RANCHI: रांची नगर निगम शहर को स्वच्छ बनाने को लेकर लगातार काम कर रहा है। नए प्रयोग भी किए जा रहे हैं। वहीं सफल होने के बाद इसे पूरे शहर में लागू भी किया जा रहा है। जी हां, हम बात कर रहे हैं बायो टॉयलेट की, जिसका रांची रेलवे स्टेशन के बाहर प्रयोग सफल रहा है। अब पूरे शहर में नगर निगम बायो टॉयलेट बनाएगा। इसे लेकर टेंडर भी कर दिया गया है। टेंडर फाइनल होते ही बायो टॉयलेट बनाने का काम तेजी से शुरू कर दिया जाएगा। इससे पानी की तो बचत होगी ही मेंटेनेंस का खर्च भी कम आएगा जो कि पूरी तरह से इको फ्रेंडली होने के साथ ही डिजेबल फ्रेंडली भी होगा। ऐसे में नैचुरल कॉल आने पर अब लोगों के सामने और भी आप्शन होंगे। वहीं इससे किसी तरह का प्रदूषण भी नहीं होगा।

50 बायो टॉयलेट से बदलेगी सूरत

बायो टॉयलेट सबसे पहले रांची रेलवे स्टेशन के बाहर बिरसा फूड प्लाजा के सामने चार यूनिट का बनाया गया था। इसमें दो टॉयलेट पुरुषों के लिए और दो महिलाओं के लिए हैं। फिजिकली चैलेंज्ड लोगों के लिए वहां पर रैंप भी बनाया गया है। अब पूरे शहर में 50 जगहों पर ऐसे बायो टॉयलेट बनाए जाएंगे। जिससे कि ज्यादा से ज्यादा लोग इसका इस्तेमाल करेंगे। वहीं शहर में गंदगी कम होगी तो हमारा शहर भी साफ होगा। इससे स्वच्छता सर्वे में राजधानी की रैंकिंग सुधारने में मदद मिलेगी। वहीं मेंटेनेंस और सफाई में होने वाला खर्च भी बचेगा।

केमिकल डालते ही यूरिन बन जाएगा पानी

बायो टॉयलेट में यूरिन को स्टोर करने के लिए टैंक लगाए गए हैं। वहीं नए बायो टॉयलेट में भी ऐसी ही टेक्निक का इस्तेमाल किया जाएगा। जहां केमिकल डालते ही यूरिन पानी में कनवर्ट हो जाएगा। इससे दुर्गध की समस्या नहीं होगी और ड्रेनेज में बहाया भी जा सकेगा। इसका फायदा यह होगा कि नालियों में भी साफ पानी बहने से गंदगी नहीं होगी। यूरिन को पानी में कनवर्ट करने के लिए डीआरडीओ अप्रूव्ड टेक्निक का इस्तेमाल किया जाएगा।

एक यूनिट बनाने में एक लाख खर्च

एक यूनिट के माड्यूलर बायो टॉयलेट बनाने में एक लाख रुपए खर्च लगभग आया था। ऐसे में शहर में जितने भी टॉयलेट बनाए जाएंगे, उसमें प्रति यूनिट एक लाख का एन एवरेज खर्च आएगा। इसके लिए टेंडर कर दिया गया है। अब देखना है कि शहर के लोगों को बायो टॉयलेट की सुविधा कब से मिलती है। वहीं दुर्गध से भी लोगों को छुटकारा मिल जाएगा। इसके अलावा कम पानी रहने पर भी लोग इसका इस्तेमाल कर सकेंगे। चूंकि इसमें पानी की काफी बचत होती है।

पहले से सिटी में हैं 80 मॉड्यूलर टॉयलेट

सालों से नगर निगम एरिया में पब्लिक टॉयलेट का ही प्रचलन रहा है। 4-5 साल पहले निगम एरिया में मॉड्यूलर टॉयलेट बनाए गए। जिसका उद्देश्य यह था कि लोग नैचुरल कॉल आने पर खुले में न जाएं। इसके बाद लोगों पर फाइन भी लगाया गया तो आदतें बदलने लगीं। हां कई बार पानी और सफाई नहीं होने की स्थिति में लोग टॉयलेट का इस्तेमाल नहीं कर पाते हैं। लेकिन इसके आने से लोगों की आदतें सुधर गई हैं। ऐसे में बायो टॉयलेट भी सिटी को सफाई में बेहतर बनाने के लिए मॉडल साबित होगा।

बायो टॉयलेट हर तरीके से सही है। इसका सबसे बड़ा फायदा है कि इसमें पानी का खर्च बहुत कम है। इसके अलावा मेंटेनेंस को लेकर भी ज्यादा परेशानी नहीं है। नगर निगम स्वच्छता को लेकर काम कर रहा है और 50 टॉयलेट बनाने का टेंडर कर दिया गया है। पहले से हमारे माड्यूलर टॉयलेट से सिटी की सूरत बदल गई है। अब यह बायो टॉयलेट बड़ा बदलाव लाएगा।

-संजीव विजयवर्गीय, डिप्टी मेयर, रांची