- कभी घर तो कभी हॉस्पिटल पहुंच कर लोगों की कर रहे हैं मुफ्त सेवा

- आयुष्मान भारत योजना का लाभ लोगों को दिलाने में जुटे हैं विरेंद्र

- अब तक तीन हजार लोगों का कार्ड बना चुके हैं कोकर के विरेंद्र

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: स्वस्थ रहना हर कोई चाहता है। लेकिन कभी-कभी ऐसी परिस्थिति आ जाती है जब स्वस्थ व्यक्ति भी गंभीर बीमारी की चपेट में आ जाता है। उस वक्त हॉस्पिटल और दवा का इंतजाम करते-करते फाइनेंसियल कंडीशन बिगड़ जाती है। तब ऐसा लगता है कि कहीं से कोई मदद मिल जाए तो मुसीबत से निजात मिले। लोगों की इसी जरूरत को पूरा करने में जुटे हैं कोकर निवासी युवक विरेंद्र कुमार। जो लोग जानकारी के अभाव में आयुष्मान भारत योजना के तहत अपना गोल्डेन कार्ड नहीं बनवा पाते, उनकी मदद के लिए विरेंद्र घर तक पहुंच जाते हैं। कभी हॉस्पिटल में जाकर तो कभी लोगों के घर-घर जाकर परिवार के हर सदस्यों का कार्ड बनाने के साथ-साथ इसका कैसे लाभ उठाना है, इसकी भी जानकारी विरेंद्र देते हैं। 26 वर्षीय विरेंद्र ने समाजसेवा का एक अलग रास्ता अपनाया है।

हॉस्पिटल पहुंचकर बनवाते हैं कार्ड

विरेंद्र कुमार अपनी मशीन और लैपटॉप लेकर कभी प्राइवेट हॉस्पिटल्स पहुंच जाते हैं, तो कभी राज्य के सबसे बड़े सरकारी हॉस्पिटल रिम्स में मरीज और उनके परिजनों का गोल्डेन कार्ड बनाने चले जाते है। इसके एवज में विरेंद्र किसी से कोई शुल्क नहीं लेते। हालांकि, राज्य सरकार ने आयुष्मान कार्ड पहले से ही फ्री कर रखा है। विरेंद्र बताते हैं, कई लोग हैं जिन्होंने अब तक आयुष्मान कार्ड नहीं बनाया है। अभी भी ऐसे कई लोग हैं, जिन्हें इस विषय में जानकारी ही नहीं है। हॉस्पिटल पहुंचने पर जब काउंटर में पूछा जाता है कि क्या आपके पास गोल्डेन कार्ड है, तब उन्हें इसकी जानकारी होती है। इसके बाद वे इधर-उधर भटकते रहते हैं। वहीं ऐसे भी लोग है जिन्हें कार्ड होते हुए भी इसका लाभ नहीं मिल पाता, उस स्थान पर मरीज को लाभ दिलवाने का भी प्रयास करते हैं।

ग्रेजुएशन के बाद जुट गए सेवा में

विरेंद्र कुमार ने ग्रेजुएशन तक पढ़ाई की है। इसके बाद सरकारी नौकरी की तैयारी करने लगे। लेकिन इसके साथ-साथ उन्होंने लोगों की सेवा का भी काम शुरू कर दिया। धीरे-धीरे उन्होने प्रज्ञा केंद्र का लाइसेंस ले लिया और इससे अपने क्षेत्र के लोगों की परेशानी दूर करने लगे। उन्होंने बताया कि मैं अधिकतर रात के समय में लोगों के घर जाता हूं। क्योंकि, फाइनेंसियल कंडीशन जिनका कमजोर होता है वहां परिवार के अधिकतर सदस्य कमाई करने सुबह ही निकल जाते हैं। रात में सभी घर पर होते हैं। उन्हें समझाने और कार्ड बनाने में सहूलियत होती है। रात में कैंप लगाकर भी लोगों का गोल्डेन कार्ड बनाता हूं। इसके अलावा बेड से उठ पाने में असमर्थ लोगों के पास जाकर उनका कार्ड बनाते हैं।

कई तरह से करते हैं मदद

गोल्डेन कार्ड के अलावा रिटायर लोगों के जीवन प्रमाण पत्र बनाने में भी उनकी मदद करते हैं। रिटायर लोगों को हर साल नवंबर में अपना लाइफ सर्टिफिकेट बैंकों में जमा करना होता है। विरेंद्र बताते हैं कि वे इसमें भी लोगों को बिल्कुल फ्री सेवा देते हैं। उनका केवाईसी करना हो या डाक्यूमेंट संबंधी कोई भी परेशानी दूर करनी हो, तत्काल समाधान किया जाता है। विरेंद्र ने बताया कि अब तक लगभग तीन हजार लोगों का कार्ड बनवा चुके हैं।