रांची(ब्यूरो)। सिटी के यूथ नशे की जद में फंसते जा रहे हैं। लड़के-लड़कियां सभी नशे की गिरफ्त में कैद हो रहे हैं। हर चौक-चौराहे पर लड़के-लड़कियों का ग्रुप खड़ा होकर स्मोकिंग समेत अन्य नशे का सेवन करते हैं। सबसे बुरा हाल राजधानी के ऐतिहासिक मोरहाबादी मैदान का है, जहां पूरे दिन लड़के-लड़कियों का जमावड़ा लगा रहता है। वहीं शाम ढलते ही इस स्थान पर मेला सा लग जाता है, जहां 90 परसेंट लड़के-लड़कियां इस जगह पर स्मोकिंग करने ही पहुंचते हैं। युवाओं में नशे की लत ऐसी लगी है कि वे अपना भविष्य भी नहीं देख रहे हैं। आलम यह है कि नशे की लत छुड़ाने के लिए युवाओं को सीआईपी यानी केंद्रीय मन: संस्थान भेजा जा रहा है। संस्थान के निदेशक बताते हैं कि बीते दो महीने में 1500 से अधिक युवा नशे की लत छुड़ाने आ चुके हैं। यह डाटा बताता है कि युवा किस तेजी से नशे के आदी हो रहे हैं। हर महीने करीब 700 युवा नशे के दलदल में फंस रहे हैं। चिंताजनक स्थिति यह है कि इनमें 65 परसेंट युवा हैं, जिनकी उम्र 18 साल से 28 साल के बीच है।

नशे के रोगियों में 40 परसेंट वृद्धि

सीआईपी के चिकित्सक का कहना है कि हाल के दिनों में नशे की लत वाले लोगों की संख्या में 40 फीसदी का इजाफा हुआ है। 2021 में संस्थान के नशा मुक्ति केंद्र में 1500 नए मरीजों का इलाज हुआ था, 2022 में यह संख्या 2300 के पार पहुंच गई है। वहीं इस साल सिर्फ पांच महीने में ही 1500 नए मरीज आ चुके हैं। वहीं हर महीने करीब पांच से छह हजार मरीज फॉलोअप के लिए आते हैं। नए मरीजों में 40 से 50 फीसदी 30 साल से नीचे वाले एजग्रुप के हैं। इनमे अब शराब की लत वालों की संख्या के बराबर दूसरे नशे के आदी लोग भी आने लगे हैं, जिसमें ब्राउन शुगर, चरस, गांजा, इंजेक्शन आदि का नशा करने वाले भी हैं। संस्थान में सिर्फ नशेडिय़ों के इलाज के लिए 70 बेड हैं, जो हमेशा फुल रहते हैं।

नशे के लिए कर रहे क्राइम

सबसे खतरनाक स्थिति यह है कि वे नशे की लत पूरी करने के लिए अपराधों को भी अंजाम देने लगे हैं। नशे की बढ़ती प्रवृति ने शहर में अपराध का ग्राफ बढ़ा दिया है। नशे की लत को पूरी करने के लिए नशेड़ी हद को पार कर जाते हैं। वे घृणित अपराध करने से भी बाज नहीं आते हैं। चोरी, छिनतई और घरेलू ङ्क्षहसा वारदात का मुख्य कारण बना हुआ है। वहीं युवा मौज-मस्ती और महंगे शौक और नशे की लत को पूरी करने के लिए अपराध की राह पकड़ रहे हैं। शहर में हाल के दिनों में छिनतई और चोरी में पकड़े गए युवाओं ने पुलिस के सामने पूछताछ में कुछ ऐसा ही बयां किया है। कुछ माह पहले मोबाइल, पर्स और चेन छिनतई में पकड़े गए 13 युवाओं ने पुलिस को बताया कि नशे के शौक ने उन्हें अपराध करने के लिए मजबूर कर दिया। इसमें कुछ ने पढ़ाई छोड़ दी थी और कुछ पढ़ाई कर रहे थे। ये सभी ब्राउन शुगर और गांजा की लत को पूरा करने के लिए छिनतई को अंजाम दे रहे थे।

हेरोइन, कोकीन, ब्राउन शुगर का भी नशा

सीआईपी के ड्रग डिएडिक्शन सेंटर के डॉ। रोशन वी खनंडे ने बताया कि जो लोग विमुक्ति केंद्र पहुंच रहे हैं, उनमें ज्यादातर में शराब-तंबाकू के अलावा गांजा, हेरोइन-कोकीन, ब्राउन शुगर की लत देखी जा रही है। इसके अलावा डेंड्राइट, सुलेशन-व्हाइटनर सूंघने समेत नशे की गोलियां खाने की लत से भी पीडि़त हैं। उन्होंने बताया कि परिजनों से बातचीत में ये बातें सामने आ रही हैं कि नौकरी, करियर, पारिवारिक झगड़ा के तनाव से बाहर आने के लिए लोग नशे का सेवन कर रहे हैं। वहीं युवा शौकिया तौर पर इसकी शुरुआत करते हैं, फिर वे एडिक्ट हो जाते हैं। जब नशा हद से ज्यादा बढ़ जाता है, तो वे उल्टी सीधी हरकत करना शुरू कर देते हैं, जिसके बाद उनके पेरेंट्स इलाज के लिए संस्थान लेकर आते हैं।

महिलाएं भी नशे की आदी

नशे की लत से न सिर्फ पुरुष, बल्कि महिलाएं भी परेशान हैं। डॉक्टरों के अनुसार, पुरुषों की ही तरह महिलाएं भी लगभग सभी तरह के नशे की आदी होती जा रही हंै। हालांकि, नशा विमुक्ति केंद्र में नशे की लत छुड़ाने पहुंच रही महिलाओं की संख्या काफी कम है। 15 पुरुषों में 1 महिला अपनी काउंसिलिंग और दवा के लिए सेंटर पहुंच रही हैं। बीते दो माह में करीब 102 महिलाएं इलाज के लिए सेंटर आई हैं।