RANCHI: सीडब्ल्यूसी ने डोरंडा शिशु सदन से जिन 22 बच्चों को रेस्क्यू किया था, ये ऐसे बच्चे हैं, जिनकी मां इस दुनिया में नही हैं। लेकिन इनके पिता अब भी हैं। बच्चे की मां के नहीं होने से पिता को दिक्कत होती थी। इसलिए इन्हें हिनू के शिशु सदन में दिया गया था। बताया जाता है कि सभी बच्चों के सिंगल पेरंट्स हैं। जो दूर दराज में रहते हैं। कुछ ने सीडब्ल्यूसी की कार्रवाई को गलत बताया था, तब 8 लोगों को उनके बच्चे लौटाए गए थे। लेकिन बाकी बच्चे सीडब्ल्यूसी द्वारा उनके पेरेंट्स को नहीं सौंपे जा रहे हैं।

डीएनए जांच का समय नहीं दे रही सीडब्ल्यूसी

कहा जा रहा है कि अन्य बच्चों को भी उनके अभिभावकों के हवाले किया जाएगा, लेकिन इसके लिए डीएनए टेस्ट किया जाएगा। इस बात पर पेरेंट्स भी तैयार हो गए हैं। पर, सीडब्ल्यूसी उन्हें समय नही दे रही है।

रिकार्ड नहीं देख रही कमिटी

बताया जाता है कि 22 बच्चों और उसके माता- पिता का रिकॉर्ड सीडब्ल्यूसी में पहले से दिया गया है। लेकिन, उस रिकॉर्ड को नहीं देखा जा रहा है।

आज धरना देंगे पेरेंट्स

जिन बच्चों के पिता को बच्चे नहीं सौंपे जा रहे हैं। वो शुक्रवार को रांची पहुंच रहे हैं। यहां उनलोगों द्वारा सीडब्ल्यूसी के कायरें को लेकर धरना-प्रदर्शन भी किया जाएगा।

कपड़े के टैग पर था बच्चे का नाम

जब करुणाश्रम में बच्चे को देने की प्रक्रिया चल रही थी तो रेस्क्यू किए गए एक बच्चे के कपड़े पर टैग कर नाम लिखा था। जब जांच की गई तो पाया गया कि दूसरा बच्चा भी आ गया है। तब सीडब्ल्यूसी को फिर से आवेदन दिया गया और बच्चे को वापस किया।

दो साल सिस्टर बनती है 'मां'

बताया जाता है कि शिशु भवन में दो साल के लिए सिस्टर ही उन बच्चों की धाय मां बनती है। उन्हें दूध पिलाने से लेकर उसके सारे काम करती है। बीच- बीच मे उनके सिंगल पेरेंट्स उन्हें देखने शिशु भवन आते रहते हैं।

कोचांग की है बुधनी, रांची पहुंचे पिता

जिस बुधनी के लिए सीडब्ल्यूसी में हंगामा हुआ था। वह खूंटी के कोचांग गांव की है, जहां महिलाओं के साथ दुष्कर्म की घटना घटित हुई थी। उसके पिता विश्राम सोय रांची पहुंच गए हैं।

बिना जांच दो बच्चे क्यों लौटाए

22 बच्चे में से दो को बिना जांच के क्यों लौटाया गया। समाजसेवी मेरी तिर्की ने सवाल उठाया है कि उन बच्चों के अभिभावकों का डीएनए टेस्ट क्यों नहीं किया गया?

सचिव की पहल पर रिलीज किया बच्चा

बताया जाता है करुणाश्रम से जिन 8 बच्चों को रिलीज किया गया था। उसकी पहल बाल विकास विभाग की सचिव हिमानी पांडेय और निदेशक राजेश सिंह ने की थी।