रांची : चैती छठ व्रत अनुष्ठान के दूसरे दिन शनिवार को व्रती महिलाओं ने दिन भर निर्जला रहकर छठि मइया की उपासना की। फिर सूर्यास्त के बाद शुद्धता से मिट्टी और ईंट से बने चूल्हे पर खीर बनाकर खाया। पंचोपचार या दशोपचार द्वारा पूजन कर सूर्य देवी और छठी मइया को भोग लगाया। बाद में उसे प्रसाद रूप में स्वयं ग्रहण कर अपना उपवास तोड़ा। परिवार सहित ईष्ट-मित्रों के बीच खरना का प्रसाद बांटा गया। भक्तों का मानना है कि खरना का प्रसाद भी लाभकारी है। इसके ग्रहण करने मात्र से रोग-शोक नहीं सताता। जीवन में सुख और समृद्धि बनी रहती है। इसी भाव को आत्मसात कर श्रद्धालुओं का तांता सांझ ढलते व्रतियों के घर पर लगा रहा।

अस्ताचलगामी सूर्य को अ‌र्घ्य आज

छठव्रत अनुष्ठान के तीसरे दिन रविवार को व्रती निर्जला व्रत रखकर संध्या काल में अस्ताचलगामी भूवन भास्कर को अ‌र्घ्य अर्पित करेंगी। चौथे दिन सोमवार को उगते सूर्य को ब्रह्म मुहूर्त में अ‌र्घ्य अर्पित किया जाएगा। इसी के साथ सूर्य उपासना का पावन व्रत संपन्न हो जाएगा।

सेवा-सत्कार को तैयार समितियां

शहर के प्रमुख छठ घाटों में सेवा और सत्कार को विभिन्न छठ पूजा समिति तैयार हैं। पहले अ‌र्घ्य के मौके पर सेवा शिविर लगा कर व्रतियों के बीच जगह-जगह फल-फूल, दूध आदि का वितरण किया जोगा। समिति के सदस्य और पदाधिकारी सहयोग को मौके पर मुस्तैद रहेंगे। हटनिया ताला, बड़ा तालाब, कांके डैम, बटम तालाब आदि में दोनों अ‌र्घ्य के मौके पर हजारों श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ेगा।