रांची (ब्यूरो)। राजधानी रांची की सड़कों पर फास्ट फूड की बाढ़ आ गई है। हर सड़क, हर गली में फूड वैन, ठेले और छोटे-छोटे काउंटर पर फास्ट फूड परोसे जा रहे हैं। इनमें बनने वाला खाना उतना ही हाइजीन है जितना आंख बंद करके रोशनी की तलाश करना है। जी हां, फास्ट फूड के काउंटर पर न तो शुद्धता का ख्याल रखा जा रहा है और न ही फूड मानकों का पालन किया जा रहा है। यही कारण है कि लोग इन काउंटरों पर फास्ट फूड खाकर सेहत खराब कर रहे हैं, बीमार भी पड़ रहे हैं।

बीमारी को दावत दे रहे हैं

आलम यह है कि इन अन हाइजीन खाना ने कैंसर जैसी बीमारी को भी दावत दे दिया है। रिम्स के कैंसर विभाग के डॉक्टरों की मानें तो इन दिनों रिम्स में आंत कैंसर के मरीज ज्यादा आ रहे हैं, जो अन हाइजीन और ज्यादा फास्ट फूड खाने से होता है। डॉक्टरों का मानना है कि अल्ट्रा प्रॉसेस्ड फूड आइटम्स सेहत को ज्यादा नुकसान पहुंचाते हैं। इनमें हानिकारक केमिकल और स्वीटनर होते हैं, जिनसे आंतों के कैंसर का खतरा भी बढ़ता है। अगर आप भी फास्ट फूड खाने के शौकीन हैं तो आपको सावधान हो जाना चाहिए, क्योंकि लंबे समय तक पिज्जा, पास्ता, इंस्टेंट नूडल्स, सूप, पैक्ड स्नैक्स, बर्गर, बिस्किट्स, कोल्ड ड्रिंक्स केक समेत दूसरे अल्ट्रा प्रॉसेस्ड फूड खाने से गंभीर बीमारियों की आशंका 19 परसेंट तक बढ़ जाती है।

हर महीने 10-12 मरीज

रिम्स में हर महीने लगभग 10 से 12 आंत के कैंसर मरीज मिल रहे हैं। समय पर इलाज नहीं कराने से बीमारी बड़ा रूप ले रही है। शुरुआत में अधिकतर लोग इसे बवासीर समझ बैठते हैं जो और ज्यादा बाद में और ज्यादा नुकसान देता है। रिम्स के कैंसर विशेषज्ञ डॉ रोहित झा बताते हैं कि हाल के दिनों में आंत के कैंसर रोगियों की संख्या बढ़ी है। फौरन इलाज ही इस बीमारी से बचने का एकमात्र उपाय है। इसे टालने पर यह खतरनाक होता जाता है। डॉ रोहित कहते हैं कि आजकल की लाइफ स्टाइल काफी बदल गई है। खान-पान के साथ रहन-सहन में भी बदलाव आया है। लोग फास्ट फूड और मिलावटी खाने का अधिक सेवन कर रहे हैं। इससे हर साल रोगियों की संख्या भी बढ़ती जा रही है।

एक ही तेल बार-बार यूज

मिलावटी खान-पान या फास्ट फूड इस बीमारी की असल वजह है। तली हुई चीजें सबसे ज्यादा नुकसान कर रही हैं क्योंकि एक ही तेल में बार-बार फास्ट फूड तला जाता है। बार-बार तेल का प्रयोग होने से वह जहर का काम करता है। यह कैंसर का सबसे बड़ा कारण है। राजधानी रांची में सड़क किनारे जगह-जगह कंडम वाहन का रंग-रोगन कर उसमें फास्ट फूड का काउंटर खोल दिया गया है। इन काउंटरों पर युवाओं और बच्चों की भीड़ लगी रहती है।

जिम्मेवार बने बेपरवाह

जिस डिपार्टमेंट को मिलावट की जांच करने का दायित्व है वह बेपरवाह बन बैठा है। लालपुर, मेन रोड, जेल मोड़, मोरहाबादी, कांके रोड, डोरंडा समेत अन्य इलाकों में सैकड़ों फूड स्टॉल सज रहे हैं। जहां हाइजीन का जरा भी ख्याल नहीं रखा जा रहा। लगभग सभी फूड स्टॉल पर चाइनीज आइटम परोसा जाता है। लोग भी मजे लेकर इसे खाते हैं। लेकिन खाने की क्वालिटी और हाइजीन के बारे में कोई सवाल भी नहीं करता। फूड वैन में बन रहे जायकेदार खानों के पीछे डुप्लीकेट मसाले और मिलावट वाले ऑयल का तड़का होता है, जो लोगों की सेहत बिगाड़ सकता है। सबसे खतरनाक यहां इस्तेमाल होने वाला अजिनोमोटो है, उसमें भी नकली अजिनोमोटो का इस्तेमाल तो खतरे से खाली नहीं है।

कैसे करें बचाव

रेशेदार भोजन करने से आंत बिल्कुल साफ हो जाती है। इसके लिए हरी सब्जियों के अलावा बेल का शर्बत, अमरूद आदि फल का सेवन करना चाहिए। लगातार तैलीय पदार्थ से बने खाद्य सामग्रियों के खाने से चर्बी बढ़ जाती है। ऐसे खाद्य पदार्थों से परहेज करना चाहिए। अगर खानपान पर ध्यान दिया जाए और नियमित व्यायाम किया जाए तो पेट की बीमारियों से बचा जा सकता है।

क्या हैं लक्षण

इस बीमारी में मल मार्ग से खून आना सबसे बड़ा लक्षण है। खून आते ही लोग इसे बवासीर समझ बैठते हैं। इसकी जांच में पता चलता है कि यह बीमारी आंत के कैंसर से जुड़ी है। पेट में गांठ और लगातार वजन कम होने को भी हल्के में नहीं लेना चाहिए। ऐसे किसी भी संकेत को गंभीरता से लेना चाहिए।

कब्जीयत की समस्या है तो इसे नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। फास्ट फूड और तैलीय पदार्थो का लगातार सेवन करने से आंत के कैंसर जैसी खतरनाक बीमारी हो सकती है। पेट की शिकायत होने पर फौरन उसकी जांच कराए।

डॉ रोहित, कैंसर एक्सपर्ट, रिम्स