RANCHI: कोख का सौदा मामले में एक ओर जहां मिशनरीज ऑफ चैरिटी निर्मल हृदय की कार्यशैली पर सवाल उठे हैं। वहीं, बच्चों की हेराफेरी में चाइल्ड वेलफेयर कमिटी(सीडब्ल्यूसी) के पूर्व मेंबर्स भी पाक-साफ नहीं रहे हैं। इनलोगों द्वारा भी अपने अधिकारों का गलत उपयोग कर रेस्क्यू किए गए बच्चे को बिना नियम-कानून का पालन किए अधिकारी को सौंप दिया गया था। मामले में बनारी के रहने वाले बच्चे के पिता ने लोअर बाजार थाने में सनहा भी दर्ज कराया था। जबकि सीडब्ल्यूसी के एक पूर्व मेंबर ने जीवित पिता को मृत व मां को विक्षिप्त बताकर गुमला के एडीएम रंजना देवी को यह बच्चा सौंप दिया था। मामले की जांच विधि सह परिवीक्षा अधिकारी दुर्गा शंकर व संरक्षण पदाधिकारी सीमा शर्मा ने की थी। मामले की जांच व रिपोर्ट से संबंधित डॉक्यूमेंट दैनिक जागरण आईनेक्स्ट के पास है।

जांच में हुआ था खुलासा

यह मामला काफी जोर-शोर से उठा था और बाल संरक्षण पदाधिकारी के आदेश पर मिशनरीज ऑफ चैरिटी जेल रोड रांची को सुपुर्द डेढ़ वर्षीय अजय कुमार मामले में जांच हुई थी। मामले में संस्था के इंचार्ज से पूछने पर बताया गया कि बाल कल्याण समिति के प्रभारी अध्यक्ष बच्चे को लेकर बाल श्रम विभाग के कार्यालय में बुलाए थे। वहां कार्यालय से एक आदेश पत्र दिया गया और मौके पर मौजूद दो महिलाओं के हवाले अजय को करने के लिए कहा गया। फिर दोनों महिलाओं को बच्चा सौंप दिया गया।

बच्चा चाची को सौंपने की कही थी बात

बच्चा के परिवार के पहचान पत्र एवं पते के विषय में पूछने पर कहा कि अन्य जानकारी नहीं दी जा सकती है। तत्कालीन प्रभारी अध्यक्ष ने बताया था कि बच्चे के पिता की मृत्यु हो गई है तथा उसकी मां ने दूसरी शादी कर ली है। इसलिए बच्चे के भविष्य को देखते हुए उसे चाची को दे दिया गया है। बच्चे के परिवार का पता भी नहीं बताया गया।

जांच पर भी उठा था सवाल

जांचकर्ताओं ने कहा कि उपलब्ध दस्तावेज के मुताबिक, इस केस में न किसी प्रकार की जांच का आदेश आया था और न जांच की रिपोर्ट ही प्राप्त हुई है। किशोर न्याय(बालकों की देखरेख और संरक्षण)अधिनियम2000 की धारा 33 की उपधारा 2 एवं 4 के मुताबिक, बाल कल्याण समिति रांची द्वारा जांच का आदेश निर्गत करना चाहिए था। बाल कल्याण समिति द्वारा निर्गत डिस्चार्ज ऑर्डर प्रावधान के अनुरूप नहीं पाया गया है। डिस्चार्ज ऑर्डर में रंजना देवी का हस्ताक्षर है, पर पहचान व पते से संबंधित कोई दस्तावेज उपलब्ध नहंीं है। डिस्चार्ज ऑर्डर में एक ही मेंबर का हस्ताक्षर है, जबकि नियम के मुताबिक, तीन मेंबर का हस्ताक्षर होना अनिवार्य है। हस्ताक्षर में भी तारीख में ओवरराइटिंग पाई गई है।

क्या है मामला

जानकारी के मुताबिक, रांची रेलवे स्टेशन से 20 अगस्त 2015 को डेढ़ साल का एक बच्चा बरामद किया गया था। उसे देखभाल के लिए मिशनरीज ऑफ चैरिटी निर्मल हृदय को दे दिया गया। 23 अक्टूबर, 2015 को उस बच्चे को गुमला की एडीएम रंजना देवी को अवैध तरीके से दे दिया गया।