्॥श्वष्ठक्कक्त्र: कोविड-19 के कारण टाटा स्टील की ओर से 15 से 19 नवंबर के बीच होने वाले संवाद समारोह का सातवां संस्करण इस साल डिजिटल प्लेटफार्म में होगा। इस वर्ष का थीम है सामाजिक बदलाव के लिए साथ आएं। टाटा स्टील प्रबंधन ने इसके लिए तैयारी शुरू कर दी है।

टाटा स्टील पिछले छह वर्षो से झारखंड राज्य के स्थापना दिवस पर संवाद समारोह का आयोजन करती है। छह वर्षो में अब तक 18 देश और 27 राज्यों से 117 जनजातियों के 30 हजार से ज्यादा कलाकार, शिक्षाविद और पद्मश्री व पद्म भूषण से अंलकृत विभूतियां लौहनगरी आ चुके हैं।

तैयार किया जाता है अखाड़ा

समारोह के दौरान बिष्टुपुर स्थित गोपाल मैदान में विशाल मंच (अखाड़ा) तैयार किया जाता है जिसमें विभिन्न जनजातियों से आए कलाकार अपने कला, संस्कृति सहित नृत्य से शहरवासियों को न सिर्फ झूमाते हैं ब्लकि अपनी संस्कृति से देश भर से आए कलाकारों को पहचान कराते हैं। इसके अलावे संवाद सभी को एक मंच भी देता है जिसमें उन्हें अपनी कला को देश भर में प्रचारित करने, अपनी समस्याओं को सभी के समक्ष रखने के अलावे अपने यहां के अनोखे व्यंजन, औषधीय तकनीक को साझा करने में मदद मिलती है। साथ ही विभिन्न जनजातियों के लोककला, हस्तकला, वाद्य यंत्र और आदिवासी व्यंजनों को भी देखने व चखने का मौका शहरवासियों को मिलता है। अब तक इस संवाद समारोह में आस्ट्रेलिया, श्रीलंका, साउथ अफ्रीका, नाइजीरिया, इंडोनेशिया सहित विभिन्न देशों के अंतराष्ट्रीय जनजातीय कलाकार शहर आ चुके हैं।

कार्यक्रम होगा यादगार

टाटा स्टील के सीएसआर चीफ सौरभ रॉय ने बताया कि कोरोना वायरस को देखते हुए भले ही इस वर्ष संवाद का कार्यक्रम डिजिटल प्लेटफार्म पर होगा लेकिन संवाद की पूरी टीम की ओर से शहरवासियों को हम भरोसा दिलाते हैं कि उन्हें संवाद 2020 को यादगार बनाएंगे। संवाद के दौरान पूरे पांच दिन आदिवासी पुरुष व महिलाओं के बीच विभिन्न विषयों पर विचारों का भी आदान-प्रदन होगा। इसके अलावे यू-ट्यूब चैनल पर आदिवासी फिल्मों की स्क्री¨नग भी होगी। साथ ही कला के प्रति उत्साही लोगों को उरांव, सोहराई, सौरा, गोंड, वारली, राजवार, भितिचित्रा जैसी कलाओं के विभिन्न गुरूओं से मास्टर क्लास में शामिल होने का मौका मिलेगा। इसके अलावे हर दिन मणिपुर के गुरू रेवाबेन, नागालैंड के टेटसो सिस्टर्स, गैलो, सिद्वी, डंडामी, माडिया, भूमिज और अन्य सांस्कृतिक समूहों के कलाकारों द्वारा सांस्कृतिक प्रदर्शन भी होगा।

जोमेटो पर मिलेगा आदिवासी व्यंजन

सौरभ ने बताया कि संवाद के दौरान हम 10 राज्य के 16 जनजातियों के पारंपरिक व्यंजन का भी जश्न मनाएंगे। कोई जमशेदपुरवासी यदि चाहे तो हम जोमेटो के माध्यम से उस पारंपरिक व्यंजन को शहरवासियों तक पहुंचाने में भी मदद करेंगे।