-सिर्फ traffic checking अभियान के दौरान ही रहती है rules की फिक्र

--Checking खत्म होते ही start खत्म हुई rules की चिंता

-सिटी में नहीं होती regular checking

abhijit.pandey@inext.co.in

JAMSHEDPUR : ट्रैफिक रूल्स का वॉयलेशन सिटी के लिए कोई नई बात नहीं है। समय-समय पर अभियान चलाकर रूल तोड़ने वाले लोगों पर कार्रवाई भी की जाती है, लेकिन ऐसे अभियानों का कोई फायदा निकलता नहीं दिखाई दे रहा है। ट्रैफिक पुलिस द्वारा सिटी में चेकिंग अभियान चलाए अभी एक वीक भी नहीं गुजरा है कि स्थिति फिर जस की तस हो गई है। बात सिर्फ नियम तोड़ने वालों की नहीं, ट्रैफिक रूल्स लागू करने वाले भी आम दिनों में बेफिक्र रहते हैं।

फिर क्या है अभियान का मतलब

किसी भी ड्राइव का मकसद होता है की उसका कोई सार्थक रिजल्ट निकले। ट्रैफिक रूल्स के वॉयलेशन को लेकर समय-समय पर ट्रैफिक पुलिस द्वारा चलाए जाने वाले अभियान का मकसद भी होता है कि लोगों में रूल्स के प्रति अवेयरनेस पैदा हो। सिटी में भी समय-समय पर ट्रैफिक पुलिस द्वारा ऐसे अभियान चलाए जाते हैं। कुछ ही दिनों पहले लगातार अभियान चलाकर बड़ी संख्या में वॉयलेटर्स का चालान किया गया था। बिष्टुपुर गोलचक्कर के पास स्थित ट्रैफिक पोस्ट पर तैनात एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि दो दिनों की चेकिंग में एक दिन 26 हजार रुपए और एक दिन 21 हजार रुपए का फाइन वसूला गया, लेकिन कुछ वक्त के लिए की गई इस सख्ती के बाद हालात फिर से वही है। बात बगैर हेलमेट ड्राइविंग की हो या ट्रिपल लोडिंग, रैश ड्राइविंग और दूसरे ट्रैफिक रूल्स के वॉयलेशन की, हर चीज पहले की तरह शुरू हो गई है।

फिर क्यों हो rules की फिक्र

अगर जुबिली पार्क के पास चेकिंग हो रही हो, तो क्या फर्क पड़ता है। साकची जाने के लिए कोई दूसरा रूट पकड़ लेंगे, बिष्टुपुर थाना या रेडलाइट के पास चेकिंग हो फिर कोई खास फर्क नहीं। चेकिंग से बचने के लिए कोई ना कोई दूसरा रूट तो निकल ही आता है और कोई दूसरा रास्ता ना भी मिले तो क्या फर्क पड़ता है चेकिंग कोई रोज-रोज थोड़े ही चलने वाली है। कुछ ऐसी ही सोच की वजह से ट्रैफिक रूल्स के वॉयलेशन में अपनी शान समझने वाले लोगों पर ना तो किसी अभियान का फर्क पड़ता है और ना ही किसी रूल की परवाह होती है। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या किसी रूल को लागू करने के लिए सिर्फ अभियान चलाना भर काफी है?

नहीं होती regular checking

महीनें में दो-चार दिन चलने वाले चेकिंग अभियान से हो सकता है। कुछ लोग बच निकले, लेकिन रेग्यूलर चेकिंग की जाए फिर तो किसी का भी बच निकलना मुश्किल है। पर हैरानी की बात है की सिटी की ट्रैफिक पुलिस नियमों को सख्ती से लागू करने के लिए सिर्फ स्पेशल ड्राइव पर निर्भर है। आम दिनों में कोई व्यक्ति भले ही बगैर हेलमेट लगाए या एक्सेस स्पीड में गाड़ी चलाते हुए ट्रैफिक पोस्ट पर खड़े अधिकारी के सामने से भी गुजर जाए, तो उसे फाइन करना जरूरी नहीं समझा जाता।

रहता है order का इंतजार

हैरानी की बात है कि अधिकारों के बावजूद ट्रैफिक पुलिस के ऑफिसर्स अपनी ड्यूटी पूरी करने के लिए ऑर्डर्स का इंतजार करते हैं। ट्रैफिक डीएसपी आरएम सिन्हा के अनुसार असिस्टेंट सब इंस्पेक्टर या इससे ऊंची रैंक वाला कोई पुलिस ऑफिसर ट्रैफिक रूल्स के वॉयलेशन पर फाइन कलेक्ट कर सकता है। पर इस संबंध में हमने जब असिस्टेंट सब इंस्पेक्टर स्तर के अधिकारियों से बात की तो उनका जवाब था की वो सीनियर ऑफिसर्स से ट्रैफिक चेकिंग के लिए ऑर्डर मिलने पर ही चेकिंग कर सकते हैं। कुछ लोगों ने कहा कि वो सिर्फ ट्रैफिक सिग्नल क्रॉस करने वालों को पकड़ते हैं और इस दौरान कुछ और गड़बड़ी निकल जाए, तो फाइन लिया जाता है। पर आम दिनों में बगैर हेलमेट ड्राइविंग करने, ट्रिपल लोडिंग जैसे वॉयलेशन्स पर कोई सख्ती नहीं बरती जाती है।

क्यों नहीं चलता regular चलता है अभियान

समय-समय पर अभियान चलाए जाने के बावजूद ट्रैफिक रूल्स के वायलेशन के मामलों में कमी ना आने के संबंध में हमने जब ट्रैफिक डीएसपी आरएम सिन्हा से सवाल किया तो उन्होंने कहा कि ट्रैफिक डिपार्टमेंट द्वारा चलाए जाने वाले अभियान का मकसद रेवेन्यू कलेक्ट करना या लोगों में डर पैदा करना नहीं, बल्कि ट्रैफिक रूल्स के प्रति अवेयरनेस पैदा करना होता है। उन्होंने कहा कि कई तरह के प्रयासों के बावजूद लोगों में ट्रैफिक रूल्स के प्रति अवेयरनेस की काफी कमी है। रेग्यूलर अभियान ना चलाए जाने के सवाल पर उन्होंने कहा कि ट्रैफिक डिपार्टमेंट के पास स्टाफ की कमी है, ऐसे में चेकिंग के लिए कांस्टेबल और दूसरे अधिकारियों के लिए रेग्यूलर पोस्ट तोड़ने पड़ते हैं। पर इससे उन जगहों पर ट्रैफिक मैनेजमेंट में परेशानी होती है।

ट्रैफिक पुलिस द्वारा चलाए जाने वाले चेकिंग अभियान का मकसद लोगों में अवेयरनेस पैदा करना होता है। लोगों को समझना चाहिए की हेलमेट पहनना और दूसरे रूल्स उन्हीं की सेफ्टी के लिए बनाए गए हैं। मैन पावर की कमी की वजह से रेग्यूलर चेकिंग अभियान चलाने में दिक्कत होती है।

-आरएम सिन्हा, ट्रैफिक डीएसपी, जमशेदपुर