रांची (ब्यूरो)। साइबर फ्राड ने पोस्टर पर फोन नंबर जारी किया है, जिसमें फोन करने पर प्रॉपर्टी लोन, पर्सनल लोन लेने का ऑफर दिया जाता है। वहीं स्टूडेंट और लेडिज को इंटरेस्ट में छूट देने की बात कह कर जाल में फंसाया जा रहा है। 50 हजार से लेकर पांच लाख रुपए का लोन बिना किसी गारंटी के महज 24 घंटे में देने का लालच दिया जाता है। कम समय में बिना झंझट के लोन की बात की सुनकर कई लोग इनके झांसे में आ जाते हैं। रांची और आस-पास के इलाकों में इस तरह के सैकड़ों पोस्टर लगे हुए हैं। रांची में साइबर अपराध काफी फल फूल रहा है। फ्राड अलग-अलग हथकंडे अपनाकर लोगों को लूटने का रास्ता ढूंढते रहते हैं। पहले जामताड़ा साइबर फ्राड के लिए जाना जाता था, अब रांची में भी कई घटनाएं साइबर से जुड़ी हो रही हैं। साइबर अपराधियों ने रांची में भी अपना ठिकाना बना लिया है।

ऐसे करते हैं ठगी

साइबर फ्राड सरकार की अलग-अलग योजनाओं पर नजर बनाए रखते हैं। जैसे ही कोई योजना आम जनता को आर्थिक रूप से संबल बनाने के लिए लाई जाती है। साइबर फ्राड उसका क्लोन तैयार कर लेते हैं। इससे मिलता जुलता वेबसाइट बना कर पब्लिक डोमेन में इसे जारी कर देते हंै। इसके अलावा बैनर पोस्टर की मदद ये गली-मुहल्लों में रहने वाले लोगों तक पहुंच जाते हैं। आसान तरीके से और कम समय में लोन देने की बात कह कर फ्राड आम नागरिकों को अपने झांसे में लेते हैं। उनके पेन कार्ड, आधार कार्ड, बैंक अकाउंट स्टेटमेंट और मोबाइल नंबर लेते हैं। सभी पेपर लेने के बाद लोगों के अकाउंट में सेंधमारी करते हैं। मोबाइल नंबर पर ओटीपी भेजा जाता है, जिसे बताते ही लोगों के अकाउंट खाली होने शुरू हो जाते हैं। लेकिन लोग इससे अनजान लोन मिलने की उम्मीद लगाए रह जाते हैं।

पुलिस ने जारी किया अलर्ट

ठगी के मामले में पुलिस पहले भी अलर्ट जारी कर चुकी है। इस बार फिर से रांची, हजारीबाग समेत राज्य की अलग-अलग पुलिस ने इस संबंध में अलर्ट जारी किया है। पोस्टर जारी कर पुलिस ऐसे लोगों के झांसे में न आने की अपील कर रही है। झारखंड पुलिस ने लोगों को ऐसे विज्ञापनों से बचने की अपील की है। इसके झांसे में आने पर जमा पूंजी गंवाने का खतरा बताया है। पुलिस अपने स्तर से इन शातिर अपराधियों की पहचान कर उन्हें पकडऩे में लगी है। साथ ही आम नागरिकों से भी ऐसी सूचना मिलने पर फौरन इसकी जानकारी पुलिस को देना को कहा है। पुलिस ने बताया कि ऐसे लोग युवाओं को भी एजेंट बनकर नौकरी करने की सलाह देते हैं, जिसके लिए दस से 15 हजार रुपए वेतन भी दिया जाता है। ऐसे कई गिरोह इस तरह का काम सिर्फ झारखंड ही नहीं, बल्कि देश के अलग-अलग हिस्सों में कर रहे हैं।

पहले भी कर चुके हैं ठगी

प्रधानमंत्री के नाम पर ठगने का यह पहला मामला नहीं है। साइबर फ्राड इससे पहले भी पीएम के नाम पर अलग-अलग लालच देकर लोगों को अपना शिकार बनाते रहे हैं। लॉकडाउन के समय कोरोना संक्रमण से बचने और आजीविका चलाने के नाम पर लोन देने की बात कह कर भी लोगों को ठगा गया। लोन लेने के लिए एटीएम कार्ड से लेकर जरूरी दस्तावेज गिरवी रखने की शर्त रखी जाती थी। प्रॉसेसिंग फीस के नाम पर रकम अलग-अलग खातों में जमा करवाए जाते थे। ऐसे दर्जनों साइबर फ्राड को पुलिस ने गिरफ्तार भी किया है। लेकिन फिर भी उनपर शिकंजा कसने में अब भी पुलिस को कामयाबी नहीं मिली है।