RANCHI: रांची में सिटी बसों का चलना एक बार फिर मुश्किल में फंसता नजर आ रहा है। एक तरफ जहां रांची नगर निगम ने सिटी बस के संचालन का जिम्मा टेंडर के माध्यम से एक प्राइवेट कंपनी को दिया है, वहीं दूसरी ओर, मौजूदा सिटी बस के ड्राइवर और कंडक्टर सिटी बसों को निजी हाथों में देने का विरोध करना शुरू कर दिए हैं। इनका कहना है कि सिटी बस सर्विस रांची नगर निगम अपने हाथ में रखे। इसे चलाने का जिम्मा प्राइवेट कंपनी को न दे। क्योंकि इन ड्राइवर और कंडक्टर के सामने रोजी-रोटी का संकट उत्पन्न हो जाएगा। वहीं, बस सर्विस निजी हाथों में जाने के बाद सर्विस महंगी हो जाएगी। इसी मुद्दे को लेकर रविवार की सुबह सरकारी बस स्टैंड में सिटी बस कर्मियों ने मीटिंग कर सिटी बस 23 मार्च को नहीं चलाने का एलान किया है।

1 अप्रैल से मेसर्स किशोर मंत्री एजेंसी को चलाना है बस

रांची शहर में1 अप्रैल से बसों के संचालन का जिम्मा रांची नगर निगम ने मेसर्स किशोर मंत्री बस सर्विस को दिया है। इसके पहले बसों का संचालन जेटीडीसी करता था। लेकिन 1 अप्रैल से सिटी बसों के संचालन का जिम्मा झारखंड सरकार के नगर विकास विभाग ने रांची नगर निगम को दिया था। इसके बाद रांची नगर निगम ने टेंडर निकाला और यह जिम्मेवारी मेसर्स किशोर मंत्री एजेंसी को दे दी। ऐसे में मौजूद सिटी बस कर्मी गुस्से में हैं, और वे इसका विरोध कर रहे हैं।

शुरू से ही विवाद में रहा सिटी बसों का संचालन

जेएनएनयूआरएम स्कीम के तहत रांची नगर निगम को 70 बसें मिली थीं। इनके संचालन का काम रांची नगर निगम ने झारखंड टूरिज्म डेवलपमेंट कारपोरेशन को दिया था। इन बसों की शुरुआत बड़े धूम-धड़ाके के साथ हुई थी, लेकिन मेनटेनेंस के अभाव और जेटीडीसी और रांची नगर निगम की आपसी खींचतान से 70 बसों में से 30 बसें चलनी बंद हो गईं। अब सिर्फ 40 बसें ही किसी तरह रोड पर चल रही थीं। जेटीडीसी ने चार साल तक बस का संचालन किया। सिटी बसें जब से शुरू हुईं, कभी भी अच्छे से इनका परिचालन नहीं हुआ। कभी मैन पावर की कमी तो कभी बसों के मेनटेनेंस के नाम पर हमेशा इसको लेकर विवाद रहा।