रांची (ब्यूरो) । सितंबर 2018 में प्रधानमंत्री ने रांची से प्रधानमंत्री जन आरोग्य या आयुष्मान योजना की शुरुआत की थी। योजना की शुरुआत रांची से ही हुई थी तो रांची के लोगों ने इस योजना का सबसे अधिक लाभ भी उठाया। 18 सितंबर 2018 से लेकर अप्रैल 2023 तक रांची के 12 लाख राशन कार्ड होल्डर्स ने आयुष्मान कार्ड बनाए हैं। 4 सालों में रांची जिले के 67 हजार लोगों ने आयुष्मान कार्ड योजना का लाभ अलग-अलग बीमारियों का इलाज करवाने में उठाया है।

सदर अस्पताल में ज्यादा इलाज

रांची का सदर अस्पताल आयुष्मान कार्ड योजना के तहत इलाज करने में देश भर में रैंक हासिल कर चुका है। रांची के सदर अस्पताल में पिछले 4 सालों में 67 हजार मरीजों का इस कार्ड के तहत इलाज किया गया है। सदर अस्पताल के एक अधिकारी ने बताया कि इस योजना के तहत इलाज में करीब 18 करोड़ रुपए खर्च किए गए हैं। बता दें कि सदर अस्पताल में आयुष्मान कार्ड के लिए बेहतर इंफ्रास्ट्रक्चर अवेलेबल है।

20 लाख से ज्यादा राशन कार्ड होल्डर्स

रांची जिले में 20 लाख से अधिक राशन कार्ड होल्डर्स हैं। इनमें से 12 लाख से अधिक लोगों ने आयुष्मान कार्ड बनवा लिया है और भी लोग जो आयुष्मान कार्ड के एलिजिबल हैं वो अपना कार्ड बनवा सकते हैं। सदर अस्पताल के एक अधिकारी ने बताया कि जिन लोगों के पास सिर्फ राशन कार्ड है और उन्होंने आयुष्मान कार्ड नहीं बनवाया है, उनके लिए सदर अस्पताल में ही एक काउंटर भी बनाया गया है, जहां उनका आयुष्मान कार्ड तत्काल बनाया जाता है और उनका इलाज भी शुरू कर दिया जाता है। सिर्फ उनके पास राशन कार्ड होना चाहिए।

कुछ इलाज सिर्फ सरकारी अस्पतालों में

झारखंड सरकार ने एक बार फिर आयुष्मान भारत योजना की सूची से कई बीमारियों के इलाज को बाहर किया है। सरकारी अस्पतालों की तुलना में निजी अस्पतालों में अत्यधिक खर्च को देखते हुए सरकार ने यह निर्णय लिया है। झारखंड में आयुष्मान भारत योजना के तहत शामिल बीमारियों की सूची में से झारखंड सरकार के अनुसार मलेरिया, डायरिया के साथ बार-बार होने वाली उल्टी, डिसेंट्री, सामान्य डायरिया और हाइड्रोसील का इलाज अब सिर्फ सरकारी अस्पतालों में किया जाएगा। इससे पहले तेज बुखार, पीयूओ, एक्यूट गैस्ट्रोएन्टेराइटिस, यूटीआई और आंतों का फीवर, प्रसव को निजी अस्पतालों में इलाज की जगह सिर्फ सरकारी अस्पतालों में इलाज का आदेश था।

क्या होगा इसका नुकसान

जिन पांच बीमारियों को निजी अस्पतालों की जगह आयुष्मान भारत योजना के तहत सिर्फ सरकारी अस्पतालों के लिए किया गया है, उसका नुकसान यह होगा कि सरकारी अस्पतालों में जिला मुख्यालय छोड़ अन्य दूरस्थ जगहों पर सर्जन की कमी है तो संसाधनों का भी घोर अभाव है। ऐसे में मलेरिया, हाइड्रोसील जैसी बीमारियों के इलाज के लिए भी आयुष्मान के लाभुकों को उन सरकारी अस्पतालों पर निर्भरता होगी, जहां सभी तरह की सुविधाएं उपलब्ध हों।

निजी अस्पतालों में बेवजह रखते हैं मरीज

निजी और सरकारी अस्पतालों में इन उपर्युक्त बीमारियों के खर्च में अंतर देखकर स्वास्थ्य विभाग को यह लगता है कि राज्य में निजी अस्पतालों द्वारा अनावश्यक रूप से आयुष्मान भारत के रोगियों को अस्पतालों में रखा जाता है और इन बीमारियों से प्रभावित मरीजों को परेशान किया जा रहा है। इन बीमारियों से ग्रस्त बच्चों का इलाज आयुष्मान के तहत सरकारी के साथ-साथ निजी अस्पतालों में जारी रहेगा।

रांची के सदर अस्पताल में आयुष्मान कार्ड होल्डर का इलाज किया जाता है। यहां आयुष्मान कार्ड वालों के लिए बेहतर इंफ्रास्ट्रक्चर अवेलेबल है। आयुष्मान के लिए अलग काउंटर बनाया गया है, ताकि यहां इलाज कराने वाले लोगों को कोई परेशानी ना हो।

-विनोद कुमार गुप्ता, सिविल सर्जन, रांची