RANCHI : झारखंड में सड़क हादसे में मारे गए लोगों के आंकड़े काफी भयावह हैं। यहां हर दिन आठ लोग अपनी जान गंवा रहे है। 2016 में यहां हुए सड़क हादसों में 2893 लोगों की मौत हो चुकी है। राष्ट्रीय सड़क सुरक्षा परिषद के सदस्य कमलजीत सोई ने सोमवार को सड़क हादसों को लेकर रिपोर्ट कार्ड जारी किया। उन्होंने बताया कि झारखंड में वैसे 190 ब्लैक स्पॉट चिन्हित किए गए हैं, जहां सबसे ज्यादा सड़क हादसे होते हैं। सिर्फ रांची में ऐसे 45 ब्लैक स्पॉट हैं, जहां सड़कों पर होने वाले हादसों में हर दिन किसी न किसी की जान जा रही है।

सरकार को देंगे रिपोर्ट

कमलजीत सोई ने बताया कि झारखंड का सर्वे कर रहे हैं। सर्वे के जरिए यह जानने की कोशिश की जा रही है कि जिन स्पॉट्स पर सबसे ज्यादा सड़क हादसे हुए हैं, वहां क्या सुधार किए जा सकते हैं, ताकि हादसों की संख्या में कमी लाई जा सके। सड़क दुर्घटना कम करने के कई उपाय हैं, लेकिन सबसे कारगार उपाय गाडि़यों मे स्पीड गर्वनर का इस्तेमाल है। इससे वाहनों की गति सीमा फिक्स्ड हो जाएगी, जिससे काफी हद तक बेलगाम रफ्तार की वजह से होने वाली दुर्घटनाएं काफी हद तक रूक जाएंगी। सर्वे के बाद रिपोर्ट सरकार को सौंपी जाएगी, ताकि वह सड़क हादसों को रोकने के लिए उपाय निकाल सके।

स्पीड गवर्नर के नाम पर मजाक

झारखंड में स्पीड गवर्नर के नाम पर मजाक हो रहा है। यहां बिना अप्रूव वाली कंपनियों के स्पीड गवर्नर वाहनों में लगाए जा रहे हैं। साथ ही इन स्पीड गवर्नर के टेस्टिंग की भी कोई व्यवस्था नहीं है। कमलजीत सोई ने बताया कि सरकार ने वाहनों के लिए स्पीड गवर्नर को अनिवार्य कर दिया है, लेकिन इसे चेक करने के लिए किसी तरह का इंतजाम नहीं किया है। वाहनों में लगे स्पीड गवर्नर के क्वालिटी की न तो जांच हो रही है और न ही उसपर मुहर लगा रही है। ऐसे में यहां वाहनों में स्पीड गवर्नर लगाने के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति ही हो रही है।

सड़कों की डिजाइन सही नहीं कमलजीत सोई ने बताया कि झारखंड में जो सड़कें बनी हैं अथवा बनाई जा रही है, उसकी डिजाइन सही नहीं है। इस वजह से ही यहां की सड़कों पर दुर्घटनाएं ज्यादा हो रही हैं। उन्होंने सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय के 2016 के आंकड़ों का हवाला देते कहा कि 2016 में झारखंड में 5500 सड़क दुर्घटनाएं हुईं, जिसमें जहां 2893 लोगों की जान चली गई वहीं घायलों की संख्या लगभग 4500 थी।

कार एक्सीडेंट होते हैं ज्यादा

झारखंड में कार एक्सीडेंट का आंकड़ा भी तेजी से बढ़ा है। यहां प्राइवेट कारों की वजह से जहां 12 प्रतिशत एक्सीडेंट होते हैं, वहीं कामर्शियल कारों से होने वाले रोड एक्सीडेंट का आंकड़ा 45 परसेंट है। इसकी वजह इन कारों को ड्राइवर का अनट्रेंड व कम पढ़ा लिखा होना है