RANCHI: डॉक्टरों को धरती का भगवान कहा जाता है। लेकिन यहां तो भगवान की ही कमी है। इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि 23 हजार की आबादी पर केवल एक ही डॉक्टर है। ऐसे में हम मरीजों के बेहतर इलाज की कल्पना कैसे कर सकते हैं। और यहीं वजह है कि इलाज कराने के लिए भी मरीजों को डॉक्टरों का इंतजार रहता है, जहां एक हजार की आबादी पर एक डॉक्टर होना जरूरी है, वहां एक डॉक्टर के भरोसे 23 हजार आबादी है। इसके बावजूद सरकार डॉक्टरों की बहाली करने को लेकर गंभीर नहीं है। बताते चलें कि डब्ल्यूएचओ के अनुसार, एक हजार की आबादी पर एक डॉक्टर जरूरी है।

रांची में 1400 डॉक्टर्स की जरूरत

राजधानी के अरबन एरिया की आबादी करीब 14 लाख है। ऐसे में यहां पर 1400 डॉक्टरों की जरूरत है। जबकि इतनी संख्या तो पूरे राज्य में डॉक्टरों की है। वहीं शहर में भी डॉक्टरों की संख्या आबादी की तुलना में काफी कम है। यही वजह है कि मरीजों को इलाज के लिए दूसरे राज्यों का रूख करना पड़ता है। इसके अलावा राज्य में स्पेशलिस्ट डॉक्टर भी पर्याप्त संख्या में नहीं है। जिसका खामियाजा सिटी के मरीज भुगत रहे है।

दो मिनट में दवा लिख रहे डॉक्टर

हास्पिटलों में इलाज के लिए मरीज काफी संख्या में पहुंचते हैं। ऐसे में डॉक्टरों की कमी का खामियाजा मरीजों को भुगतना पड़ता है। इतना ही नहीं, मरीजों को इलाज कराने के लिए घंटों इंतजार करना पड़ता है। इसके बावजूद मरीजों का इलाज ढंग से नहीं हो पाता। वहीं ओपीडी में आने वाले मरीजों को भी डॉक्टर डेढ़ से दो मिनट का समय ही दे पाते हैं। इसमें मरीजों को देखने और दवाएं लिखने का टाइम भी शामिल है।

वर्जन

राज्य में डॉक्टरों की बहाली होनी चाहिए। अभी पूरे राज्य में 1400 रजिस्टर्ड डॉक्टर है। जिनके कंधों पर लाखों मरीजों के इलाज की जिम्मेवारी है। सरकार इसे लेकर गंभीर नहीं है। सिटी में भी डॉक्टर केवल मेडिकल कॉलेज की वजह से है। नहीं तो मरीजों को इलाज कराने में पसीना छूट जाएगा। अगर डॉक्टरों की बहाली कर दी जाती है तो व्यवस्था पटरी पर आ जाएगी।

-डॉ। विमलेश सिंह, सेक्रेटरी, झासा