RANCHI : अगर आपको भी कोई बीमारी है और कलर डॉप्लर टेस्ट कराना है तो डेढ़ महीने बाद आना होगा। चूंकि रिम्स में कलर डॉप्लर टेस्ट कराने के लिए मरीजों को लंबी वेटिंग मिल रही है। इस चक्कर में इमरजेंसी वाले मरीज तो प्राइवेट सेंटर का रुख कर रहे हैं। जबकि अधिकतर मरीजों के पास इंतजार करने के अलावा कोई चारा नहीं है। ऐसे में मरीजों की वेटिंग लिस्ट लंबी होती जा रही है। अगर इस व्यवस्था को नहीं सुधारा गया तो वेटिंग लिस्ट और बढ़ती जाएगी। बताते चलें कि एक सिटी स्कैन मशीन के भरोसे सैकड़ों मरीज इंतजार में है।

प्राइवेट में 3-4 गुना ज्यादा चार्ज

रिम्स में मरीजों के सभी टेस्ट सरकारी रेट पर किए जाते हैं। इसलिए मरीजों को टेस्ट के लिए ज्यादा पैसे नहीं चुकाने पड़ते। लेकिन प्राइवेट रेडियोलॉजी सेंटर में इसी टेस्ट के लिए तीन से चार गुना अधिक पैसे चुकाने पड़ रहे हैं। वहीं परेशानी हो रही है, सो अलग। चूंकि दूसरे सेंटर में भी एक दिन में ज्यादा टेस्ट नहीं किए जाते।

क्या है कलर डॉप्लर टेस्ट

बॉडी के अंदर ब्लड सर्कुलेशन की स्थिति को जानने के लिए यह टेस्ट किया जाता है, जिसमें मरीज को किसी तरह की परेशानी नहीं होती। वहीं किसी तरह के साइड इफेक्ट होने की संभावना नहीं होती। इस टेस्ट से बॉडी में क्लाट और ब्लाकेज की एग्जैक्ट जानकारी मिल जाती है। वहीं इस टेस्ट को करने में थोड़ा समय भी लगता है।

केस-1

सूरज प्रसाद के परिजन की उम्र 50 साल के करीब है। जिन्हें खड़े रहने में भी समस्या आ रही थी। उन्होंने डॉक्टर से दिखाया तो कलर डॉप्लर टेस्ट कराने को कहा गया। जब वह टेस्ट कराने के लिए पहुंचे तो उन्हें अगले महीने 15 तारीख के बाद आने को कहा गया।

केस-2

राजीव के पिताजी को पैर में काफी समस्या हो रही थी। वह इलाज के लिए रिम्स पहुंचे। डॉक्टर ने उन्हें भी डॉप्लर टेस्ट कराने को कहा, जिससे पता लगाया जा सके कि ब्लड फ्लो की क्या स्थिति है। इसके बाद ही उनका इलाज किया जाएगा। लेकिन नर्स ने उन्हें 16 मार्च की डेट दी।