Safe नहीं है city
नेशनल क्राइम रिकार्ड ब्यूरो (सीआरबी) एक साल में 26 रेप, किडनैपिंग और एब्डक्शन के 69 मामले, 14 डॉरी डेथ इसी तरह के दूसरे गंभीर मामलों को मिलाकर कुल 348 केसेज। ये है जमशेदपुर में महिलाओं की सेफ्टी का स्टेटस। जमशेदपुर न सिर्फ झारखंड, बल्कि कंट्री के इम्पॉर्टेंट सिटी में से एक है। करीब 14 लाख पॉपुलेशन वाली इस सिटी में 6 लाख से ज्यादा महिलाएं रहती हैं। पर सिटी में महिलाओं के अगेंस्ट होने वाले क्राइम पर नजर डालें तो इस 6 लाख की आबादी की सेफ्टी में पुलिस और एडमिनिस्ट्रेशन नाकाम नजर आ रही है। नेशनल क्राइम रिकार्ड ब्यूरो के आंकड़ों के मुताबिक 2010 से लेकर 2012 के दौरान सिटी में रेप की 60 घटनाएं हुईं। वहीं डॉरी डेथ के 39, किडनैपिंग और एब्डक्शन के 134, हसबेंड और उसके रिलेटिव्स द्वारा की जाने वाली क्रुएल्टी के 162 मामलों सहित कुल 689 मामले रिपोर्ट किए गए हैं।

साल दर साल बढ़ रहा crime
महिलाओं की सिक्योरिटी को लेकर आए दिन बड़ी-बड़ी बातें की जाती हैं, पर सिटी में इन बातों का कोई असर नहीं दिखाई देता। पिछले कुछ सालों के आंकड़ों पर नजर डालें तो सिटी में महिलाओं के अगेंस्ट होने वाले क्राइम में लगातार बढ़ोत्तरी हुई है। 2010 में सिटी में जहां महिलाओं के अगेंस्ट क्राइम के 142 मामले रिपोर्ट किए गए थे वो 2011 में बढक़र 199 हो गई। 2012 में ये संख्या 348 तक पहुंच गई। बात रेप के मामलों की करें, तो 2010 में सिटी में 16 रेप हुए थे। 2011 में ये संख्या 18 हो गई और 2012 में ये बढक़र 26 तक पहुंच गई। इस साल भी अप्रैल तक डिस्ट्रिक्ट में रेप की 26 घटनाएं हुई है। क्राइम का ये बढ़ता ग्र्राफ सिटी में महिलाओं की सुरक्षा पर सवालिया निशान खड़ा करता है।

Awareness की है कमी
महिलाओं के अगेंस्ट होने वाले क्राइम में इस इजाफे के लिए स्टेट वूमेन कमीशन की चेयरपर्सन डॉ हेमलता एस मोहन महिलाओं में अवेयरनेस की कमी को जिम्मेदार ठहरा रही हैं। उन्होंने बताया कि उनके पास ऐसी कई पीडि़त महिलाएं आती हैं जिनके साथ सालों पहले किसी तरह का क्राइम हुआ था पर डर, संकोच या अवेरनेस की कमी की वजह से उन्होंने एफआईआर दर्ज नहीं कराया। उन्होंने बताया कि जमशेदपुर में रिपोर्ट होने वाले ज्यादा क्राइम के लिए कहीं ना कहीं महिलाओं में अवेयरनेस का होना है। उन्होंने कहा कि स्टेट में लगभग हर जगह महिलाओं के खिलाफ होने वाला क्राइम का ग्राफ एक जैसा है, पर कई मामलों में क्राइम रिपोर्ट नहीं किए जाते है।

अपने ही हैं अपराधी
हेमलता एस मोहन ने बताया कि महिलाओं के खिलाफ होने वाले क्राइम के मैक्सिमम मामलों में उनके जान-पहचान के लोग शामिल होते हैं। उन्होंने कहा कि ट्रैफिकिंग का मामला हो या सेक्सुअल एब्यूज का ज्यादातर केसेज में रिलेटिव्स या जान पहचान के लोग शामिल होते हैं। उन्होंने बताया कि कई बार इस तरह के मामलों में लंबे समय तक एक्सप्लायट होने के बावजूद महिलाएं आवाज नहीं उठा पातीं।

'महिलाओं के खिलाफ होने वाले क्राइम की स्थिति हर जगह कमोबेश एक जैसी है। अवेयरनेस की कमी की वजह से कई मामले रिपोर्ट नहीं किए जाते। ज्यादातर मामलों में जान-पहचान के लोग ही महिलाओं को एक्सप्लायट करते हैं.'
-डॉ हेमलता एस मोहन, चेयरपर्सन, स्टेट वूमन कमीशन, झारखंड

Report by: abhijit.pandey@inext.co.in