रांची: जमीन के खेल में भू माफिया के साथ-साथ सरकारी बाबुओं का भी बड़ा रोल है। बगैर सरकारी हस्तक्षेप के जमीन पर कब्जा संभव नहीं है। इसमें अपराध को बढ़ावा देने में सीओ ऑफिस से लेकर रजिस्ट्री ऑफिस तक के अधिकारी-पदाधिकारी की सांठ-गांठ रहती है। सीओ ऑफिस जहां विवादित जमीन की रसीद काटने में विलंब नहीं करता वहीं एक ही जमीन की बार-बार रजिस्ट्री करने में रजिस्ट्री ऑफिस को कोई गुरेज नहीं है। जमीन को विवादित बनाने में इन दिनों ऑफिस के पदाधिकारी कोई कोर-कसर नहीं छोड़ रहे। कार्यालय में चपरासी से लेकर अधिकारी सभी का परसेंटेज बंधा होता है, जिस वजह से विवादित जमीन पर आसानी से रसीद जारी कर दी जाती है। ऐसे कई मामले सामने आए हैं जिनमें अंचल कार्यालय और रजिस्ट्री कार्यालय की गड़बड़ी की वजह से विवाद पनपा है। कांके सीओ से लेकर डोरंडा अंचल ऑफिस के कर्मचारी के नाम भी सामने आ चुके हैं। कार्यालय में जमीन की गलत तरीके से म्यूटेशन और अलग-अलग रसीद जारी करने का खेल नया नहीं है। यह खेल काफी लंबे समय से चला आ रहा है। लेकिन राज्य के अलग गठन के बाद इनमें काफी तेजी आ गई है।

अमीन से सीओ तक की कंप्लेन

सरकारी अमीन से लेकर सीओ तक की सैकड़ों शिकायतें लोकायुक्त के पास साल भर आती रहती हैं। गलत तरीके से जमाबंदी, दाखिल-खारिज, सरकारी जमीन को रैयती बताकर उसका नाम ट्रांसफर करने का खेल इन्ही कार्यालयों से शुरू होता है। पहले किसी एक पार्टी को जमीन बेचने से खेल की शुरुआत होती है। जब खरीदार उस जमीन पर कब्जा लेने जाता है उस वक्त जमीन का दूसरा खरीदार विरोध में खड़ा हो जाता है। इसी बीच जमीन का कोई और मालिक भी आकर अपना दावा पेश करने लगता है। देखते ही देखते जमीन का विवाद बढ़ने लगता है और इसी में अपराध जन्म ले लेता है।

रजिस्ट्री करा बेच दी जीएम लैंड

झारखंड में एसटी प्लाट की बिक्री करने पर प्रतिबंध है। लेकिन पैसे के लालच में सरकारी बाबुओं की मदद से एसटी-एससी प्लॉट भी आसानी से बेच देते हैं। वहीं जमीन दलाल गैर मजरुआ जमीन भी बेच डालते हैं। एक प्लॉट की बिक्री में स्थानीय जमीन दलाल, नेता और पुलिस की भी बड़ी भूमिका होती है। जमीन पर कब्जा दिलाने व रोकने का गिरोह भी चलता है। जिस जमीन पर विवाद है उसी इलाके के कुछ लोग दंबगों की तरह जमीन के आसपास जमे रहते हैं। जैसे ही कोई जमीन पर कंस्ट्रक्शन का काम होता है, इसकी खबर वे अपने बॉस तक पहुंचाते है और फिर काम रुकवाने के लिए दल-बल के साथ सैकड़ों लोग जमा हो जाते हैं। जबतक पुलिस पहुंचती है तबतक घटना बड़ा रूप ले लेती है।

केस स्टडी -1

जुमार नदी और उसके आसपास 25 एकड़ सरकारी जमीन घोटाला मामला कुछ दिन पहले ही प्रकाश में आया है। इसमें कांके सीओ अनिल कुमार की भी संलिप्तता पाई गई है। एसीबी ने इस मामले में अपनी जांच शुरू कर दी है। जुमार नदी जमीन घोटाले में सीएम ने भी कड़ा एक्शन लिया है। मुख्यमंत्री के आदेश के बाद जमीन घोटाला मामले में जांच तेज कर दी गई है।

केस स्टडी -2

बरियातू थाना क्षेत्र के जयप्रकाश नगर में कुछ भू माफिया ने आदिवासी प्लॉट को जेनरल बता कर बेच दिया। इस जमीन में करोड़ो रुपए की ठगी भी हुई थी। इसमें भी सीओ और दूसरे कर्मचारियों की भूमिका संदिग्ध पाई गई थी। इसके बाद उनपर कार्रवाई के लिए थाने में केस दर्ज भी कराया गया।

केस स्टडी -3

बुंडू में करीब 1700 एकड़ गैरमजरूआ जमीन की खरीद-बिक्री मामले में भी सरकारी बाबुओं की संलिप्तता की जांच की अनुशंसा सरकार से की गई है। मामले पर शिवशंकर शर्मा की ओर से जनहित याचिका अधिवक्ता राजीव कुमार ने दाखिल की है। इसमें आरोप लगाया गया है कि सरकारी अधिकारियों की मिलीभगत से जमीन की रजिस्ट्री कर दी गई है। याचिका में उक्त जमीन की खरीद-बिक्री की जांच एसीबी से कराने की मांग की गई है।