RANCHI:राजधानी में लगातार जमीन की जंग के मामले सामने आ रहे हैं। कुछ मामलों में कार्रवाई की अनुशंसा भी की गई है और कुछ मामलों में कार्रवाई भी हुई है, लेकिन कार्रवाई की रफ्तार विवाद की रफ्तार से काफी धीमी है। जिस तरह से आए दिन जमीन विवाद के मामले देखे जा रहे हैं, उसके मुताबिक कड़ी कार्रवाई की जरूरत है। दैनिक जागरण बीते चार दिनों से जमीन की जंग को लेकर अभियान चला रहा है, जिसमें जमीन जंग के अलग -अलग स्वरूप, वजह और इसके कारणों पर विस्तार से स्टोरी प्रकाशित की गई। आज के अंक में आम लोगों को इस मुद्दे में शामिल किया गया। दैनिक जागरण आई नेक्स्ट की ओर से आयोजित वेबिनार में उन्होंने बेबाकी से अपनी राय रखी

सरकार की कार्यशैली पर सवाल

वेबिनार के दौरान मो जावेद ने जमीन विवाद पर अपने विचार रखते हुए कहा कि जमीन म्यूटेशन को सबसे पहले पारदर्शी बनाने की जरूरत है। जमीन का नक्शा ऑनलाइन अपडेट होने से कई विवाद स्वत: निपट जाएंगे। इसमे भूमि सुधार विभाग का दायित्व सबसे प्रमुख हो जाता है। जमीन विवाद में सरकार की भूमिका भी महत्वपूर्ण होती है। एक ही जमीन की बार-बार रजिस्ट्री होने से सरकारी अधिकारियों के साथ-साथ सरकार की कार्यशैली पर भी सवाल खड़े होते हैं।

पुलिस-प्रशासन रहे अलर्ट

जमीन विवाद पर अपनी राय रखते हुए व्यवसायी दिलवीर सिंह ने कहा कि जमीन विवाद के निपटारे के लिए प्रशासन को सजग होना चाहिए। पुलिस और प्रशासन को जमीन के मसले में हर वक्त पैनी निगाह रखनी चाहिए। खाली जमीन पर भू माफिया की नजर रहती है। मौका मिलते ही जमीन का पेपर बना कर उस पर कब्जा करने की साजिश रचने लगते हैं। प्रशासन यदि अलर्ट रहेगा तो ऐसा कर पाना मुश्किल होगा।

सरकारी बाबूओं की मिलीभगत

विजय मिश्रा ने कहा कि जमीन विवाद में सरकारी बाबूओं की भूमिका अहम होती है। एक ही जमीन की बार-बार रजिस्ट्री करने का मामला हो या अंचल ऑफिस से रसीद कटवाने का मसला हो। सभी में सरकारी बाबूओं की मिलीभगत होती है। अंचल और रजिस्ट्री ऑफिस के कर्मचारियों की भी भूमिका अहम होती है। सरकारी अमीन तक भी पैसे लेकर कुछ का कुछ नक्शा निकाल कर दे देते हैं। कार्रवाई के नाम पर सिर्फ कागजी घोडे़ दौड़ाए जाते हैं।

सरकारी जमीन भी बेच देते हैं दलाल

विक्रम कुमार के अनुसार जमीन दलाल सरकारी जमीन, ग्रीन लैंड को भी नहीं छोड़ते हैं। उसे भी रैयती बता कर वे लोगों को बेच देते हैं। जमीन खरीदने वाला जिंदगी भर परेशान होता रहता है। कभी सरकारी नोटिस, कभी घर पर बुल्डोजर चलने का डर हर वक्त सताता रहता है। लोगों को जमीन का नेचर पता नहीं होता है। वे रैयती जमीन समझ कर उसमे फंस जाते हैं और जमीन दलाल पैसे लेकर रफूचक्कर हो जाते हैं। इसमें सरकार को कडे़ कदम उठाने की जरूरत है।

इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता है कि बीते कुछ दिनों में जमीन की विवाद में तेजी आई है, लेकिन पुलिस पूरी तरह से सजग है। पुलिस की सजगता का ही परिणाम है कि लगातार एनकाउंटर में अपराधी या मारे जा रहे हैं या फिर उनकी गिरफ्तारी हो रही है।

-नौशाद आलम, रूरल एसपी, रांची