रांची(ब्यूरो)। लोग समय के साथ अपडेट हो रहे हैं। पहले जहां पहले तल्ले से दूसरे तल्ले में जाने के लिए लोग सीढिय़ों की मदद लेते थे। वहीं अब लगभग ऊंची इमारतों में सीढिय़ों की जगह लिफ्ट ने ले ली है। लेकिन लिफ्ट एक मशीन है इसलिए इसका मेनटेनेंस बेहद जरूरी हो जाता है। कई बार देखा गया है कि लिफ्ट में लोग फंस जाते हैं। अचानक लिफ्ट बंद हो जाती है। या फिर लिफ्ट के गेट नहीं खुलते। हालांकि, बंद होने की ज्यादातर घटनाएं बिजली की वजह से होती हैं। लाइट कटने के कारण लिफ्ट बंद हो जाती हैं और अंदर व्यक्ति लिफ्ट में ही फंस जाता है, जबकि इन दिनों बड़ी-बड़ी बिल्डिंग्स में जेनरेटर जरूर होता है। लेकिन इसे लिफ्ट से कनेक्ट नहीं करने के कारण बिजली कटने पर लिफ्ट बीच में ही बंद हो जाती है। ऐसी कोई भी घटना होने के बाद लिफ्टमैन को मदद के लिए बुलाया जाता है। राजधानी रांची में भी लिफ्ट में फंसने के मामले सामने आ रहे हैं।
आधे घंटे लिफ्ट में फंसे रहे 4 व्यापारी
इसी महीने नामकुम स्थित स्वास्थ्य निदेशालय की लिफ्ट में चार व्यापारी फंस गए। चारों करीब 30 मिनट तक लिफ्ट में फंसे रहे, जिससे उनकी बेचैनी काफी बढ़ गई। आक्सीजन की कमी की वजह से दो व्यापारी लिफ्ट में ही बेहोश हो गए। लोग किसी प्रकार लिफ्ट के दोनों दरवाजों के बीच बने गैप में नाक लगाकर सांस लेते रहे, लेकिन उनकी भी स्थिति खराब होती चली गई। बड़ी मुश्किल से आधे घंटे बाद लिफ्ट खोलकर चारों को बाहर निकाला गया। बड़ी मुश्किल से किसी प्रकार आधा घंटा बाद लिफ्ट खोला गया, जिसके बाद राजेश कुमार, मनीष कुमार, शाहिद और अभिषेक को बाहर निकाला गया। मनीष कुमार व राजेश कुमार को प्रारंभिक उपचार के बाद होश आया।
हर चार दिन पर लिफ्ट खराब
राजधानी में बनी कई पुरानी बिल्डिंग्स में भी लिफ्ट हैं, जो अब खराब होने लगी हैं। समय-समय पर इन्हें मेनटेनेंस की जरूरत होती है। कई बार लिफ्ट बंद होने की कंप्लेन के बाद मेनटेनेंस कराया जाता है। वहीं सिर्फ पुराने भवन ही नहीं, बल्कि सरकारी बिल्डिंग में भी लिफ्ट खराब होने की शिकायतें आती रहती हैं। डीसी ऑफिस ब्लॉक बी में हर चार दिन बाद लिफ्ट खराब हो जाती है। यहां आने वाले डरे-सहमे लिफ्ट का इस्तेमाल करते हैं। कहीं बीच में ही बंद हो गई तो परेशानी बढ़ जाएगी। स्वास्थ्य निदेशालय की लिफ्ट ने बीते पांच अगस्त को धोखा देकर लोगों की धड़कनें बढ़ा दी थीं। अब यहां आने वाले लोग सीढिय़ों का प्रयोग करने लगे हैं। इसी प्रकार और भी सरकारी भवन हैं जहां मेनटेनेंस के अभाव में लिफ्ट में खराबी आ रही है। इधर राज्य के सबसे बड़े हॉस्पिटल रिम्स में भी लिफ्ट की हालत सही नहीं है।
छेड़छाड़ से भी बढती है मुश्किलें
सरकारी कार्यालयों में लिफ्ट के बार-बार खराब होने के पीछे की वजह आम लोग भी हैं। कई लोग लिफ्ट से छेड़छाड़ करते हैं। लिफ्ट के गेट से लेकर चारों साइड कुरेद कर कुछ न कुछ लिख देते हैं। यहां तक कि लिफ्ट में लगे बॉल होल्डर तक उखाड़ कर ले जाते हैं। इसके अलावा कभी बटन तो कभी गेट से छेड़छाड़ कर इसे खराब कर देते हैं। सरकारी लिफ्ट को लोगों ने पीकदान बना रखा है। हर तरफ पान और गुटखा की पीक नजर आती है। विवश होकर प्रबंधन लिफ्ट बंद कर देता है। डीसी ऑफिस छह तल्ले का है। सीढ़ी से चढ़ते-चढ़ते लोगों की सांसें फूलने लगती हैं, जिस कारण लिफ्ट जरूरी हो जाता है। हर आम नागरिक का भी दायित्व है कि अपनी संपत्ति समझ कर इसकी सुरक्षा खुद करें।
क्या हैं नियम
- बिजली निगम की तरफ से 3 साल में लिफ्ट की जांच की जाती है।
- बिल्डर को हर साल लिफ्ट का इलेक्ट्रिकल इंस्पेक्टर से निरीक्षण के बाद लाइसेंस रिन्यूवल करवाना पड़ता है।
- मेनटेनेंस कंपनी के बारे में जानकारी देनी होती है।
- लिफ्ट में एआरडी (ऑटोमेटिक रेस्क्यू डिवाइस) सिस्टम लगाना अनिवार्य है।
- अनियमितताएं बरतने पर बिल्डर पर 50 हजार रुपये जुर्माना लगाने का प्रावधान है।
- जुर्माने के बावजूद लिफ्ट ठीक नहीं की जाती तो 5 हजार रुपये रोजाना जुर्माने का प्रावधान है।

क्या कहते हैं डॉक्टर
-हमेशा चेक करें कि लिफ्ट का दरवाजा ठीक से बंद है या नहीं। सबसे सामान्य कारणों में से एक है कि लिफ्ट का दरवाजा ठीक से बंद नहीं होने के कारण वह अटक जाता है।

-शांत रहें और घबराएं नहीं, तनाव के कारण किसी का दिमाग काम करना बंद कर सकता है। अगर आप लिफ्ट में फंस जाएं तो ऐसी स्थिति में शांत रहें और घबराएं नहीं। अपने माइंड को स्थिर रखें। ऐसी स्थिति में शोर नहीं मचाना चाहिए, न ही घबराना चाहिए। क्योंकि इससे आपका ब्लडप्रेशर बढ़ सकता है जिस कारण आपकी जान भी जा सकती है।

-कॉल बटन दबाएं। लिफ्ट के कंट्रोल पैनल में एक कॉल बटन होता है जो रखरखाव टीम से संपर्क करने के लिए होता है। लिफ्ट में फंसने पर इसे तुरंत दबाएं।