रांची(ब्यूरो)। नगर निगम की ओर से बनाया जा रहा झिरी प्लांट जल्द ही शुरू होने वाला है। इसके पहले चरण का काम लगभग पूरा कर लिया गया है। नगर निगम के अधिकारियों की मानें तो मार्च महीने से प्लांट काम करना शुरू कर देगा। 150 टन का एक प्लांट लगभग पूरा तैयार हो चुका है। इसे अगले महीने के अंतिम सप्ताह या मार्च महीने के पहले सप्ताह तक शुरू कर दिया जाएगा। इससे शहर में लोगों को कचरे से मुक्ति मिलेगी। साथ ही झिरी डंपिंग यार्ड के आसपास रहने वाले लोगों को भी राहत मिलेगी। बता दें कि झिरी में 300 टन के कचरा डिस्पोजल के लिए प्लांट बनाया जाना है। दोनों 150-150 टन कैपासिटी के होंगे। इसमें एक प्लांट का काम पूरा हो चुका है। इसे 25 करोड़ रुपए की लागत से तैयार किया गया है। एक और प्लांट भी 25 करोड़ में ही तैयार किया जाएगा।

दो सीएनजी स्टेशन बनेंगे

झिरी में कचरा संधारण के लिए प्लांट का निर्माण गेल इंडिया कंपनी कर रही है। पहले चरण में यहां गोबर का उपयोग किया जाएगा। यहां डंप किए गए कचरा से रोज 8 टन खाद बनेगा। 5000 किलो सीएनजी गैस बनेगी। स्वच्छ भारत मिशन के तहत 25 करोड़ की लागत से फेज-1 का यह प्लांट बनकर तैयार हुआ है। सर्वप्रथम सांकेतिक रूप से इसका संचालन किया जाएगा। इसके बाद यह प्लांट पूरी क्षमता के साथ काम करना शुरू कर देगा। गेल इंडिया द्वारा झिरी में बनाए गए इस बायोगैस को बेचने के लिए स्टेशन का भी निर्माण होना है। इसके लिए रांची नगर निगम ने गेल को सिटी के दो स्थानों पर स्टेशन खोलने की अनुमति दी है। जगह भी निगम ही उपलब्ध कराएगा। जहां कंपनी अपने स्टेशन से इस गैस को वाहनों में भरने का काम करेगी।

सख्ती से होगा वेस्ट कलेक्शन

मार्च महीने से जब प्लांट पूरी क्षमता के साथ काम करना शुरू कर देगा। इसके बाद नगर निगम भी कचरा कलेक्शन के प्रति सख्त रवैया अपनाएगा। निगम बार-बार आम नागरिकों को गीला कचरा अलग और सूखा कचरा अलग जमा करने के लिए अवेयर कर रहा है। प्लांट में गीले कचरे की किल्लत न हो इसके लिए नगर निगम द्वारा आम घरों से गीला व सूखा कचरा अलग-अलग ही उठाया जा रहा है। लेकिन अब भी 90 फीसदी से ज्यादा घरों से मिले हुए कचरे कलेक्ट हो रहे हैं। जिसे देखते हुए नगर निगम आने वाले दिनों में और ज्यादा सख्त होने जा रहा है। जिन घरों से मिक्स कचरा निकलेगा उन घरों से निगम कचरे का उठाव नहीं करेगा। साथ ही ऐसे लोगों पर पेनाल्टी करने का भी विचार किया जा रहा है।

झिरी में कूड़े का पहाड़

बता दें कि डंपिंग यार्ड की वजह से झिरी के आसपास के लोगों की जिंदगी नर्क बन गई है। बीते कई सालों से जिंदगी में सुधार करने की कोशिश हो रही है। झिरी में खड़े हो चुके कचरे के पहाड़ को डिस्पोज करने के लिए कई बार प्लान बनाए गए, लेकिन हर बार यह फेल हुआ है। राजधानी रांची में हर दिन लगभग 500 टन सूखा और गीला वेस्ट निकलता है। जो बीते 23 सालों से झिरी स्थित डंपिंग यार्ड में जमा हो रहा है, जिससे यहां कचरे का पहाड़ बन गया है। रांची नगर निगम ने अपने स्तर से विभिन्न एजेंसियों की मदद ली, लेकिन झिरी डंपिंग यार्ड का कचरा जस का तस बना हुआ है। निगम की मानें तो बीते 13 साल में कचरा के पहाड़ को खत्म करने के लिए तीन कंपनियां आयीं और चली गयीं। किसी ने बिजली तो किसी ने टाइल्स बनाने का प्रपोजल दिया था। लेकिन सभी प्लांनिग फेल होती रही है। लेकिन अब प्लांट के शुरू हो जाने से कचरे का निस्तारण संभव हो सकेगा। इससे लोगों को भी काफी राहत मिलेगी।