-बढ़ी गाडि़यों की संख्या, नहीं बढ़ी सड़कों की चौड़ाई
-अतिक्रमण और ट्रैफिक रूल्स फॉलो नहीं करना है इनकी वजह
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JAMSHEDPUR: जाम, जाम और जाम। सुबह घर से और शाम को आफिस से निकलते वक्त हर चेहरे पर जाम का खौफ। क्भ् मिनट की दूरी तय करने में घंटे भर का समय। इस पर दुर्घटनाओं का डर। हर आदमी हलकान, परेशान। कैसे मिले जाम से निजात? यह शहर का सबसे बड़ा सवाल है। ट्रैफिक जाम की समस्या से जमशेदपुर का हर सख्स परेशान है। किसी को पता नहीं कब, कहां और कैसे जाम लग जाए।
क्भ् लाख से अधिक गाडि़यां
शहर में पांच लाख से अधिक गाडि़यां हैं। इनमें फ्.भ्9 लाख बाइक, भ्ब्8फ्भ् प्राइवेट फोर व्हीलर, क्989ब् ऑटो, ख्0 हजार हेवी व्हीकल्स (इनमें दस पहिया ट्रक, ट्रेलर, डम्पर व हाइवा) शामिल हैं। इसके अलावा शहर में रोज चार हजार गाडि़यां बाहर से आती हैं।
सड़कें हो गई संकरी
शहर की सभी मुख्य सड़कें अतिक्रमण के कारण संकरी हो गई हैं। हर चौक-चौराहे पर अतिक्रमण है। इस वजह से अक्सर जाम तो लगता ही है, दुर्घटनाएं भी होती हैं, हालांकि समय-समय पर अतिक्रमण हटाने का प्रयास किया जाता है, लेकिन फिर हालत जस-की तस हो जाती है।
यहां है अतिक्रमण
-साकची गोलचक्कर
-बसंत सिनेमा चौक
-साकची शीतला मंदिर चौक
-रेलवे स्टेशन रोड पर राज होटल से ओवरब्रिज तक
-बिष्टुपुर मेनरोड
-मानगो डिमना रोड
-जुगसलाई रेल फाटक से बाटा चौक
-रोज करीब ब्000 गाडि़यां बाहर से शहर में आती हैं।
-हर महीने हेलमेट तथा ट्रैफिक नियमों के उल्लंघन के खिलाफ अभियान चलाकर करीब चार लाख रुपए फाइन वसूले जाते हैं।
-हर माह भ्000 छोटी-बड़ी गाडि़यों का निबधंन होता है।
-इस वर्ष सड़क दुर्घटना में करीब ख्00 मौतें हुई।
-ज्यादातर फ्0 से फ्भ् वर्ष तक के लोग होते हैं दुर्घटना के शिकार।
-टीनएजर्स को पसंद हैं तेज रफ्तार वाली गाडि़यां।
यहां होते हैं हादसे
-जुबिली पार्क गेट संख्या एक
-बर्मामाइंस ट्यूब गेट
-लिट्टी चौक, भुइंयाडीह
-साकची हाथी-घोड़ा मंदिर के पास
-बर्मामाइंस सुनसुनिया गेट
-गोविंदपुर टाटा पावर
-साकची बंगाल क्लब
-नीलडीह
-टेल्को मेन गेट
-बिष्टुपुर वोल्टास बिल्डिंग मोड़
-कदमा रंकिणी मंदिर
-जुगसलाई फाटक
-जेम्को मोड़
ये हैं जाम के मेन प्वाइंट
मानगो पुल
जुबिली पार्क चौक
साकची गोलचक्कर
बसंत सिनेमा के पास
रंग गेट से प्रदीप मिश्रा चौक
रेलवे ओवरब्रिज
सुनसुनिया चौक
रेलवे क्रासिंग जुगसलाई
बिष्टुपुर रीगल मैदान चौक
गोलमुरी
फिलहाल इस समस्या का कोई हल नहीं दिखाई देता। नो इंट्री टूटने पर जाम लगना स्वभाविक है। आबादी और गाडि़यां लगातार बढ़ रही हैं, लेकिन सड़कें उतनी ही हैं।
-सुनील महतो, आदित्यपुर
यदि सरकार सड़कों के विकास पर समुचित ध्यान दे तो हो सकता है साल-छह महीने में कोई कारगर उपाय हो जाए। लेकिन अभी तो हम इसे झेलने को मजबूर हैं।
-फनी महतो, घोड़ाबांधा
जितनी दूरी तय करने में मुश्किल से क्0 से क्भ् मिनट लगना चाहिए उसके लिए एक घंटा से अधिक का समय लग जाता है। नो इंट्री खुलने के बाद तो ये रास्ता काफी खतरनाक हो जाता है। डिमना से साकची जाने में डेढ़ घंटा से अधिक समय बर्बाद हो जाता है।
-ममीना नायक, मानगो
अभी तो जाम की परेशानी के बारे में क्या कहा जाए, बस इसे झेला जा सकता है। कई बार जानते हुए भी लोग गलती करते हैं। जाम का सबसे बड़ा कारण रांग साइड से गाड़ी चलाना, ओवर टेक करना और रूल्स फॉलो नहीं करना है।
-नेहा बनर्जी, सिदगोड़ा