जमशेदपुर (ब्यूरो): झारखंड में रहने वाले सबर जनजाति के लोगग अपने मौलिक अधिकार से वंचित हैं। वे मूलभूत सुविधाओं को भी तरस रहे हैं। सरकार और जिला प्रशासन द्वारा भी इस दिशा में ध्यान नहीं दिया जा रहा है। ऐसे में झारखंड मानवाधिकार संगठन के प्रमुख मनोज मिश्रा ने पूर्वी सिंहभूम स्थित बड़ाबांकी पंचायत अंतर्गत बड़ाबांकी ग्राम में सबर बस्ती का दौरा कर उनकी स्थिति को जाना।

कदम उठाने की मांग

मनोज मिश्रा गुरुवार को अपनी पांच सदस्यीय टीम के साथ बड़ाबांकी का दौरा करने पहुंचे। उन्होंने बताया कि मामले की जानकारी राष्ट्रीय मानवाधिकार सहित केंद्रीय जनजाति आयोग एवं जनजाति कल्याण मंत्रालय, मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन एवं झारखंड के राज्यपाल को ज्ञापन देकर पूरे मामले की जांच कर स्थिति में सुधार की दिशा में कदम उठाने की मांग की है।

एनीमिया के लक्षण

इस सबर गांव में ब'चों मे कुपोषण एवं महिलाओं मे एनीमिया के लक्षण दिखाई दे रहे हैं। पूछने पर दो ब'चों की माता संध्या रानी सबर ने बताया कि सरकार द्वारा प्राप्त चावल ही हमारा और हमारे ब'चों का तीनों समय का भोजन है। पौष्टिक भोजन किसे कहते है, इसकी जानकारी लोगों को नहीं है। लोग अपने ब'चों को दूध नहीं दे पाते। गांव में तीन ऐसी ब'िचयां भी मिलीं, जिनके माता-पिता नहीं है। रिश्तेदारों द्वारा इनका सहयोग किया जा रहा है।

पानी की समस्या

बड़ाबांकी के लोग पानी की समस्या से ग्रसित है, अधिकांश चापाकल एवं सोलर जल मीनार या तो खराब हो गए हैं या दबंगों ने उसपर कब्जा करके अपने घर में ले लिया है। दौरे के क्रम में सबर बस्ती में मिट्टी के घरों में बिजली तो पायी गई, लेकिन एक बल्ब घरों के बाहर लगा था, लेकिन घरों के अंदर काफी अंधेरा था। क्षेत्र में स्वास्थ्य एवं शिक्षा के क्षेत्र में सरकारी व्यवस्था उदासीन पायी गयी। इस दौरान मनोज मिश्रा के साथ सलावत महतो, ऋषि गुप्ता, अनिमा दास व शुभश्री दत्ता की मौजूदगी रही।