रांची(ब्यूरो)। किडनी की बीमारी से जूझ रहे मरीजों के लिए अच्छी खबर है। अब उनको रिम्स में डायलिसिस कराने के लिए परेशान नहीं होना पड़ेगा। रिम्स की ओर से नेफ्रो प्लस के साथ एमओयू किया गया है, जिसके बाद 25 बेड की डायलिसिस यूनिट जल्द ही शुरू होने वाली है। जो 25 बेड की डायलिसिस यूनिट शुरू होगी उसमें से 20 बेड का उपयोग ओपीडी में इलाज कराने आने वाले किडनी मरीजों के डायलिसिस के लिए किया जाएग। वहीं जो पांच बेड बच जाएगी, उसका उपयोग अस्पताल में किडनी के भर्ती मरीज जो रहते हैं उनके डायलिसिस के लिए किया जाएगा। वर्तमान में किडनी के मरीजों की डायलिसिस ट्रॉमा सेंटर में होती है, लेकिन सिर्फ दो से तीन डायलिसिस मशीन होने से मरीजों को काफ परेशानी होती है।

प्राइवेट में कट रही जेब

प्राइवेट सेंटर में एक बार डायलिसिस के लिए 2500 से लेकर चार हजार रुपए तक खर्च करने पड़ते हैं। रिम्स में मरीजों की डायलिसिस सरकारी दर पर की जाएगी। च्यादा मशीनों के लग जाने से डायलिसिस के लिए लंबा इंतजार नहीं करना होगा। सरकारी दर पर मरीजों की डायलिसिस 1206 रुपए में की जाती है। अभी बहुत सारे लोग रिम्स में जो इलाज कराने आते हैं उनकी आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं होती है, लेकिन उनको मजबूरी में प्राइवेट में इलाज कराना पड़ रहा है।

तीन दिन डायलिसिस

नॉर्मल मरीजों को डॉक्टर हफ्ते में एक से दो सेशन की सलाह देते हैं। ऐसे में रिम्स में डायलिसिस के मरीजों के लिए चार बेड उपलब्ध हैं। इसमें से दो बेड खराब ही रहते हैं। वहीं ट्रामा सेंटर में भी तत्काल मरीजों की डायलिसिस करने के लिए कुछ बेड लगाए गए हैैं, जिससे मरीजों को हमेशा इंतजार करना पड़ता है। रिम्स में ही डायलिसिस कराने वाले करीब 100 मरीज एडमिट रहते हैं, वहीं करीब 500 मरीज डायलिसिस के लिए हर महीने आते हैं।

मरीजों की संख्या ज्यादा

झारखंड में किडनी के मरीजों की संख्या एक लाख से च्यादा है। झारखंड में इलाज के पर्याप्त इंतजाम नहीं होने के कारण मरीजों को झारखंड से बाहर जाना पड़ता है। वहीं आर्थिक रूप से सक्षम लोग झारखंड में भी इलाज कराते हैं। इसके लिए लाखों रुपए खर्च करने पड़ते हैं। ऐसे में रिम्स में यह सुविधा शुरू होने पर मरीजों को कहीं और जाने की जरूरत नहीं होगी।

रिम्स में किडनी मरीजों के लिए रिसर्च

किडनी रोगियों को अब जल्द ही डायलिसिस नहीं करवाना पड़ेगा। ऐसे मरीजों को डायलिसिस करवाने के लिए अब सात से आठ महीने का अतिरिक्त समय मिल सकेगा। झारखंड के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल रिम्स के नए शोध में यह नई बात सामने आई है। शोध में बताया गया है कि सिर्फ समय पर फि स्टूला डायलिसिस के लिए की जाती है फि स्टूला की सर्जरी लगाने से जिनकी किडनी खराब है, उनकी किडनी के खराब होने की रफ्तार को भी 30 प्रतिशत कम किया जा सकेगा। रिम्स के नेफ्रोलॉजी विभाग की ओर से किए गए इस शोध से लाखों किडनी रोगियों को लाभ मिल सकेगा। इस शोध के परिणाम को यूएसए व इटली के जर्नल ऑफ वैस्कूलर एक्सेस ने अपने यहांं पब्लिश भी किया है।