रांची (ब्यूरो)। घूमने-फिरने के लिए वैसे तो राजधानी में कई खूबसूरत स्पॉट्स हैं, जहां लोग जाकर फैमिली या फ्रेंड्स के साथ टाइम स्पेंड करते हैं। सुकून के दो पल बिताने के लिए राजधानी वासी ज्यादातर पार्क में ही जाना पसंद करते हैं। राजधानी रांची में भी कई पार्क बने हैं। कुछ नगर निगम के अधीन है तो कुछ की रखरखाव पर्यटन विभाग करता है। लेकिन सिटी में दोनों डिपार्टमेंट सुस्त पड़े है। जिससे पार्कों का हाल बदहाल होता जा रहा है। ऐसा ही पार्क है कांके डैम पार्क। डैम के किनारे बना यह पार्क किसी रमणीक स्थान से कम नहीं है। लेकिन विभागीय उदासीनता के कारण पार्क का हाल बदहाल होता है। इस पार्क के निर्माण में करोड़ों रुपए खर्च किए गए। लेकिन इसकी वर्तमान हालत ऐसी है कि कोई यहां आना नहीं चाहेगा। पार्क के कर्मचारियों ने बताया कि बीते कुछ महीनों में पार्क की हालत दयनीय हो गई है। पूरे परिसर में बदबू और दुर्गंध है। घूमने-फिरने वाले नहीं, सिर्फ मॉर्निंग वाक के लिए ही लोग यहां आते हैं।

80 लाख की लेजर लाइट

पार्क की सबसे बड़े खासियत यह थी कि यहां पहाड़ पर बिरसा मुंडा की जीवनी दिखाई जाती थी। लेजर लाइट की मदद से करीब 30 मिनट का शो दिखाया जाता है। लेकिन कुछ महीने चलकर ही यह बंद हो गया, जिसके बाद आज तक दोबारा स्टार्ट नहीं हो सका है। इस पूरे उपकरण को लगाने में करीब 80 लाख रुपए खर्च किए गए थे। लगाए गए सभी उपकरण या तो बर्बाद हो चुके हैं या फिर चोरी कर लिए गए हैं। वहीं, दर्शकों के बैठकर देखने के लिए यहां कुर्सियां भी लगाई थी। यह भी टूटकर बर्बाद चुकी है। इसके अलावा पार्क में रेस्टॉरेंट भी बनवाया गया था, जो कभी शुरू ही नहीं हो सका। मेंटेनेंस के अभाव ने पार्क को पूरी तरह कंडम कर दिया है। पहले जहां हर दिन यहां पांच सौ से अधिक लोग आते थे। अब मुश्किल से सौ लोग भी नहीं पहुंचते।

डैम के गंदे पानी से बदबू

पार्क में डैम का गंदा पानी घुस गया है। चलने के लिए बनाई गई सड़क पर गंदा पानी जमा रहता है। लोग अगल-बगल से होकर गुजरते हैं। यह पानी काफी दिनों से पड़ा होने के कारण सड़ चुका है। अब इससे दुर्गंध आनी शुरू हो गई है। इतना ही नहीं, डैम के आसपास जलकुंभियों की भी भरमार है, जिससे इसकी खूबसूरती में दाग लग रहा है। बैठने के लिए लगाई गई कुर्सियां और मेज टूट चुके हैं।

टूट गए झूले, नहीं बना फाउंटेन

बच्चों के मनोरंजन के लिए लगाया गया झूला भी टूट चुका है। झूले के आसपास बड़ी-बड़ी झाडिय़ां निकल आई हैं। पर्यटन विभाग इसके रखरखाव में कोई ध्यान नहीं दे रहा है। टॉयलेट की भी स्थिति ठीक नहीं है। डैम के अंदर बनाए गए आर्टिफिशियल ब्रिज का हाल भी बेहाल है। वाटर फाउंटेन भी बनाने की योजना थी, लेकिन इस पर भी कोई काम नहीं हुआ। दिल्ली के अक्षरधाम मंदिर की तर्ज पर म्यूजिकल वाटर फाउंटेन बनाने की योजना थी। वाटर फाउंटेन का काम भारत पर्यटन विकास निगम की ओर से होना था। इसमें पानी के बीच अठखेलियों के साथ शिव तांडव और कालका मर्दन का शो भी दिखाया जाना था। लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हुआ।

पार्क का हाल बुरा है। यहां लेजर लाइट काफी समय से बंद है। रेस्टॉरेंट और फाउंटेन का निर्माण ही नहीं हुआ। सुरक्षा कर्मी की भी कमी है।

-जयनारायण सिंह, सुपरवाइजर