रांची (ब्यूरो) । रांची को राजधानी बने 22 साल से अधिक का समय बीत चुका है। लेकिन दुर्भाग्य की बात है आजतक यहां का लॉ एंड ऑर्डर नहीं सुधर पाया। लॉ एंड आर्डर सुधरने की बात तो दूर 22 सालों में सिटी के करीब 40 परसेंट पुलिस स्टेशन के पास अपना भवन तक नहीं है। किराये की बिल्डिंग में पुलिस स्टेशन चल रहे हैं। किराये में होने के कारण पुलिस स्टेशन का स्मार्ट होने के सपना भी फिलहाल अधर में ही लटका हुआ है। पुलिस थानों को हाईटेक बनाने की बात कई बार होती रहती है। कुछ पुलिस स्टेशन में थोड़े बहुत काम भी हुए हैं। वहीं, थाने खुद के भवन में थे उनका हुलिया तो बदल गया लेकिन जो किराये पर या जुगाड़ से चल रहे हैं आज भी वो फटेहाल ही हैं। सदर से लेकर बरियातू या फिर महिला थाना, सभी दूसरे की बिल्डिंग में चल रहे हैं। यहां तक की सीएम आवास के समीप स्थित गोंदा थाना भी दूसरे की बिल्डिंग में ही स्थित है। ऐसे में सवाल है कि पुलिस खुद को हाईटेक कैसे बनाएगी, जब उसके रहने का ही स्थायी ठिकाना नहीं है।
40 परसेंट थाने बिना भवन
पुलिस को आधुनिक और सुविधा संपन्न बनाने के लिए हर साल करोड़ों रुपए खर्च किए जा रहे हैं। बावजूद इसके राजधानी के कई ऐसे थाने हैं, जिन्हें सरकार खुद का भवन भी नहीं दिला पा रही है। राजधानी रांची में पुलिस स्टेशन और आउटरपोस्ट (ओपी) की कुल संख्या 55 है। लेकिन रांची के 20 ऐसे थाना और ओपी हैं, जिनका अपना भवन तक नहीं है। ये 20 थाने कई वर्षों से जुगाड़ के भवन में चल रहे हैं। कोई थाना सीमेंट फैक्ट्री के भवन में तो कोई रियाडा भवन और प्रखंड भवन में चल रहा है। राज्य गठन के बाद जिले में अरबों रुपए के सरकारी भवनों का निर्माण हुआ, लेकिन इनमें थानों के भवन का निर्माण कराना सरकार ने जरूरी नहीं समझा। पुलिस स्टेशन में आने वाले फरियादियों को ठीक से बैठने तक की जगह नसीब नहीं है।
टॉयलेट तक नसीब नहीं
राजधानी रांची में आज भी कई थाने पुराने और जर्जर भवनों में ही चल रहे हैं। ऐसे थानों में एक सदर थाना भी है जो कोकर में है। इस थाने के भवन को देखकर लगता है कि ना जाने यह कब गिर जाए। ड्यूटी पर तैनात एक पुलिस अधिकारी ने कहा कि बारिश का पानी थाने की छतों से टपकते रहता है। सरकारी संपत्ति और दस्तावेजों को किसी तरह से प्लास्टिक से ढककर बचाया जा रहा है। यही हाल हिंदपीढ़ी थाना का भी है। यह भी किराये के भवन में चल रहा है। लेकिन यहां पुलिस अधिकारी का कहना है कि जिनकी जमीन है, उन्होंने थाने को सौंप दी है। लेकिन सुस्त सरकारी चाल के कारण थाने का भवन दुरुस्त नहीं हो पा रहा है। किराये के मकान में चलने वाले कुछ थानों की हालत जर्जर हो चुकी है। भवन की दीवारों में जगह-जगह दरारें पड़ गई हैं। कुछ पुलिस स्टेशन में टॉयलेट का भी समुचित इंतजाम नहीं है। बरियातू थाना और गोंदा थाना में ढंग का टॉयलेट भी नहीं है।
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गोंदा थाना
यह पुलिस स्टेशन सबसे वीआईपी रोड और सीएम आवास के सामने ही स्थित है। यहां ग्राउंड फ्लोर पर गोंदा थाना और सेकेंड फ्लोर पर सदर डीएसपी का ऑफिस है। लेकिन इस थाने का अपना भवन नहीं है। यह पीडब्ल्यूडी के क्र्वाटर में चल रहा है।

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बरियातू थाना
बरियातू थाना की भी स्थिति कुछ खास नहीं है। यहां टॉयलेट से लेकर पीने के पानी तक की समस्या है। इस पुलिस स्टेशन का भी भवन खुद का नहीं है। रिम्स के क्वार्टर में दिए गए स्थान में थाना चल रहा है। अपने भवन के लिए पहल तो हुई लेकिन सफलता नहीं मिली।

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महिला थाना
महिलाओं के हित की बात करने वाली सरकार महिला थाना को खुद का अपना भवन नहीं दे सकी है। इस थाने की स्थिति झोपड़ी से भी बदतर है। महिलाओं को रखने के लिए थाने में ढंग का बैरक तक नहीं है। कोतवाली थाना के फैमिली क्वार्टर में इसे स्थान दिया गया है।

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सदर थाना
कोकर स्थित सदर थाने में हर दिन दर्जनों मामले आते हैं। थाने की हालत पहले काफी जर्जर थी। लेकिन इसमें कुछ सुधार किया गया है। सदर थाना रियाडा के भवन में चल रहा है।