-एमजीएम मेडिकल कॉलेज में होगा वाइरल डाइग्नोस्टिक लेबोरेट्री का निर्माण

-केन्द्र सरकार की टीम ने एमजीएम कालेज में स्थान का चयन किया, मिलेगी सुविधा

JAMSHEDPUR: केन्द्र सरकार के पहल पर एमजीएम मेडिकल कॉलेज में वाइरल डाइग्नोस्टिक लेबोरेट्री का निर्माण पांच करोड़ की लागत से होगा। इस लेबोरेट्री का निर्माण छह माह के अन्दर कर लिया जायेगा। इसके निर्माण होने से शहर के लोगों को अब वायरल संबंधी जांच के लिए इंतजार नहीं करना पड़ेगा। वाइरल डाईग्नोस्टिक लेबोरेट्री के निर्माण के लिए एमजीएम मेडिकल कॉलेज में गुरुवार को भारत सरकार स्वास्थ्य मंत्रालय साइंटिफिक कंस्लटेन्ट के प्रोफेसर उमेशचन्द्र चतुर्वेदी व डॉ। डीके गडकरी पहुंचे। दो सदस्यीय टीम ने लेबोरेट्री बनाने के लिए स्थान का निरीक्षण किया और कॉलेज में एक स्थान वाइरस डाईग्नोस्टिक लेबोरेट्री के लिए चयन किया।

डाक्टरों के साथ बैठक

इससे पहले टीम द्वारा गुरुवार की सुबह क्क् बजे से क्ख् बजे तक कालेज परिसर में प्रिंसिपल डॉ। ए एन मिश्रा, डॉ। ए सी अखोरी , डॉ। निर्मल कुमार सहित कई सीनियर डाक्टरों के साथ बैठक की। इसके बाद टीम ने कॉलेज परिसर का निरीक्षण किया। इस दौरान कई स्थानों को देखा गया और अंत में तीसरे मंजिल में स्थित मेडिकल लाईब्रेरी को वाइरस डाईग्नोस्टिक लेबोरेट्री में तब्दील करने का डिसीजन लिया गया।

क्म्0 वाइरस डाइग्नोस्टिक लेबोरेट्री खुलेंगी

प्रोफेसर उमेशचन्द्र चतुर्वेदी ने बताया कि पूरे देश में क्म्0 वाइरस डाइग्नोस्टिक लेबोरेट्रीज खुलेंगी। इनमें क्ख्0 लेबोरेट्री सरकारी हॉस्पिटल्स में खोलने की योजना है। इन लेबोरेट्रियों में वायरल इन्फेक्शन की जांच कर ख्ब् घंटे में रिपोर्ट दे दी जायेगी। अगर कोई सेन्टर वायरल नहीं पकड़ पाते हैं तो राज्य स्तर के लैब से राय लिया जायेगा। फिर जांच रिपोर्ट को मुख्य सेन्टर चेन्नई भेजना अनिवार्य होगा।

केन्द्र सरकार पांच वर्षो तक करेगी खर्च

वाइरस डाईग्नोस्टिक लेबोरेट्री का पूरा खर्च पांच वर्षो तक केन्द्र सरकार वहन करेगी। शुरू में पांच वर्ष के लिए केन्द्र सरकार की ओर से लेबोरेट्री को पांच टेक्निशियन, किड्स एंड कैमिक्लस, इंस्टुमेन्ट दिया जायेगा। पांच वर्ष के बाद लाईब्रेरी का सारा खर्च राज्य सरकार वहन करेगी।

एंटीबाइटिक से मिलेगी राहत

प्रोफेसर डॉ। उमेशचन्द्र चतुर्वेदी ने बताया कि डाक्टर बिना जांच किये ही मरीज को एंटीबाइटिक लिख कर दे देते हैं। लेकिन अब डाईग्नोस्टिक लेबोरेट्री में जांच करने के बाद मरीज की बीमारी का पता लग जायेगा और डाक्टर एंटीबाइटिक लिखने से परहेज करेंगे। उन्होंने बताया कि वेक्टिरिया में एंटीबाइटिक दिया जाता है लेकिन वायरल में एंटीबाइटिक नहीं दिया जाता है।

कोल्हान में पनप रहे नये वायरस

स्वाइन फ्लू, जापानी इंसेफ्लाइटिस, चिकुनगुनिया, डेंगू सहित अन्य बीमारियों में प्रति वर्ष तेजी से इजाफा हो रहा है। इन वायरस की पहचान और जांच के लिए पहले सैंपल को दिल्ली स्थित एनसीडीसी और पुणे स्थित इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी में भेजा जाता है, जिससे जांच रिपोर्ट आने में करीब एक सप्ताह लगता है। कई बार क्षेत्रीय स्तर पर बीमारी की पहचान और वायरस की प्रजाति के जैविक कारणों का इसलिए भी नहीं पता चल पाता, क्योंकि लेबोरेट्री तक केवल वायरस से संक्रमित मरीज के ही सैंपल पहुंचते हैं। लेकिन अब एमजीएम मेडिकल कॉलेज में जांच के बाद ख्ब् घंटे में जांच रिपोर्ट मरीज को मिल जायेगी।

इन बीमारियों की होगी जांच व इनपर होगा रिसर्च

क्। सांस के जरिए शरीर में प्रवेश करने वाले वायरस जैसे इंफ्लूएंजा ए और बी, एडिनोवायरस, रायनोवायरस, पोलियो और कोरोनोवायरस।

ख्.आंतों के जरिए शरीर में प्रवेश करने वाले वायरस जैसे रोटा वायरस, कैलसी वायरस, नॉरवाल्क वायरस आदि।

फ्। मच्छर जनित बीमारियां जैसे डेंगू, चिकुनगुनिया, जापानी इंसेफ्लाइटिस, क्यासानूर वायरस आदि।

- ब्लड से होने वाला संक्रमण जैसे ईबोला, एचआईवी, हेपेटाइटिस बी, सी सहित अन्य।