रांची (ब्यूरो)। फर्जी ड्राइविंग लाइसेंस बनाने का अवैध धंधा अब भी बंद नहीं हुआ है। राजधानी रांची के अलग-अलग इलाकों में इस तरह का अवैध काम जारी है। दरअसल, जब से ऑनलाइन चालान सख्त किया गया है, इसके बाद दलालों को संजीवनी मिल गई है। इन दिनों सिटी की सड़कों पर ट्रैफिक नियमों का सख्ती से पालन कराया जा रहा है। नियमों का पालन नहीं करने वाले लोगों का ऑटोमेटिक चालान काटा जा रहा है। शहर में लगे लगभग सभी कैमरों को अपग्रेड कर दिया गया है, जिसके बाद पहले की अपेक्षा चालान की संख्या में भी बढ़ोतरी हुई है। महज एक महीने के अंदर विभिन्न ट्रैफिक नियमों के उल्लंघन मामले में 50 हजार से अधिक लोगों को चालान किया चुका है। इसे देखते हुए लोग ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने के लिए ऑफिस का चक्कर लगा रहे हैं।

सात हजार में फर्जी लाइसेंस

ट्रैफिक रूल ब्रेक करने वालों पर हो रही कार्रवाई को देखते हुए एक बार फिर से डीटीओ ऑफिस में लाइसेंस बनवाने वालों की भीड़ लग रही है। लेकिन कई लोग फर्जी लोगों के चक्कर में पड़कर फेक डीएल भी बनवा ले रहे हैं। ऐसे कई मामले सामने आ चुके हैं। डोरंडा के रहने वाले अफरीदी कुरैशी के साथ कुछ ऐसी ही घटना घटी है। अफरीदी ने डोरंडा के रहने वाले एक व्यक्ति से लाइसेंस बनवाने के लिए संपर्क किया। उस व्यक्ति ने इसके एवज में सात हजार रुपए भी लिये और फर्जी लाइसेंस बना कर दे दिया। जब नियमों का उल्लंघन करते हुए पुलिस ने अफरीदी को पकड़ा तब जाकर ड्राइविंग लाइसेंस फर्जी होने की बात सामने आई। पुलिस ने जब मशीन में जांच किया तो वह लाइसेंस धनबाद निवासी गुप्तेश्वर तिवारी का निकला। इससे पहले भी कांटाटोली चौक पर चेकिंग के दौरान एक युवक फर्जी लाइसेंस के साथ पकड़ा जा चुका है। वहीं पिस्का मोड़ चौक पर भी युवक के पास फेक डीएल पाया गया था।

झांसे में फंस रहे लोग

सिर्फ राजधानी रांची ही नहीं, बल्कि देश में कहीं भी आप वाहन चलाते हैं तो इसके लिए ड्राइविंग लाइसेंस होना अनिवार्य है। नए मोटर व्हीकल एक्ट लागू होने के बाद इसकी अनिवार्यता और बढ़ गई है। क्योंकि नए एक्ट के अनुसार फाइन की राशि भी दो से तीन गुणा बढ़ा दी गई है। जगह-जगह कैमरे से निगरानी हो रही है। चालान से बचने के लिए ही सही, लोग ड्राइविंग लाइसेंस के प्रति अवेयर हुए हैं। लेकिन फर्र्जी लाइसेंस बनाने वालों के चंगुल में फंसकर लोग फेक डीएल बनवा ले रहे हैं। राजधानी रांची में फर्जी ड्राइविंग लाइसेंस बनाने का गोरखधंधा जोर-शोर से चल रहा है। अब सिर्फ कचहरी ही नहीं, बल्कि डोरंडा, चुटिया, मेन रोड में भी इस प्रकार का काम हो रहा है। कचहरी में चाय बेचने वाले से लेकर आवेदन बेचने वाले, होटल वाले और एजेंट सभी बेखौफ होकर फर्जी लाइसेंस बनाने का काम कर रहे हैं।

प्रशासन का एक्शन नहीं

सिटी में एक ओर धड़ल्ले से फर्जी लाइसेंस बनाया जा रहा है तो दूसरी ओर प्रशासन ऐसे लोगों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं कर रहा है। जिसका नतीजा है कि दलाल बेखौफ और निडर होकर अवैध काम कर रहे हैं। ओरिजिनल ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने में जहां दो से तीन महीने का वक्त लग जाता है, वहीं फर्जी लाइसेंस महीने भर के भीतर ही बनवा कर दे दिया जाता है। सिटी में लाइसेंस बनाने के लिए अलग-अलग रेट फिक्स है। साधारण लाइसेंस यदि बनवाना चाहते हैं तो यह सिर्फ एक हजार रुपए में तैयार हो जाएगा। वहीं, यदि चिप वाला लाइसेंस बनवाना हो तो इसके लिए आपको तीन हजार रुपए चुकाने होंगे। ये डुप्लीकेट लाइसेंस होते हैं और बनवाने वालों को भी पता होता है। वे सिर्फ पुलिस से बचने के लिए डुप्लीकेट लाइसेंस बनवा लेते हैं। वहीं लोगों को अंधेरे में रखकर उन्हें फेक लाइसेंस बनाकर देने का धंधा भी जोर-शोर से चल रहा है। इस तरह के लाइसेंस बनाने के लिए दलाल छह से सात हजार रुपए तक वसूल लेते हैं।

डीएल बनवाने की क्या है प्रक्रिया

ओरिजिनल लाइसेंस बनवाने के लिए आपको कई प्रक्रियाओं से होकर गुजरना पड़ता है। लेकिन फेक लाइसेंस बनाने में इसकी कोई जरूरत नहीं है। आपको न तो किसी तरह के टेस्ट से गुजरना पड़ेगा और न ही फोटो खिंचवाने की जरूरत है। सामान्यत: ओरिजिनल नया लाइसेंस बनवाने के लिए पहले लर्निंग लाइसेंस बनाया जाता है। इसकी वैलिडिटी एक महीने होती है। इसके बाद टेस्ट के प्रॉसेस से गुजरना होता है। फोटो खिंचवाने और टेस्ट देने की प्रक्रिया होती है। तब जाकर मूल लाइसेंस प्राप्त होता है, जिसमें दो से तीन महीने का वक्त लगता है। दूसरी ओर फर्जी लाइसेंस चुटकी बजाते तैयार हो जाता है।

सिटी में 17 हजार फेक डीएल

परिवहन विभाग के अनुसार, सिटी में लगभग 17 हजार लाइसेंस फर्जी हैं। इसका पता तब चला जब वाहन चलाने वाले ट्रैफिक रूल तोड़ते हुए पकड़े गए और ट्रैफिक विभाग द्वारा लाइसेंस जब्त करके उसे सस्पेंड करने के लिए डीटीओ ऑफिस भेजा गया। लेकिन डेटा नहीं मिलने के कारण ऐसे लोगों पर कार्रवाई नहीं हो सकी। इसके बावजूद प्रशासन की ओर से इस दिशा में अब तक कोई सख्त एक्शन नहीं लिया गया है। फर्जी लाइसेंस बनाने का सिलसिला बदस्तूर जारी है। फर्जी लाइसेंस भी बिल्कुल ओरिजिनल की तरह नजर आता है। कोई भी आम इंसान या पुलिस धोखे में पड़ सकता है। लेकिन डेटा मिलाने पर असली और नकली की पहचान हो जाती है। फर्जी लाइसेंस बनवाने वालों में ज्यादा युवा शामिल है। युवा अपना लाइसेंस बनवाने डीटीओ ऑफिस पहुंचते हैं, जहां वे दलाल के चक्कर में फंस जाते हैं। ऑफिस के आसपास मंडराते दलाल युवाओं को गुमराह कर उनका फर्जी लाइसेंस बना देते हैं, बदले में पैसे भी ऐंठ लेते हैं। युवाओं को इसका खामियाजा सड़क पर ट्रैफिक चेकिंग के दौरान उठाना पड़ता है।

लोगों को अवेयर होने की जरूरत है। ऐसे लोगों के चक्कर में न पड़ें। हालांकि, प्रशासन भी समय-समय पर जांच-पड़ताल करता रहता है।

-प्रवीण कुमार प्रकाश, डीटीओ, रांची