छ्वन्रूस्॥श्वष्ठक्कक्त्र : बहारागोड़ा में करीब एक करोड़ 32 लाख की लागत से तैयार हुए ट्रामा सेंटर पर ताला लटक रहा है। इसे दुर्भाग्य ही कहेंगे कि इतनी राशि खर्च होने के बावजूद लोगों को इसका लाभ नहीं मिल पा रहा है। वर्षो से बनकर तैयार भवन की सही देखरेख नहीं होने के कारण इसके दरवाजे एवं खिड़कियों को दीमक चट कर रहे हैं। इस सेंटर का उद्देश्य सड़क दुर्घटना में घायल लोगों को तत्काल ट्रीटमेंट मुहैया कराया था ताकि अधिक से अधिक लोगों को बेहतर ट्रीटमेंट देकर उनकी जान बचाई जा सके। करोड़ों रुपए से बना प्रदेश का पहला ट्रॉमा सेंटर भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गया है। भवन का अबतक आधिकारिक रूप से उद्घाटन भी नहीं हुआ कि कई जगह की दीवारें दरकने लगी हैं। यही नहीं, कई स्थानों पर बारिश की पानी भी रिस रहा है।

चिकित्सक तैनात नहीं

ट्रॉमा सेंटर में अबतक न तो बिजली का कनेक्शन जुड़ पाया है और न ही डॉक्टर्स की तैनाती हो पाई है जबकि सेंटर को संचालित करने के लिए डॉक्टर्स की टीम के साथ-साथ व्यापक सुविधाओं का होना जरूरी है। ट्रामा सेंटर में सर्जन, ऑर्थोपेडिक सर्जन, एनेस्थेटिक डॉक्टर, तकनीशियन, नर्स व वार्ड ब्वाय की तैनाती 24 घंटे आवश्यक है।

पेशेंट किए जाते हैं रेफर

बहारागोड़ा के आस-पास के क्षेत्रों में हुई दुर्घटना में घायल लोगों को जमशेदपुर या फिर ओडिशा भेजा जाना मजबूरी है। डॉक्टर्स का कहना है कि दुर्घटना में लोगों को तत्काल ट्रीटमेंट की जरुरत होती है लेकिन उन्हें सही समय पर ट्रीटमेंट नहीं मिल पाने के कारण कई लोगों की जान तक चली जाती है।