रांची: परिवार के बीच आपसी विवाद आम बात है। लेकिन यही विवाद कभी-कभी बड़ा रूप ले लेता है, और मामला थाने की चौखट तक पहुंच जाता है। लेकिन बड़ी बात यह है कि परिवार को टूटने से बचाने की कवायद कब और कैसे शुरू होती है। इस दिशा में रांची की महिला थाना की भूमिका काफी अहम है। महिला थाना में इन दिनों आपसी विवाद के मामले काफी तेजी से आ रहे हैं, इसमें ज्यादातर मामले एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर के होते हैं। इसमे भी पुलिस की प्राथमिकता परिवार को बचाने की ही होती है। राजधानी रांची में बीते तीन महीने में पारिवारिक विवाद के लगभग 350 मामले आए। इसमें महिला पुलिस की तत्परता से 200 परिवारों को टूटने से बचाया गया। वहीं 19 मामलों में केस दर्ज किए गए हैं, जबकि अन्य मामलों में पुलिस ने मध्यस्थता के लिए समय दिया है। इस दौरान काउंसिलिंग के माध्यम से परिवार के सदस्यों को समझाने का प्रयास किया जाता है। महिला थाना प्रभारी के अलावा कुछ काउंसेलर भी हैं, जो इस काम में पुलिस की मदद करते हैं।

कोरोना काल में बढ़े केसेज

महिला थाना में बीते दिनों की अपेक्षा इन दिनों कुछ ज्यादा ही मामले आ रहे हैं। हर दिन पांच से सात नए केसेज थाने पहुंच रहे हैं। इन मामलों में काउंसिलिंग कर मध्यस्थता कराने का प्रयास किया जाता है। दरअसल कोरोना काल में कई लोगों का कारोबार ठप पड़ गया। फैमिली में फाइनांशियल कंडिशन बिगड़ने से भी खटपट शुरू हो गई। घर की लड़ाई कब और कैसे पुलिस स्टेशन पहुंच जाती है। ये लोग भी नहीं समझते पाते हैं। हालांकि इसमें कई ऐसे परिवार हैं जो पुलिस के समझाने पर समझ जाते हैं और अपने परिवार को बचाने में सहयोग करते हैं। वहीं कुछ ऐसे भी हैं जो शादी के बाद एक्स्ट्रा अफेयर रखने के कारण साथ रहना ही नहीं चाहते, उस कंडीशन में पुलिस केस फाइल कर देती है, जिसके बाद कोर्ट से निबटारा होता है।

घरेलू विवाद के हैं कई कारण

एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर, शादी का झांसा देकर यौन शोषण, शराब पीकर मारपीट, दहेज उत्पीड़न आदि ऐसे मामले हैं जिसके केसेज ज्यादा आते हैं। इसके अलावा छोटी-मोटी बात पर मारपीट, गाली-गलौज के कारण साथ नहीं रहने के मामले भी थाने पहुंचते हैं, जिसपर महिला थाने की ओर से गंभीरता पूर्वक समाधान निकाला जाता है। महिला थाना प्रभारी श्रीति कुमारी कहती हैं हमारी प्राथमिकता लोगों के घरों को जोड़ने की होती है न की तोड़ने की। सबसे पहले पति-पत्‍‌नी दोनों को बैठा कर समझाया जाता है। काउंसिलिंग में उनके अंदर भरे गुस्से को निकाल कर प्यार भरना होता है। हस्बैंड-वाइफ के बीच मध्यस्थता सक्सेस होने पर हम लोगों को भी सुकून मिलता है।

समझाने पर साथ रहने को तैयार हुए मेरे हस्बैंड

महिला थाने में आई एक युवती ने खुद से केस क्लोज कराने की बात कही। उसने बताया कि मेरे हस्बैंड मुझे छोड़ कर चले गए थे। जिसके बाद मुझे काफी परेशानी हुई। मैं जहां रहती थी वहां के हाउस ओनर ने भी मुझे घर खाली करने को कहा। मेरे पास पैसे भी नहीं थे। हार कर महिला थाने आकर शिकायत की। थाने से मुझे काफी सपोर्ट मिला। मेरे पति को पुलिस ने नोटिस भेजा जिसके बाद वे वापस लौटे। पुलिस के समझाने के बाद अब वे मेरे साथ रहने को तैयार हैं। पुलिस की ओर से बांड भरवा कर दोनों को घर भेज दिया गया।

कई तरह के केसेज थाने में आते हैं। कभी-कभी पूरा दिन सिर्फ काउंसिलिंग में ही निकल जाता है। कुछ केसेज में लोगों को समझाना भी मुश्किल होता है। लेकिन बार-बार के प्रयास के बाद सफलता मिल ही जाती है। हालांकि, कुछ ऐसे भी मामले आते हैं जो काउंसिलिंग के बाद भी साथ रहने को तैयार नहीं होते, उस स्थिति में केस दर्ज कर आगे की कार्रवाई की जाती है।

-श्रीति कुमारी, महिला थाना प्रभारी