रांची(ब्यूरो)। राजेंद्र इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस (रिम्स) में ओपीडी की तर्ज पर डायलिसिस की सुविधा शुरू होने वाली है। गर्वनिंग बोर्ड की बैठक में इस पर सहमति जताई गई है। पिछले साल 2021 में ही यह सुविधा शुरू होनी थी, लेकिन टेंडर के पेंच में फंसकर इसकी शुरुआत नहीं हो पा रही है। डायलिसिस के लिए टेंडर का टेक्निकल रिवॉल्यूशन किया गया है, फ ाइनेंसियल बीड के लिए टेंडर नहीं खुला है। जब तक फ ाइनेंसियल बीड का टेंडर नहीं खुलेगा तब तक एजेंसी चयन नहीं होगा। टेंडर जारी होने के बाद आउटसोर्सिंग कंपनी के रिम्स में डायलिसिस का जिम्मा दे दिया जाएगा। इसके बाद 1200 से 1500 रुपए में मरीजों को डायलिसिस की सुविधा दी जाएगी।

चार हजार खर्च

प्राइवेट सेंटर्स में एक बार डायलिसिस के लिए 2500 से लेकर चार हजार रुपए खर्च करने पड़ते हैं। रिम्स में मरीजों की डायलिसिस सरकारी दर पर की जाएगी। ज्यादा मशीनों के लग जाने से डायलिसिस के लिए लंबा इंतजार नहीं करना होगा। सदर हॉस्पिटल में सरकारी दर पर मरीजों की डायलिसिस 1206 रुपए में की जाती है। संभावना जताई जा रही है कि रिम्स में भी डायलिसिस का चार्ज इसी के आसपास होगा।

हफ्ते में तीन दिन तक डायलिसिस

नॉर्मल मरीजों को डॉक्टर हफ्ते में एक से दो सेशन की सलाह देते हैं। ऐसे में रिम्स में डायलिसिस के मरीजों के लिए चार बेड उपलब्ध है। वहीं ट्रामा सेंटर में भी तत्काल मरीजों का डायलिसिस करने के लिए कुछ बेड लगाए गए हैैं, जिससे मरीजों को हमेशा इंतजार करना पड़ता है। रिम्स में ही डायलिसिस कराने वाले करीब 100 मरीज एडमिट रहते हैं, वहीं करीब 500 मरीज डायलिसिस के लिए हर महीने आते हैं।

एक लाख से ज्यादा मरीज

झारखंड में किडनी के मरीजों की संख्या एक लाख से ज्यादा है। झारखंड में इलाज के पर्याप्त इंतजाम नहीं होने के कारण मरीजों को झारखंड से बाहर जाना पड़ता है। वहीं आर्थिक रूप से सक्षम लोग झारखंड में भी इलाज कराते हैं। इसके लिए लाखों रुपए भी खर्च करने पड़ते हैं। ऐसे में रिम्स में यह सुविधा शुरू होने पर मरीजों को कहीं और जाने की जरूरत नहीं होगी।

14 बेड पर बाहर के पेशेंट

जानकारी के मुताबिक रिम्स में 20 बेड के डायलिसिस यूनिट की शुरुआत की जाएगी। 14 बेड पर बाहर के पेशेंट का इलाज होगा। चार बेड रिम्स में भर्ती मरीजों के लिए सुरक्षित रखा जाएगा और 2 बेड बच्चों के लिए रिजर्व रहेगा।