RANCHI: दस सालों में रांची ने बिजनेस में कई उतार-चढ़ाव देखे। शहर में कई नए उद्योग लगे तो कई उद्योग बंद भी हो गए। इन दस सालों में इन्वेस्टर्स समिट और मोमेटंम झारखंड का आयोजन कर नए उद्योग लगाने के लिए एमओयू किये गये तो बिजली नहीं रहने के कारण कई उद्योग बंद भी हो गए।

गरमेंटस उद्योग का हब बना रांची

इस दौरान गारमेंट इंडस्ट्री की संख्या अच्छी-खासी है। गारमेंट इंडस्ट्री का बड़ा नाम अरविंद लिमिटेड द्वारा नामकुम हाइटेंशन फैक्ट्री परिसर में रेडीमेड गारमेंट्स की सबसे बड़ी फैक्ट्री लगाई गई है। वहां 4000 मशीनें लगायी गयी है, जिसमें प्रत्यक्ष रूप से हजारों लोगों को काम मिलेगा। अरविंद लिमिटेड की नामकुम में 2.7 लाख वर्गफ ट में फैक्ट्री बन रही है। यहां एक साथ एक शिफ्ट में चार हजार लोग काम करेंगे। स्किल डेवलपमेंट मिशन द्वारा इन्हें सिलाई का प्रशिक्षण मिल चुका है।

ओरिएंट क्राफ्ट की भी फैक्ट्री

रांची के खेलगांव में ओरिएंट क्राफ्ट की नई फैक्ट्री लगायी गयी है। यहां एक साथ 3000 महिलाओं को रोजगार मिल रहा है। इरबा में ओरिएंट क्राफ्ट की रेडिमेड गारमेंट की फैक्ट्री पहले से ही है। यह दूसरी यूनिट है। फि लहाल, इनमें 80 प्रतिशत महिलाएं हैं। जहां 150 करोड़ रुपये का निवेश किया गया है। इस प्रोजेक्ट में 50 गारमेंट प्रतिदिन बनेंगे, जो मा‌र्क्स एंड स्पेंसर यूके और गैप यूएसए को निर्यात किये जाएंगे।

40 कंपनियों ने किया है एमओयू

मोमेंटम झारखंड के आयोजन के बाद से झारखंड टेक्सटाइल हब बनता जा रहा है। झारखंड अब जल्द ही कपड़ा उत्पादन में भी अग्रणी राज्य बनने जा रहा है। झारखंड में तेजी से टेक्सटाइल और फुटवियर की कंपनियां प्लांट लगाने आ रही हैं। अबतक 40 से अधिक कंपनियां झारखंड में आने की इच्छा जता चुकी हैं। झारखंड में वस्त्र उद्योग लगाने के लिए झारखंड सरकार ने अपना दरवाजा खोल दिया है। इस क्षेत्र में निवेशकों को भारी छूट और सब्सिडी दी जा रही है। इस कारण बड़ी कंपनियों का आकर्षण इस राज्य की ओर बढ़ा है। सरकार जमीन 50 परसेंट की दर पर दे रही है तो प्रति कामगार 5000 रुपये प्रति माह की दर से सब्सिडी भी दे रही है। यह सब प्रावधान झारखंड टेक्सटाइल एंड फु टवियर पॉलिसी 2016 में किया गया है।

कई बड़े उद्योग बंद भी हुए

झारखंड का पहला मेगा फूड पार्क उत्पादन शुरू करने से पहले ही नीलाम हो रहा है। इस फूड पार्क के निदेशक का दुबई में निधन हो गया था जिसके बाद इसका पूरा प्रबंधन गड़बड़ा गया। इस पार्क की स्थापना गेतलसूद डैम के पास रियाडा की 56 एकड़ जमीन पर हुआ था। तत्कालीन राज्यपाल सैयद सिब्ते रजी, तत्कालीन केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण मंत्री सुबोधकांत सहाय और बाबा रामदेव ने 23 फ रवरी 2009 को इसका शिलान्यास किया था। यहां 33 यूनिट लगनी थी। लोहरदगा, गोला, कोडरमा और हजारीबाग में स्टोर बनाने के साथ कच्चे माल की प्रॉसेसिंग होनी थी। उद्योग विभाग ने इसके लिए स्पेशल पर्पस व्हीकल भी बना दिया था।

हर माह इंडस्ट्रीज को 150 करोड़ का घाटा

राजधानी में बिजली नहीं मिलने के कारण उद्योग-धंधे चौपट हो रहे हैं। झारखंड में बिजली संकट की वजह से लघु एवं कुटीर उद्योगों का हाल खस्ता है। राजधानी समेत राज्य के अधिकतर इलाकों में बिजली गायब रहती है। इस स्थिति में उद्यमियों के सामने उद्योग को बचाए रखना काफी मुश्किल हो गया है। रांची में 10 हजार से अधिक एमएसएमई यूनिट हैं, जो बिजली के कारण बेहाल हैं। बिजली नहीं मिलने से फैक्ट्रियों में रॉ मैटेरियल बर्बाद हो रहा है साथ ही मैन पावर को बैठाकर पैसा देना पड़ रहा है। बिजली नहीं रहने सेसबसे अधिक प्लास्टिक उद्योगों को असर पड़ रहा है। प्लास्टिक का मैटेरियल बनाने के लिए जो रॉ मैटेरियल होता है वो कंटीन्यू मशीन चलने से बनता है। लेकिन दिन भर में कई बार लाइट कटती है, इसके साथ ही मशीन बंद हो जाती है और थोड़ी देर मशीन बंद रहने के कारण रॉ मैटेरियल हार्ड हो जाता है जो किसी काम का नहीं बचता है।