रांची(ब्यूरो)। राजधानी के सर्किल ऑफिस यानी अंचल कार्यालय रिश्वतखोरों के अड्डा बने हुए हैं। इन दिनों सर्कल ऑफिस में करप्शन चरम सीमा पर पहुंच चुका है। आये दिन किसी न किसी ऑफिस से कर्मचारी या राजस्व कर्मी घूस लेते हुए रंगे हाथ पकड़े जा रहे हैं। महज एक महीने में करीब आधा दर्जन राजस्व कर्मी को एसीबी की टीम ने घूस लेते पकड़ा है। इनमें हल्का कर्मचारी से लेकर राजस्व उप निरीक्षक तक शामिल हैं। प्रत्येक महीने ऐसे दर्जनों मामले सामने आ रहे हैं, लेकिन रिश्वतखोरी पर विराम नहीं लग पा रहा है। इसके पीछे की बड़ी वजह यह है कि इन राजस्व कर्मियों पर सख्त कार्रवाई नहीं हो रही है। कुछ दिनों की पनिशमेंट के बाद कर्मी फिर से अपने काम पर लौट आते हैं, और फिर उसी धंधे में संलिप्त हो जाते हैं।

बिना चढ़ावा काम नहीं

जमीन का म्यूटेशन कराना हो, डीड में नाम चढ़वाना हो या फिर किसी प्रकार का सुधार कराना हो, हर काम के पहले अंचल ऑफिस में चढ़ावा चढ़ाना पड़ता है। प्लॉट के आकार के अनुसार, प्र्रति डिसमिल रेट तय है। न्यूनतम पांच हजार रुपए प्रति डिसमिल घूस लिया जाता है। घूस की राशि इससे ऊपर भी हो सकती है। दरअसल भू-राजस्व विभाग की ओर से अंचलों की जमीन से जुड़े रिकार्ड ऑनलाइन कराए गए थे। लेकिन मॉनिटरिंग नहीं होने से कई रैयत ऐसे हैं जिनकी जमीन का डेटा अपलोड नहीं हो सका। सरकार ने दाखिल खारिज कराने का सिस्टम भी लागू किया, ताकि रजिस्ट्री होने के बाद अंचल कार्यालयों से खुद म्यूटेशन हो जाए। लेकिन बिना पैसा दिए यहां म्यूटेशन तो क्या कोई कर्मचारी हिलता तक नहीं है। अंचल कार्यालयों की स्थिति ऐसी हो गई है कि बिना पैसा लिये जमीन की मापी तक नहीं होती है।

पहले दौड़ाते हैं फिर रेट तय

अंचल ऑफिस में जब कोई व्यक्ति अपने किसी काम से पहुंचता है तो यहां के कर्मचारी अलग-अलग बहानों से उसे दौड़ाते रहते हैं। कभी कागजात में कमी तो कभी अधिकारी के नहीं होने का हवाला देकर बाद में आने को कहा जाता है। जब वह व्यक्ति थक जाता है तो फिर उसके सामने लेन-देन की बात की जाती है। इसके बाद एक रेट तय होता है, जिसने पैसे देना स्वीकार किया उसका काम हुआ और जो पैसे देने में आनाकानी किया उसका काम लटका दिया जाता है।

हजारों मामले पेंडिंग

अरगोड़ा, नामकुम, ओरमांझी, कांके, रातू, नगड़ी, शहर अंचल समेत अन्य सर्कल ऑफिस में जमीन के हजारों मामले पेंडिंग पड़े हैं। क्योंकि लोगों ने चढ़ावा देने से मना कर दिया। अंचल ऑफिस में वर्षों से यह खेल चल रहा है। राजस्व विभाग के सीनियर अधिकारी भी इससे अनजान नहीं हैं, लेकिन वे भी कुछ नहीं करते, क्योंकि कमाई का एक मोटा हिस्सा इन तक भी समय से पहुंचा दिया जाता है।

केस-1

2 मार्च : एसीबी की टीम ने चान्हो अंचल के राजस्व कर्मचारी व्यंजन मिंज उर्फ मेंजामिन कुजूर को सात हजार रुपए रिश्वत लेते रंगे हाथ गिरफ्तार किया। मेंजामिन म्यूटेशन के एवज में रिश्वत ले रहा था। चान्हो के रहने वाले सुनील कुमार ने यह शिकायत की थी। उसने बताया कि पांच डिसमिल जमीन के म्यूटेशन के लिए रुपए मांगे गए थे।

केस-2

8 मार्च : लोहरदगा अंचल के राजस्व निरीक्षक रामा महतो को एसीबी ने छह हजार रुपए लेते हुए रंगे हाथ गिरफ्तार किया। सरोज खत्री की बहू की चार डिसमिल जमीन के म्यूटेशन के एवज में घूस ले रहा था। पहले आवेदक को काफी दौड़ाया गया। इसके बाद घूस की राशि तय की गई और म्यूटेशन के लिए तैयार हुआ।

केस-3

19 मार्च : अनगड़ा अंचल के राजस्व उप निरीक्षक कुलदीप साहू और अमीन प्रभु पाहन को एसीबी ने दस हजार रुपए घूस लेते हुए पकड़ा। 26.52 एकड़ जमीन का डेटा ऑनलाइन कराने के लिए रैयत मनोज मुंडा से राजस्व उप निरीक्षक ने आठ हजार रुपए प्रति डिसमिल रिश्वत की मांग की थी।