रांची(ब्यूरो)। रांची से 85 किलोमीटर दूर स्थित गुमनाम वाटर फॉल पांडु पुडिंग में लोगों के डूबकर मरने का सिलसिला जारी है। जैसे ही पिकनिक का सीजन आता है, इस फॉल में लोगों के डूबने की घटनाएं बढ़ जाती हैैं। कुछ लोग भाग्यशाली होते हैैं, जिन्हें वहां मौजूद स्थानीय लोग बचा लेते हैैं, तो कुछ खुशनसीब नहीं होते और अनजाने में ही गहरे पानी में डूब जाते हैैं। रविवार को भी इस सीजन की चौथी मौत इस फॉल में हुई। रातू रोड के अध्ययन कोङ्क्षचग सेंटर के संचालक 42 वर्षीय संतोष कुमार मेहता की डूबने से मृत्यु हो गई। मेहता रविवार को कोंङ्क्षचग सेंटर के अपने सहयोगी शिक्षकों और करीब 45 छात्र-छात्राओं के साथ पिकनिक मनाने आए थे।

प्रशासन ने नहीं की तैयारी

यह सभी को पता है कि पांडु पुडिंग फॉल में इन दिनों लोगों का आना शुरू हो चुका है, फिरभी यहां सुरक्षा के कोई इंतजाम नहीं किए गए हैैं। न तो साइबोर्ड लगाया गया है और न ही झरने के करीब जाने से रोकने के लिए कोई बैरिकेडिंग ही है। रांची के आसपास के वाटर फॉल अमूमन फुल रहते हैैं। हुंडरू और जोन्हा में पैर रखने की जगह नहीं रहती। इसलिए लोग अब नए-नए स्पॉट में पिकनिक के लिए जा रहे हैैं। हालांकि, तोरपा का यह वाटरफॉल बेहद मनोरम है और इस फॉल तक पहुंचने के लिए पहाड़ी से नीचे उतरने की जरूरत भी नहीं पड़ती, इसलिए लोगों की भीड़ इस नए स्थल पर बढ़ रही है। लेकिन, इस स्पॉट पर सुरक्षा के कोई इंतजाम नहीं हैैं। इसी वर्ष पिकनिक सीजन के दौरान जनवरी में तीन लोगों की मौत हुई थी। हालांकि, 7 लोगों को बचा भी लिया गया था। दिसंबर में पांडु पुडिंग फॉल में डूब कर मरने की यह पहली घटना है। लेकिन, इस वर्ष कुल 4 लोगों की जान जा चुकी है।

छात्रों को बचाने गए थे

मेहता के साथ पिकनिक मनाने आए सहयोगियों ने बताया कि हमलोग लगभग एक बजे के आसपास पांडु पुङ्क्षडग पहुंचे। संतोष के साथ चार से पांच छात्र नहाने के लिए फॉल में उतरे। इसी दौरान दो छात्र गहरे पानी में डूबने लगे। बचाने के लिए आवाज दी। बचाने के लिए संतोष आगे बढ़े। दोनों छात्र तो किसी तरह से निकल गए, पर संतोष पानी में डूब गए। बाद में किसी तरह संतोष को बाहर निकाल कर तोरपा रेफरल अस्पताल लाया। जहां डाक्टर ने मृत घोषित कर दिया। संतोष लातेहार जिले के चंदवा थाना क्षेत्र के रुदमूर्तिया के निवासी थे। वर्तमान में रांची के कमड़े आश्रम मोहल्ला में रह रहे थे। घटना की जानकारी मिलते ही तपकारा थाना के एसआइ बलराम ङ्क्षसह सहित अन्य पुलिसकर्मियों ने शव को अपने कब्जे में ले लिया है। सोमवार को पोस्टमार्टम करा स्वजन को सौंप दिया जाएगा।

इस साल चार की मौत

इस वर्ष इस पांडु पुङ्क्षडग जलप्रपात में डूबने से चार सैलानियों की मौत हो चुकी है। 20 जनवरी को हजारीबाग निवासी 18 वर्षीय शिवम मिश्रा, 29 जनवरी को कटहल मोड़ खूंटी निवासी 13 वर्षीय रौनक कुमार माथुर तथा 30 जनवरी को पत्थलकुदवा रांची निवासी 21 वर्षीय सन्नी बरला की मौत हो गई थी। 17 दिसंबर को रांची के संतोष मेहता की डूबने से मौत हो गई।

बाइक मिल जाती, तो बच जाती जान

संतोष मेहता के साथ पिकनिक मनाने आए छात्र-छात्राओं और शिक्षकों ने बताया कि वे सभी बस से पिकनिक मनाने आए थे। जलप्रपात में जिस समय संतोष मेहता डूबे, उस समय उनकी सांसें चल रही थीं। यदि वहां कोई मोटरसाइकिल या कोई अन्य छोटा वाहन मिल जाता और समय से संतोष को अस्पताल पहुंचा दिया गया होता, तो शायद उनकी जान बच जाती। पर, न तो किसी ने बाइक दी और न ही वहां के पर्यटन मित्रों ने उनकी कोई सहायता की।

ऐसी खामियां

1. लोहाजिमी से फॉल पहुंचने वाला रास्ता लगभग 2 किलोमीटर तक कच्चा है।

2. फॉल में कहीं भी डूब क्षेत्र चिन्हित कर वहां साइन बोर्ड नहीं लगाया गया है।

3. जहां झरना गिरता है, वहां गहराई वाले क्षेत्र के पास बैरिकेडिंग नहीं की गई है।

4. पर्यटन विभाग का कोई कियोस्क नहीं है, जहां कोई जानकारी ली जा सके।

5. डूबते लोगों को बचाने के लिए प्रशासन का बचाव दल वहां तैनात नहीं है।