-अल्ट्रासाउंड सेंटर्स के रेग्यूलर मॉनिटरिंग की तैयारी

-संचालकों का लिया जाएगा एग्जाम

JAMSHEDPUR: फीमेल फेटिसाइड पर लगाम लगाने के लिए विभिन्न राज्यों में अल्ट्रासाउंड सेंटर्स के ऑनलाइन मॉनिटरिंग से लेकर अन्य कई कदम उठाए जा रहे हैं, लेकिन जिले में स्थिति जस की तस बनी हुई है। मॉनिटरिंग तो दूर अल्ट्रासाउंड सेंटर के संचालकों को नियमों और विभाग के आदेशों की भी परवाह नहीं है। जिले के कई अल्ट्रासाउंड सेंटर हेल्थ डिपार्टमेंट के पास मंथली रिपोर्ट तक जमा नहीं कर रहे हैं। इसे देखते हुए डिस्ट्रिक्ट हेल्थ डिपार्टमेंट कड़े कदम उठाने की तैयारी में है।

तो रद्द हो जाएगा लाइसेंस

नियमों की धज्जियां उड़ाकर चलाए जा रहे अल्ट्रासाउंड सेंटर्स की मुश्किलें बढ़ने वाली हैं। जिन अल्ट्रासाउंड सेंटर्स के संचालकों के पास आवश्यक डिग्री और ट्रेनिंग नहीं है उनका लाइसेंस रद्द किए जाने की तैयारी है। सिविल सर्जन डॉ एसके झा ने बताया कि जिन अल्ट्रासाउंड सेंटर्स के संचालकों के पास ट्रेनिंग का सर्टिफिकेट है उनके लिए एक एग्जाम कंडक्ट किया जाएगा। एग्जाम में पास होने पर ही उन्हें अल्ट्रासाउंड सेंटर के संचालन की अनुमति दी जाएगी। उन्होंने कहा कि ये मौका सिर्फ एक ही बार दिया जाएगा इसलिए जरूरी है कि सभी अल्ट्रासाउंड सेंटर्स के संचालक जल्दी से जल्दी विभाग के पास सेंटर से जुड़ी जानकारी सबमिट करें।

होगी रेग्यूलर मॉनिटरिंग

सिविल सर्जन ने बताया कि अल्ट्रासाउंड सेंटर्स के रेग्यूलर मॉनिटरिंग के लिए भी तैयारी की जा रही है। उन्होंने कहा कि एसीएमओ को इसका नोडल ऑफिसर बनाया गया है। साथ ही उन्होंने क्लिनिकल इस्टैब्लिशमेंट एक्ट के तहत अल्ट्रासाउंड सेंटर्स का रजिस्ट्रेशन भी अनिवार्य किए जाने की बात कही।

रूल्स को दिखा रहे ठेंगा

जिले में क्ख्भ् अल्ट्रासाउंड सेंटर हैं। पीसीपीएनडीटी एक्ट के अनुसार सभी अल्ट्रासाउंड सेंटर्स को विभाग के पास हर महीने रिपोर्ट सबमिट करना है, लेकिन हेल्थ डिपार्टमेंट के कर्मचारियों ने बताया कि इनमें से कई अल्ट्रासाउंड सेंटर मंथली रिपोर्ट नहीं जमा कर रहे हैं। वहीं, कुछ महीने पहले हेल्थ डिपार्टमेंट द्वारा सभी अल्ट्रासाउंड सेंटर्स को निर्देश दिया गया था कि वे सेंटर से जुड़ी सभी जानकारी विभाग के पास सौंपे। इसमें अल्ट्रासाउंड सेंटर के लाइसेंस, वहां काम कर रहे कर्मचारियों की योग्यता जैसे डिटेल शामिल हैं, लेकिन सिविल सर्जन ने बताया कि अभी तक सभी अल्ट्रासाउंड सेंटर्स ने रिपोर्ट नहीं सबमिट ि1कया है।

जरूरी है प्रॉपर मॉनिटरिंग

घटता सेक्स रेशियो हेल्थ डिपार्टमेंट के सामने एक बड़ी चुनौती है। बात ईस्ट सिंहभूम की करें, तो बोकारो और धनबाद के बाद राज्य में सबसे कम चाइल्ड सेक्स रेशियो ईस्ट सिंहभूम में ही है। ख्0क्क् के सेंसस के अनुसार ईस्ट सिंहभूम में चाइल्ड सेक्स रेशियो 9ख्ख् है। घटते सेक्स रेशियो की एक बड़ी वजह फीमेल फेटिसाइड भी है। ऐसे में जरूरी है प्रॉपर मॉनिटरिंग के जैसे सेक्स सेलेक्शन करने वाले अल्ट्रासाउंड सेंटर्स पर लगाम लगाई जाए।

अल्ट्रासाउंड सेंटर्स की रेग्यूलर मॉनिटरिंग की जाएगी। एसीएमओ को इसके लिए नोडल ऑफिसर बनाया गया है। क्लिनिकल इस्टैब्लिशमेंट एक्ट के तहत भी अल्ट्रासाउंड सेंटर्स का रजिस्ट्रेशन किया जाना है।

-डॉ एसके झा, सिविल सर्जन, ईस्ट सिंहभूम