रांची (ब्यूरो) डुमरदगा बाल सुधार गृह में करीब 160 बाल बंदियों को सुधरने के लिए रखा गया है। जो अलग-अलग अपराध के आरोप में यहां बंद हैं। बाल बंदियों पर नजर रखने के लिए अभी फिलहाल जिला पुलिस और सैफ के जवान तैनात हैं। प्रत्येक नौ बाल बंदियों पर निगरानी के लिए सिर्फ एक जवान ही है। प्रशासन का कहना है कि वर्तमान में जो पुलिस कर्मी मौजूद हैं, उसके अलावा हर शिफ्ट में दस पुलिस कर्मियों का होना जरूरी है। अत: कम से कम से 30 जवानों की प्रतिनियुक्ति कराने का आग्रह जिला प्रशासन ने पुलिस मुख्यालय से किया है।

अंदर ही अंदर बना ली सुरंग

डुमरदगा स्थित बाल सुधार गृह में कानून का उल्लंघन करने वाले बच्चों को रखा जाता है। इसकी कुल क्षमता 120 बच्चों को रखने की है। लेकिन औसतन यहां 150-160 बच्चे रखे जाते हैं। सुधार गृह की निगरानी करने वाले पदाधिकारियोंंं का कहना है कि यहां के बच्चे शातिर क्रिमिनल्स की तरह सोचने लगे हैं। अक्सर ये लोग आपस में लड़ाई-झगड़ा और गाली-गलौज करते रहते हैं। कई बार निरीक्षण के क्रम में आपत्तिजनक चीजें भी बरामद हो चुकी हैं। लेकिन किसी प्रकार की कोई कार्रवाई नहीं होने के कारण बच्चे सुधर नहीं रहे हैं। साथ ही इनमें किसी तरह का कोई भय भी नहीं है। कुछ दिन पहले ही करीब दो दर्जन बाल बंदी आपस में ही झगड़ बैठे। जिसमें कई बच्चों को गंभीर चोट भी लगी। बच्चों के माता-पिता ने भी हंगामा किया। इस घटना के बाद भी प्रशासन ने कोई ठोस कदम नहीं उठाया। इधर हाल ही में सुधार गृह में हुई छापेमारी में कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आए। बच्चों ने भवन के अंदर ही सुरंग बना रखी थी, जिसमे ये लोग जेल प्रबंधन से छिपाकर अपना सामान रखा करते थे।

अंदर पहुंच रहे प्रतिबंधित सामान

सुधार गृह की दीवारे ऊंची-ऊंची हैं। लेकिन इसके बावजूद यहां बंद बच्चों तक प्रतिबंधित सामाने पहुंच जाता है। गृह के आस-पास जवान तैनात रहते हैं, सीसीटीवी से भी निगरानी हो रही, इसके बावजूद जवानों को चकमा देने में बाल कैदी सफल हो जाते हैं। उनतक प्रतिबंधित सामान पहुंचाने के लिए अलग-अलग उपायों का इस्तेमाल किया जा रहा है। रबड़ के बॉल को काट कर उसमें खैनी, सिगरेट, गुटखा, गांजा रखकर अंदर फेंक दिया जाता है। इसके अलावा प्लास्टिक बोतल में शराब भरकर भी अंदर फेंकी जाती है। इससे स्पष्ट है कि यहां की सुरक्षा व्यवस्था फिलहाल नाकाफी है। इसे दुरुस्त करने की जरूरत है। इसके लिए रांची जिला प्रशासन की ओर से पहल की गई है।

सुरक्षा कर्मियों से भी मारपीट

बीते महीने भी यहां मारपीट की घटना हुई थी। यहां रहने वाले बाल बंदियों ने सुरक्षा कर्मियों के साथ ही मारपीट कर दी थी। किशोरों के बीच हुए आपसी झगड़े में बीच-बचाव करने के दौरान बच्चों ने सुरक्षा कर्मियों के साथ मारपीट की। सुधार गृह के अंदर लगातार बंदियों के बीच हो रहे तनाव और बाहर से प्रतिबंधित सामान परिसर में फेंके जाने की घटनाओं को लेकर जिला प्रशासन चिंतित है। इसलिए पुलिस महानिरीक्षक (अभियान) को डीसी छवि रंजन ने पत्र में कहा है कि पर्याप्त आंतरिक सुरक्षा बल के अभाव के कारण स्थिति नियंत्रित करने में परेशानी हो रही है।

सीआईडी ने भी किया अलर्ट

बाल संप्रेक्षण गृह को लेकर सीआईडी ने भी जिला प्रशासन को अपनी रिपोर्ट देते हुए सुरक्षा को लेकर आगाह किया है। सीआईडी की टीम ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि भविष्य में कोई बड़ी अप्रिय घटना घटित होने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है। इसके बाद सिक्योरिटी ऑडिट को लेकर एसएसपी से कहा गया है।