रांची(ब्यूरो)। सरकार ने राजधानी रांची समेत पूरे झारखंड में बिना नक्शा पास किए हुए घरों को नियमित करने का फैसला लिया है। सरकार के इस आदेश से बहुत सारे लोग खुश हैं और कागजात भी दुरुस्त करने में जुट गए हैं। सरकार की इस योजना के तहत वही घर नियमित होंगे, जिनका होल्डिंग और वाटर टैक्स बकाया नहीं होगा। नदी-नाले के किनारे बने हुए घर या जलस्रोत को घेरकर बनाए हुए घरों को नियमित नहीं किया जाएगा। इसके अलावा सीएनटी-एसपीटी एक्ट का उल्लंघन करके बनाए हुए मकानों को भी नियमित नहीं किया जाएगा। जमीन पर अगर किसी भी तरह का मामला चल रहा होगा या उसका मामला न्यायालय में लंबित होगा वैसी जमीन पर बने हुए मकान का नक्शा भी पास नहीं होगा। योजना के तहत केवल वही लोग निर्माण नियमित करा सकेंगे, जिन्होंने साफ-सुथरी जमीन पर निर्माण किया हो और किसी कारण या अज्ञानतावश नक्शा नहीं स्वीकृत कराया हो।

नदी-नाले के किनारे बने हैैं घर

राजधानी रांची में बहुत सारे लोगों ने नदी-नालों की जमीन पर घर बना दिया है। हरमू, विद्यानगर, हिंदपीढ़ी, कोकर, चुटिया के कई इलाके में लोगों ने जल स्रोतों को घेर कर घर बनाया है, तो कई लोगों ने नदी-नालों के किनारे भी घर बना लिया है। ऐसे लोगों के घरों को नियमित नहीं किया जाएगा। नगर विकास विभाग द्वारा नियमितीकरण करने की योजना को धरातल पर उतारने से पहले ही ये सारी चीजें तय कर ली गई हैैं।

31 दिसंबर 2019 से पहले

राज्य भर में बिना नक्शे के बने (अनधिकृत) निर्माण को नियमित करने के प्रारूप को मंजूरी मिल गई है। इसके मुताबिक 31 दिसंबर 2019 के पूर्व निर्मित आवासीय और गैर आवासीय या व्यवसायिक भवनों का नियमितीकरण किया जाएगा। नियमित किए जानेवाले भवनों पर बिल्डिंग बाइलॉज में किए गए प्रावधान लागू नहीं होंगे। 15 मीटर तक की ऊंचाई वाले जी प्लस थ्री भवनों को इसके तहत नियमित किया जाएगा। इसके लिए 500 वर्गमीटर से कम प्लॉट का प्लिंथ क्षेत्र 100 प्रतिशत और 500 वर्गमीटर से बड़े प्लाट का प्लिंथ क्षेत्र 75 प्रतिशत या 500 वर्गमीटर (दोनों में जो भी कम हो) होना चाहिए।

2011 में भी बनी थी योजना

राज्य के शहरों में किए गए अवैध निर्माण को नियमित करने के लिए तीसरी बार योजना बनाई गई है। सबसे पहले वर्ष 2011 में अनधिकृत निर्माण को नियमितीकरण शुल्क के माध्यम से वैध करने के लिए झारखंड अधिनियम अधिसूचित किया गया था। इसके बाद वर्ष 2019 में अवैध निर्माण नियमित करने के लिए योजना लागू की गयी। लेकिन, नियमित करने के लिए अधिक शुल्क निर्धारण और नीतिगत खामियों की वजह से दोनों बार योजना सफल नहीं हो सकी। बहुत कम संख्या में लोगों ने निर्माण नियमित कराने के लिए आवेदन किया था।

इनका नक्शा नहीं होगा रेगुलर

-जिस जमीन का होल्डिंग और वाटर टैक्स बकाया हो।

-नदी-नाले के किनारे या जलस्रोत को घेरकर बनाए गए घर।

-सीएनटी-एसपीटी एक्ट का उल्लंघन करके बनाए गए मकान।

-जमीन पर अगर किसी भी तरह का मामला चल रहा हो या कोर्ट में लंबित हो।

अलग-अलग शुल्क का निर्धारण

प्रारूप में आवासीय और गैर-आवासीय भवनों को नियमित करने लिए अलग-अलग शुल्क का निर्धारण किया गया है। यह इस प्रकार है :-

-नगर निगम, विकास प्राधिकरण, आयडा व अधिसूचित क्षेत्रों में आवासीय भवन को नियमित कराने के लिए 100 रुपए प्रति वर्गमीटर और गैर-आवासीय के लिए 150 रुपए प्रति वर्गमीटर की राशि देय होगी।

-नगर परिषदों में आवासीय भवन के लिए 75 रुपए प्रति वर्गमीटर और गैर-आवासीय या व्यवसायिक भवनों को नियमित करने के लिए 100 रुपए प्रति वर्गमीटर फीस लगेगी।

-नगर पंचायतों में आवासीय भवन के लिए 50 रुपए प्रति वर्गमीटर एवं गैर-आवासीय भवनों को नियमित कराने के लिए 75 रुपए प्रति वर्गमीटर शुल्क तय किया गया है।

1000 वर्गफीट पर 9290 रुपए की फीस

-स्वीकृत किए गए प्रारूप के मुताबिक एक हजार वर्गफीट में किए गए आवासीय निर्माण को वैध कराने के लिए नगर निगम या विकास प्राधिकरण क्षेत्र में केवल 9290 रुपए का शुल्क चुकाना होगा।

-नगर निगम क्षेत्र में ही किए गए एक हजार वर्गफीट के व्यावसायिक निर्माण को नियमित कराने के लिए 13935 रुपए देने होंगे।

-नगर परिषदों में एक हजार वर्गफीट पर किए गए आवासीय भवन के लिए 6967 रुपए और गैर-आवासीय या व्यवसायिक भवनों को नियमित करने के लिए 9290 रुपए फीस लगेगी।

-नगर पंचायतों में इसी आकार के आवासीय भवन के लिए 4645 रुपए और गैर-आवासीय भवनों को नियमित कराने के लिए 6967 रुपए शुल्क लगेगा।