रांची (ब्यूरो) । एक दिन पहले जमशेदपुर में डेंगू के मरीज की मौत के बाद राजधानी रांची पर भी डेंगू का खतरा मंडराने लगा है। सिटी में लगातार डेंगू के मरीजों की संख्या में वृद्धि देखी जा रही है। रिम्स में वर्तमान में डेंगू संक्रमित 22 मरीज इलाज करा रहे हैं। इसके अलावा निजी अस्पतालों में भी डेंगू पीडि़त इलाज कराने पहुंच रहे हैं। लेकिन प्राइवेट हॉस्पिटल में इलाज के कारण स्वास्थ्य विभाग के पास उनका कोई आंकड़ा नहीं रहता है। वहीं पूरे राज्य में साढ़े तीन सौ ज्यादा मरीज डेंगू से पीडि़त हैं। बीते महीने भर से लगातार डेंगू और चिकनगुनिया के मरीज मिल रहे हैं। रिम्स में इलाजरत 22 मरीजों में पांच रांची जिले के जबकि अन्य दूसरे स्थानों से इलाज के लिए रिम्स आए हैं। राजधानी रांची में खासकर रातू रोड, इंद्रपुरी, मधुकम, ओरमांझी इलाके में मच्छर जनित बीमारी के मरीजों की पुष्टि हुई है। ऐसे में इन इलाकों के लोगों को ज्यादा सावधानी बरतने की जरूरत है।

दवा का छिडक़ाव

डेंगू मरीज की पुष्टि होने के बाद भी नगर निगम की ओर से इसे गंभीरता से नहीं लिया जा रहा है। निगम अब गली-मुहल्लों में दवा का छिडक़ाव नहीं करा रहा है। हालांकि, वीआईपी इलाकों में ऐसा नहीं है। वहां लगातार फॉगिंग कराई जा रही है। लेकिन जिन मुहल्लों से मरीज सामने आए हैं, वहां निगम के कर्मचारी नहीं पहुंच रहे हैं। वीआईपी इलाकों में न सिर्फ समय से फॉगिंग हो रही है बल्कि दवा का छिडक़ाव भी समय से कराया जा रहा है। सीएम आवास, गवर्नर हाउस व मंत्री-विधायक आवास के आसपास समय से फॉगिंग कराई जा रही है। इधर मुहल्ले, कॉलोनी और बस्ती के लोगों को म'छरों का डंक सहना पड़ रहा है। जबकि होल्डिंग से लेकर तमाम प्रकार के टैक्स मुहल्ले, बस्ती और कॉलोनी में रहने वाले लोगों से ही लिये जाते हैं। दर्जनों ऐसे इलाके हैं जहां सालों से लोगों ने फॉगिंग मशीन नहीं देखी है।

बढ़ रही है आबादी

जानकारी के मुताबिक, मच्छरों से निपटने के लिए नगर निगम के पास 11 फॉगिंग मशीन हैं। इनमें 9 कोल्ड फॉगिंग और 2 थर्मल फॉगिंग मशीन हैं। लेकिन वर्तमान में सिर्फ तीन फॉगिंग मशीन से ही पूरे 53 वार्डों में काम चलाया जा रहा है। बाकी मशीन नगर निगम के स्टोर की शोभा बढ़ा रही है। समय के साथ निगम क्षेत्र में लगातार आबादी बढ़ती गई। लेकिन नगर निगम ने संसाधन बढ़ाने में ध्यान नहीं दिया। सिर्फ दो या तीन मशीन से पूरे शहर में मच्छरों से निपटना नाकाफी साबित हो रहा है।

खर्च हर साल 15 लाख

आम नागरिकों को म'छरों से बचाने के लिए नगर निगम हर साल करीब 15 लाख रुपए तेल व केमिकल में खर्च करता है। लेकिन पॉश इलाकों को छोडक़र अन्य इलाकों में कभी-कभार ही फॉगिंग मशीन नजर आती है। इस संबंध में कई लोगों का कहना है कि फॉगिंग के दौरान सिर्फ पानी की ही बौछार की जा रही है। वहीं कीटनाशक भी कम मात्रा में डाला जाता है। तेल ज्यादा डालकर सिर्फ फॉगिंग की खानापूर्ति की जाती है। यही वजह है कि मच्छरों का प्रकोप कम नहीं हो रहा है।

सर्तक रहने की जरूरत

बारिश की वजह से शहर में जहां-तहां जलजमाव की स्थिति उत्पन्न हो रही है। जहां मच्छर पनप रहे हैं। इन्हीं मच्छरों के काटने की वजह से लोगों में डेंगू के लक्षण दिखाई पड़ रहे हैं। ऐसे में लोगों को सतर्क रहने की जरूरत है। बच्चे, महिलाएं, बुजुर्ग जो भी घरों में रहते हैं उन्हें ज्यादा देखभाल की जरूरत है। डॉक्टर बताते हैं कि तेज बुखार, बदन दर्द या सिर दर्द की समस्या हो रही है तो इसे इग्नोर न करें। ज्यादातर मरीज बुखार और बदन दर्द की समस्या लेकर ही आते हैं, लेकिन जांच में पता चलता है कि उन्हें डेंगू है।

बुखार, बदन दर्द, सिर दर्द हो तो इसे इग्नोर न करें, समय रहते डॉक्टर से परामर्श लें। अपने आसपास जलजमाव न होने दें। बच्चों और बुजुर्गों का ख्याल रखें।

-डॉ अनिताभ कुमार, चाइल्ड स्पेशलिस्ट