-संगीत नाटक अकादमी के पांच दिवसीय नृत्य उत्सव शुरू

- बिष्टुपुर स्थित जी टाउन मैदान में हो रहा आयोजन

JAMSHEDPUR: संगीत नाटक अकादमी के पांच दिवसीय नृत्य उत्सव 'देशज' का आगाज हो गया। बिष्टुपुर स्थित जी। टाउन मैदान में अकादमी के चौथे संस्करण का शुभारंभ बुधवार को अकादमी की सचिव हेलेन आचार्य व सिक्किम के कलाकार नरेन गुरुंग ने किया, तो इसके साथ ही फिजां में गूंजी उद्घोषक जैनेंद्र की आवाजें। शुरुआत हुई झारखंड के 'पाइका' नृत्य से, जिसे ईचागढ़ के गुलाब सिंह मुंडा व उनके साथियों ने प्रस्तुत किया। समर या शौर्य नृत्य, जो अपेक्षाकृत कम लोकप्रिय है, लेकिन कलाकारों ने तुरही, ढोल-नगाड़ों के साथ जो प्रदर्शन किया, उसने दर्शकों में भी जोश का संचार कर दिया।

'मारुनी' नृत्य प्रस्तुत किया

इसी क्रम में मंच पर आए सिक्किम के कलाकार, जिन्होंने गुरु नरेन गुरुंग के निर्देशन में नेपाली समाज का 'मारुनी' नृत्य प्रस्तुत किया, तो इसके बाद मादल की गूंज के साथ 'चंडी' नृत्य से शहरवासियों को रोमांच से भर दिया। फिर बारी थी, असम के बिहू की। असम कल्चरल अकादमी, गुवाहाटी के कलाकारों ने फसल कटने के बाद वैशाख मास में होने वाले 'रंगाली बिहू' से समां बांध दिया। उत्सव के पहले दिन जैसलमेर से आए मांगणियार लोकसंगीत संस्थान ने लांगा व मांगणियार नृत्य से लोगों का मनोरंजन किया, तो आंध्रप्रदेश से आए रवि कुमार चौदरापल्ली व साथी कलाकारों ने दक्षिण भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत से लोगों का दिल जीता। इसमें अजीत सिंह मनकी व साथियों ने झारखंड का एक और विरल 'सेंदरा' नृत्य पेश किया। अंत में रहलेस लिट्लि थिएटर कोलकाता के कलाकारों ने 'जंगल में मंगल' शीर्षक से समकालीन पुतुल नृत्य से भरपूर मनोरंजन किया। उत्सव का लुत्फ उठाने वालों में टाटा स्टील के चीफ सीएसआर बीरेन भुटा, दिगंबर हांसदा, रागिनी भूषण, अमिताभ घोष समेत कई कलाप्रेमी शामिल थे।

होने लगी बारिश

बिष्टुपुर के जी। टाउन मैदान में हो रहे नृत्य उत्सव के पहले दिन बारिश ने बीच-बीच में खलल डाला। दीप प्रज्जवलन के साथ ही रिमझिम फुहार होने लगी, तो रूक-रूक कर कभी धीमी तो कभी तेज बारिश होती रही। नतीजतन दो-तीन बार कार्यक्रम बीच में ही रोक देना पड़ा। इसके बावजूद भी दर्शक थे कि बारिश बंद होते ही कुर्सियों पर जम जाते थे। कलाकार भी बारिश थमते ही मंच पर थिरकने लगते थे।

आज के प्रोग्राम

संगीत नाटक अकादमी का 'देशज-ख्0क्म्' गुरुवार को भी जारी रहेगा। इसमें शाम चार बजे से कुशान गान (असम), धोबिया (उत्तर प्रदेश), बस्तर बैंड (छत्तीसगढ़), बच नगमा (कश्मीर), माच 'राजा भर्थरी' (उज्जैन), मयूरभंज छऊ व प। बंगाल के 'कर्ण' डांगेर पुतुल नृत्य प्रस्तुत किए जाएंगे।