रांची(ब्यूरो)। राजधानी बनने के 20 साल बाद भी कुछ इलाके ऐसे हैं, जहां आज भी बिजली के खंभे नहीं पहुंचे हैं। राज्य अलग होने के बाद से ही रांची में आबादी बढ़ी, नए-नए मुहल्ले बसे। जहां एक हजार लोग रहते थे, वहां की आबादी बढ़कर दस हजार हो गई। सड़क, नाली भी बन गई। लोगों ने अपनी बदौलत बिजली का कनेक्शन भी ले लिया। लेकिन, बिजली विभाग की ओर से सुविधा मुहैया नहीं कराई जा रही है। राजधानी रांची में ही कई मुहल्ले ऐसे हैं, जहां 20 साल में बिजली विभाग खंभा तक नहीं गाड़ पाया। ऐसा नहीं कि डिपार्टमेंट को इसकी जानकारी नहीं। लोकल लोगों द्वारा कई बार विभाग को परेशानी से अवगत कराया गया है। लेकिन विभाग ने इस दिशा में कोई पहल नहीं की। यहां तक कि स्थानीय जनप्रतिनिधि से लेकर सांसद ने भी विभाग को चिट्ठी लिखी है। इसके बाद भी अब तक कोई असर नहीं हुआ। बार-बार आवेदन देकर थक चुके लोग अब खुद से से ही बांस-बल्ली के सहारे बिजली का कनेक्शन ले रहे हैैं। हां, विभाग बिजली बिल जरूर भेज रहा है।

हवा में झूल रहे तार

मुहल्लों और कॉलोनियों में बिजली के खंभे नहीं लगने से लोग बांस और बल्ली के सहारे बिजली के तार खींच कर अपने घरों तक ले गए हैं। खंभे नहीं होने के कारण बिजली के तार हवा में झूलते नजर आते हंै। हल्की सी हवा चलने पर तार टूट कर गिर जाते हैैं। तो वहीं बारिश की वजह से तार टूट कर गिरने से करंट लगने की आशंका बढ़ जाती है। मुहल्ले के लोगों की मानें तो एक दो बार ऐसी घटना घट भी चुकी है। जिसमें जानवर की करंट लगने से मौत हो चुकी है। लोगों के घरों के आस-पास भी तारों का जंजाल नजर आता है। ऐसी स्थिति वार्ड संख्या 33 के राधानगर, गंगानगर इलाकों में बनी हुई है। यहां के लोगों का कहना है बिजली का पोल नहीं रहने से बहुत परेशानी होती है। सड़क पर बिजली का पोल लगा है। वहां से करीब एक किमी अंदर एक भी बिजली का पोल नहीं लगा है। खुद से बांस गाड़ कर तार खींच कर कनेक्शन लिया गया है। विभाग की ओर से तार भी उपलब्ध नहीं कराया गया है। इसका भी इंतजाम यहां रहने वाले लोगों ने ही अपने खर्चे से किया है।

हर महीने जमा करते हैैं बिल

इन इलाकों में रहने वाले सभी के घर में मीटर लगा हुआ है। यहां के लोग बिजली विभाग के कंज्यूमर हैं। सभी को हर महीने बिजली का बिल आता है और सभी समय से इसे जमा भी करते हैं। लेकिन विभाग की ओर से उन्हें सुविधा तक उपलब्ध नहीं कराई गई है। हर छह महीने में बांस और बिजली का तार टूटता रहता है। जिसे बार-बार लोग ठीक कराते हैं। मुहल्ले की समस्या सांसद संजय सेठ भी विभाग में उठा चुके हंै। बिजली के पोल के अलावा पोल में तार लगाने की भी एक समस्या है। कुछ इलाके ऐसे भी हैैं, जहां बिजली के पोल तो लगा दिए गए हैं, लेकिन वहां अबतक बिजली के तार ही नहीं लगाए गए हैं। नामकुम स्थित तेतरी टोली व आस-पास के इलाकों में ऐसी ही स्थिति है। यहां पोल तो है लेकिन तार नहीं है। जिस कारण लोग बिजली का कनेक्शन नहीं ले पा रहे हैं।