रांची: अगर आपको भी किसी ग्रुप के खून की जरूरत है तो ब्लड बैंक से आसानी से खून नहीं मिल सकेगा। ऐसे में जब आप उसी ग्रुप का डोनर लेकर जाएंगे तभी प्रॉसेसिंग के बाद ब्लड बैंक से खून आपको उपलब्ध कराया जाएगा। चूंकि रिम्स का ब्लड बैंक पूरी तरह से कंगाल हो चुका है। इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि ब्लड बैंक में सोमवार को मात्र चार यूनिट ही खून अवेलेबल था। एक बार में ज्यादा लोगों को खून की जरूरत पड़ी तो उन्हें उपलब्ध कराना मुश्किल हो जाएगा। यही वजह है कि अब रिम्स ने वेबसाइट पर भी खून की उपलब्धता रिपोर्ट को अपडेट करना बंद कर दिया है। वहीं कई बार तो इसे देर से अपडेट किया जाता है।

डेली 100 यूनिट की डिमांड

रिम्स और ब्लड के लिए काम करने वाली संस्थाएं लगातार कैंप लगा रही हैं। इस उम्मीद में कि लोग ज्यादा से ज्यादा संख्या में आकर ब्लड डोनेट करेंगे, जिससे तत्काल मरीजों को खून उपलब्ध कराया जा सकेगा। लेकिन यह आंकड़ा मुश्किल से 50 के पार पहुंच रहा है, वह भी एक दिन में। जबकि हर दिन की डिमांड सौ यूनिट की हो गई है। ऐसे में एक दिन के कैंप से आने वाला खून तो कहीं भी डिमांड की तुलना में टिक नहीं पाएगा।

कैपासिटी 1000 यूनिट

राज्य के सबसे बड़े हॉस्पिटल रिम्स में मॉडल ब्लड बैंक है, जिसमें एक हजार यूनिट ब्लड प्रॉसेस करने-रखने की कैपासिटी है। वहीं हाइटेक मशीनें भी प्रॉसेसिंग के लिए रखी गई हैं। लेकिन मरीजों को देने के लिए खून ही नहीं है। सीरियस मरीजों के लिए इमरजेंसी में ब्लड के यूनिट रखे जा रहे हैं, ताकि वैसे मरीजों को यह खून दिया जा सके, जिनकी लाइफ पर बन आई हो। बाकी के मरीजों को बिना डोनर के खून देने पर रोक है। ब्लड डोनेशन के बाद ही उसे यूनिट उपलब्ध कराया जा रहा है।

सिकल सेल-थैलेसीमिया मरीज परेशान

राजधानी के अलावा पूरे राज्य से सिकल सेल एनीमिया और थैलेसीमिया के सैकड़ों मरीज हर दिन रांची पहुंचते हैं, जिन्हें तत्काल ब्लड चढ़ाने की जरूरत होती है। लेकिन उन्हें भी चढ़ाने के लिए मुश्किल से खून मिल पा रहा है। रिम्स में तो उन्हें निराशा ही हाथ लग रही है। लेकिन सदर कुछ ऐसे मरीजों के लिए खून उपलब्ध करा रहा है। हालांकि, डिमांड की तुलना में लोग डोनेट ही नहीं कर रहे हैं।

रिम्स

ए पॉजिटिव 01

ए नेगेटिव 00

बी पॉजिटिव 01

बी नेगेटिव 00

ओ पॉजिटिव 01

ओ नेगेटिव 00

एबी पॉजिटिव 01

एबी नेगेटिव00

लोग डोनेशन के लिए खुद से पहल नहीं करेंगे तो ऐसी स्थिति बनी रहेगी। जितनी मांग है उसके हिसाब से कैंप से भी यूनिट जमा नहीं हो पाता। हमलोग भी क्या कर सकते हैं, जो अवेलेबल होता है उन्हें तत्काल उपलब्ध कराते हैं। डोनर आएंगे तभी तो खून आसानी से मिल पाएगा। जो डोनर लेकर आता है उसे ही प्रॉसेस कर हमलोग ब्लड देते हैं। लेकिन इसमें टाइम भी लगता है।

डॉ सुषमा, ब्लड बैंक, इंचार्ज