RANCHI : डिजिटल साक्षरता को बढ़ावा दे रही सरकार नेत्रहीन बच्चों की भी पढ़ाई में आइसीटी (इन्फारमेशन एंड कम्युनिकेशन टेक्नोलॉजी) का सहारा लेगी। टैब, डीजी प्लेयर जैसी अत्याधुनिक डिवाइस उनकी पढ़ाई में सहयोगी बनेंगी। इसके लिए सरकारी प्राइमरी व अपर प्राइमरी स्कूलों में आइसीटी आधारित समावेशी शिक्षा कार्यक्रम की शुरुआत हुई है। राज्य सरकार ने इसके लिए वैश्विक संस्था साइटसेवर्स के साथ करार किया। सोमवार को झारखंड शिक्षा परियोजना परिषद के निदेशक मुकेश कुमार तथा साइटसेवर्स के सीईओ आरएन मोहंती ने करार पर हस्ताक्षर किए।

बच्चों को मिले इक्विपमेंट्स

सोमवार को कुछ बच्चों के बीच यह सामग्री वितरित भी की गई। संस्था ने रांची व दुमका जिलों में लो विजन वाले पंद्रह बच्चों की पहचान की है। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए राज्य परियोजना निदेशक ने कहा कि इस कार्यक्रम में सभी प्रकार के खर्च का वहन संस्था करेगी। परिषद सिर्फ संस्थागत सहयोग उपलब्ध कराएगा। कार्यक्रम को प्रशासी पदाधिकारी एमके सिन्हा, एनआरएचएम के उपनिदेशक डा। राजमोहन, समावेशी शिक्षा प्रोजेक्ट के स्टेट को-आर्डिनेटर अभिनव कुमार, रांची डीएसई शिवेंद्र कुमार ने भी संबोधित किया।

ब्रेल लिपि की खुलेगी प्रेस

रांची व उप राजधानी दुमका में ब्रेल लिपि की प्रेस स्थापित करेगी, जिनमें इस लिपि में शिक्षण सामग्री छप पाएगी। संस्था दोनों जिलों के सरकारी स्कूलों में पढ़नेवाले नेत्रहीन बच्चों को टैब, डीजी प्लेयर, ब्रेल किट व अन्य सामग्री भी देगी।

खुलेंगे रिसोर्स सेंटर

रांची और दुमका में रिसोर्स सेंटर स्थापित किए जाएंगे, जहां रिसोर्स शिक्षकों को इनके लिए खास तौर पर बनाए गए टैब व डीजी प्लेयर से संबंधित प्रशिक्षण दिया जाएगा ताकि वे बच्चों को इसका प्रशिक्षण दे सकें।

तैयार हो रहा विजन डॉक्यूमेंट

समावेशी शिक्षा के तहत दिव्यांग बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने तथा उन्हें तमाम साधन उपलब्ध कराने के लिए विजन डाक्यूमेंट तैयार किया जा रहा है। साइटसेवर्स के सीईओ ने बच्चों को मिलनेवाली सामग्री के नियमित व सही उपयोग पर जोर दिया।

तीन परसेंट दिव्यांग बच्चों पर हो खर्च

कार्यक्रम में उपस्थित राज्य निश्शक्तता आयुक्त सतीश चंद्रा ने दिव्यांग जन नीति के तहत शिक्षा के बजट की तीन फीसद राशि राशि दिव्यांग विद्यार्थियों पर खर्च करने पर जोर दिया। उन्होंने रिसोर्स शिक्षकों को सम्मानजनक मानदेय का भी मामला उठाया। क