रांची(ब्यूरो)। अब अगर रांची में बिजली चोरी करके घर में इस्तेमाल कर रहे हैं तो सावाधान हो जाइए। क्योंकि अब बिजली चोरी करने पर टीम जांच करने घर नहीं जाएगी, बल्कि टीम को खुद ब खुद पता चल जाएगा कि किस घर में चोरी की बिजली का इस्तेमाल हो रहा है। बिजली चोरी और लाइन लॉस पर लगाम लगाने के लिए जेबीवीएनएल एनर्जी अकाउंटिंग कराएगी। इसके लिए सबस्टेशन से लेकर फीडर और लोकल डिस्ट्रब्यूशन ट्रांसफॉर्मर तक मीटर लगाया जाएगा। इससे यह पता चलेगा कि सबस्टेशन से किस फीडर के लिए कितनी बिजली की आपूर्ति हुई। फीडर से इसके अधीन आने वाले लोकल डिस्ट्रब्यूशन ट्रांसफॉर्मर में कितनी बिजली दी गई और उससे कितने कंज्यूमर्स को बिजली आपूर्ति की जा रही है। इसमें आने वाले गैप से यह पता लगाया जाएगा कि कितनी बिजली की आपूर्ति और खपत हो रही है। कितना लाइन लॉस हो रहा है और कितनी बिजली की चोरी हो रही है। इसके साथ ही प्रत्येक ट्रांसफ ॉर्मर के लोड का पता चल सकेगा, ताकि उसके लोड को बढ़ाया जा सके। यह पूरी योजना विश्व बैंक संपोषित है।

रांची में एजेंसी सेलेक्ट

बिजली की अकाउंटिंग करने के लिए रांची एरिया बोर्ड के अधीन रांची, लोहरदगा, गुमला, खूंटी और सिमडेगा जिले का काम जीनस कंपनी को दिया गया है। इसके तहत सबस्टेशन, फ डर और ट्रांसफ ॉर्मर में मीटर लगाया जाएगा। जमेशदपुर और चाईबासा का काम सिक्योर कंपनी को दिया गया है, इसमें कुल 92 करोड़ रुपए खर्च होंगे।

नेशनल एवरेज से ज्यादा लाइन लॉस

झारखंड में लाइन लॉस अब भी करीब 30 प्रतिशत है। जबकि इसका राष्ट्रीय औसत 24 प्रतिशत है। झारखंड में वर्ष 2024-25 तक इसे 15 प्रतिशत तक करने का लक्ष्य रखा गया है। बिजली नुकसान के मामले में झारखंड राष्ट्रीय स्तर पर छठे स्थान पर है। आठ फीसदी से अधिक लाइन लॉस हो रहा है। जेबीवीएनएल को कम से कम 40 करोड़ तक बिजली लॉस झेलना पड़ रहा है। इस ऑडिंटिंग के शुरू होने के बाद जो बेकार की बिजली और चोरी की बिजली का इस्तेमाल किया जा रहा है, वह बंद हो जाएगा। लाइन लास भी कम हो जाएगा।

लाइन लॉस क्यों

झारखंड में लाइन लॉस की कई वजहें हैं, जिसमें 33 केवी लाइन की दूरी अधिक होना है। इससे 1.2 से प्रतिशत तक लाइन लॉस होता है। पुराने वितरण सिस्टम, जिसमें फीडर और डिस्ट्रिब्यूशन ट्रांसफॉर्मर का ओवर लोड होना, डिस्ट्रिब्यूशन तार खुले होने के कारण बिजली की चोरी, हर महीने बिजली चोरी का अभियान चलाने और प्राथमिकी दर्ज होने के बाद भी बिजली चोरी पर पूरी तरह से लगाम नहीं लगाया जा सका है। मीटर बाइपास करके और ग्रामीण शहरी क्षेत्रों में हुकिंग करके बिजली चोरी करना अब भी आम बात है।

फैक्ट फाइल

-राज्य में 200, 100, 63 व 25 केवी, कुल ट्रांसफॉमर्स की संख्या करीब 1,34,349 लाख है।

-राज्य में 33 केवीए के कुल 738 और 11 केवी के कुल 1821 फीडर हैं

-राज्य में 11 केवीए लाइन की कुल लंबाई 7,514,46 किमी है।

-राज्य में 33 केवीए लाइन की कुल लंबाई 12000 किमी है।

-राज्य में 33 एवं 11 केवीए के कुल 552 सबस्टेशन है।

-राज्य के कुल फीडरों में पावर ट्रासंफॉर्मर की संख्या 7418 है।