रांची (ब्यूरो)। फायर ब्रिगेड की नई गाडिय़ां मुख्यालय की शोभा बढ़ा रही हैं, जबकि कंडम गाडिय़ों से आग बुझाने का प्रयास विभाग द्वारा किया जा रहा है। नतीजतन आग पर काबू पाने में काफी समय बर्बाद हो जाता है। इस कारण नुकसान भी बढ़ जाता है। वहीं यह विभाग भी डेड एसेट्स रखने के मामले में दूसरों से पीछे नहीं है। अग्निशमन के चार स्थानों पर स्वतंत्र फायर स्टेशन हैं। इन सभी जगह दो या उससे अधिक अग्निशमन वाहन बेकार अवस्था में पड़े हुए हैं। इन वाहनों को खुले में खड़ाकर दिनोंदिन और अधिक कंडम बनाया जा रहा है। वहीं, सिर्फ फायर ब्रिगेड की गाडिय़ां ही नहीं, बल्कि अफसरों के चलने वाले वाहन भी मुख्यालय में कबाड़ हालत में पड़े हुए हैं। डीजे आईनेक्स्ट के अभियान हमारे पैसे की बर्बादी क्यों में आज अग्निशमन विभाग में एसेट्स की बर्बादी का दास्तान।

टेक्नोलॉजी की भारी कमी

राजधानी रांची के पांचों स्टेशन बदहाली के दौर से गुजर रहे हैं। आग बुझाने वाला यह विभाग खुद परेशानियों और मुसीबतों की चिनगारी से जूझ रहा है। सड़क पर अचानक घंटी बजाती दमकल की गाडिय़ां तेजी से गुजरती हैं तो लोगों को यह समझने में देर नहीं लगती कि कहीं पास में आग लगी है। लेकिन आग को बुझाने वाला अग्निशमन विभाग बीते कुछ सालों से राज्य सरकार की लापरवाही और उदासीनता की आग से झुलस रहा है। अपडेट मशीनें, फायर ब्रिगेड गाड़ी, टेक्नोलॉजी, मानव संसाधन समेत तमाम परेशानियों का सामना इस विभाग को करना पड़ रहा है। बदलते समय में आज भी अग्निशमन विभाग परंपरागत तरीके से ही आग पर काबू पाने का प्रयास कर रहा है।

सिर्फ कहने को 5 स्टेशन

बुंडू समेत राजधानी रांची में कुल पांच फायर स्टेशन हैं, जो राजेंद्र चौक, आड्रे हाउस, पिस्का मोड़ और धुर्वा में मौजूद हैं। अलग-अलग इलाकों में आग लगने पर इन स्टेशनों पर घंटी बजती हैं, जिसके बाद फायर अफसर गाड़ी लेकर आग बुझाने निकल पड़ते हैं। सिर्फ राजेंद्र चौक स्थित मुख्यालय छोड़कर अन्य कहीं भी अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस फायर ब्रिगेड वाहन नहीं हैं। एक वाहन है तो वह भी सिर्फ मुख्यालय की शोभा बढ़ा रहा है। इसका इस्तेमाल अबतक एक बार भी नहीं किया गया है। इस मशीन से फोम और पानी दोनों निकलने की सुविधा है। वहीं अन्य वाहनों से सिर्फ पानी की बौछार की जाती है। मुख्यालय में दो दमकल वाहन कबाड़ हालत में हैं। वहीं एक छोटा वाहन भी यहां पड़े-पड़े सड़ गया। इसके अलावा आडे्र हाउस स्थित फायर स्टेशन में भी एक दमकल गाड़ी कंडम अवस्था में पड़ी हुई हैं।

जर्जर दमकल गाडिय़ां

रांची के पांच फायर स्टेशन में करीब 17 दमकल गाडिय़ां हैं। लेकिन सभी की हालत जर्जर हैं। एक फोम टेंडर है, एवं एक हाइड्रोलिक टेंडर भी है। जिसका इस्तेमाल नहीं के बराबर हुआ है। सिटी में आए दिन आगलगी की घटनाएं होती रहती हैं। वैसे तो सबसे ज्यादा गर्मी के मौसम में ऐसी घटनाएं होती हैं। लेकिन अन्य मौसम में भी कहीं न कहीं किसी कारण से आग लग जाती है। बुधवार की रात ही रातू रोड स्थित अलकापुरी में आग लग गई। पिस्का मोड़ फायर स्टेशन से दमकल गाड़ी आग बुझाने पहुंची।

अभियंत्रण भवन में भी कबाड़ वाहन

पुराने नगर निगम भवन के समीप स्थित अभियंत्रण भवन में भी आधा दर्जन से अधिक वाहन कंडम हालत में पड़े हुए हैं। सालों से टाटा सुमो, बोलेरो, जिप समेत दूसरी गाडिय़ां यहां हर दिन कबाड़ हो रही हैं। इनकी वैल्यू दिनोंदिन घटती जा रही है। समय रहते इन वाहनों का ऑक्शन कर दिया गया होता तो इनकी वैल्यू मिल जाती, जिससे सरकार को रेवेन्यू में भी इजाफा हो सकता था। यह किसी एक विभाग की कहानी नहीं बल्कि हर सरकार ऑफिस, डिपार्टमेंट व अन्य स्थानों पर पब्लिक प्रॉपर्टी इसी तरह बर्बाद की जा रही है।

ऑक्शन की प्रक्रिया खत्म हो चुकी है। अब इंटरनेट पर ही कंडम वाहनों की डिटेल डाल दी जाती है। सभी कंडम वाहनों की जानकारी नेट पर दी गई है।

-जितेंद्र तिवारी, एफएसएम, डोरंडा