रांची(ब्यूरो)। प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय की प्रथम अध्यक्षा जगदम्बा मां की पुण्यतिथि पर चौधरी बगान, हरित भवन, हरमू रोड स्थित ब्रह्माकुमारी संस्थान में कार्यक्रम हुआ। अवनी रंजन कुमार सिन्हा, पूर्व जिला जज ने कहा कि दिव्य गुणों की खान जगदम्बा सर्व महान राजस्व अविनाशी रूद्र गीता ज्ञान यज्ञ की प्राण प्रथम प्रमुख संचालिका जगदम्बा सरस्वती ने अपना पुराना कलेवर बदलकर अव्यक्त भाव की सेवा में खुद को लगा दिया। सृष्टि चक्र के आदि में उन्हीं के चिह्नों का अनुसरण करते हुए आज का विश्वव्यापी ब्रह्माकुमारी संस्थान अपनी यश पताका लहराता जा रहा है।

उनकी वाणी अमृत बरसाती थी

उमेश प्रसाद सिंह, सेवा निवृत्त अपर श्रमायुक्त ने कहा परमात्मा शिव द्वारा ज्ञान प्रकाश की प्रथम किरण निकलते ही वे जगत जननी रूप धारण कर अलौकिक मां का प्यार-दुलार-सत्कार लुटाने लगीं थीं। प्रजापिता ब्रह्मा द्वारा शिव के ज्ञान गुणों को स्वयं में समाकर सारे जहां में फैलाने वाली महिला जगत् की सूर्य-चाँद-जगदम्बा ही थीं। ज्ञानसूर्य सी प्रखर और चन्द्रमा सी शीतल-स्निग्ध होने के कारण ही ईश्वरीय परिवार की प्रगति का प्रवाह उनके इर्द-गिर्द होता था। अभिनव कुमार, सार्जेन्ट मेजर ने कहा उनकी वाणी जलतरंग की तरह अमृत बरसाती हुई सत्यता व निर्मलता से भरी होती थीं। नव सृष्टि के निर्माण हेतु संकल्प ब्रह्मा से निकलने पर उनका प्रचार-प्रसार करने में जगदम्बा इतनी कुशल थीं कि शिवबाबा ने उन्हें ज्ञान देवी सरस्वती, दुर्गुणों को मिटाने वाली दुर्गा, धन-सम्पदा से भरपूर करने वाली लक्ष्मी ही नहीं, विकराल विकारों को पी जाने वाली काली खप्पड़वाली जैसे अनेकों गुणों की प्रतिमूर्ति बना दिया।

मम्मा ममता की मूरत थीं

राजयोगिनी ब्रह्माकुमारी निर्मला ने अपने संदेश में कहा कि उनके चमत्कारिक आध्यात्मिक व्यक्तित्व ने ही हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई जैसे वर्ग संघर्ष में उलझे लोगों को 21वीं सदी के सत्पुरुषों के योग्य बना दिया। सदा अलौकिकता के सिंहासन पर बैठी रहने के कारण वे सदा ही किसी और लोक से आयी हुई परी जान पड़ती थीं। मम्मा ममता की मूरत थीं। गहन आध्यात्मिक प्रेरणाओं से ओत-प्रोत श्वेतवस्त्र धारिणी सरस्वती मैया को ब्रह्मा की एक पसली से निर्मित हुआ माना जाता है। कार्यक्रम में जगदम्बा सरस्वती मम्मा की तस्वीर पर माल्यार्पण कर उन्हें भावभीनी श्रद्धाजंली अर्पित की गई। बाल कलाकारों द्वारा नृत्य प्रस्तुत किया गया। साथ ही ब्रह्माभोजन का आयोजन किया गया।