RANCHI: हौसलों को लगे पर, हर मंजिल कर लेंगे फतह। किसी की आंखों में लेक्चरर बनने का सपना झलक रहा है, तो कोई आइएएस बन कर देश सेवा के लिए व्याकुल दिख रहा है। जी हां, रांची यूनिवर्सिटी के दीक्षांत मंडप का रविवार को कुछ ऐसा ही नजारा था। मौका था रांची कॉलेज की पहली ग्रेजुएशन सेरेमनी का। यहां क्ख्8ब् डिग्रियां बांटीं गई। इनमें से 8क् स्टूडेंट्स गोल्ड मेडल से नवाजे गए। चीफ गेस्ट वीसी डॉ रमेश पांडेय, हायर एंड टेक्नीकल एजुकेशन डिपार्टमेंट के सेक्रेट्री अजय कुमार सिंह, रांची कॉलेज बोर्ड ऑफ मैनेजमेंट के चेयरमैन प्रो एमके सिंह, प्रोवीसी एम रजीउद्दीन, रजिस्ट्रार एके चौधरी, कोल्हान यूनिवर्सिटी के पूर्व वीसी सलील राय, पूर्व कुलपति फिरोज अहमद, प्रो केके नाग, रांची कॉलेज के प्रिंसिपल यूसी मेहता सहित तमाम डिपार्टमेंट के डीन, फैकल्टी, को ऑर्डिनेटर, स्टूडेंट्स और पैरेंट्स मौजूद थे। मालूम हो कि ग्रेजुएशन और पोस्ट ग्रेजुएशन में ख्09ख् स्टूडेंट्स पास आउट हुए थे, जिसमें से क्ख्8ब् ने डिग्री के लिए अप्लाई किया था।

बोले गेस्ट्स

जो डिसीजन लेगा, वही जीतेगा

आरयू के रजिस्ट्रार अमर कुमार चौधरी ने कहा कि रांची कॉलेज रांची यूनिवर्सिटी की शान है। यहां से पढ़ाई पूरी कर निकले स्टूडेंट्स की अलग ही पहचान है। स्टूडेंट्स से उन्होंने कहा कि सफलता के लिए विजन, मिशन और ऑब्जेक्टिव डिफाइन करें। जो डिसीजन लेता है वही जीत हासिल करता है।

कड़ी मेहनत सफलता की कुंजी

प्रोवीसी एम रजीउद्दीन ने कहा कि हार्डवर्क का परिणाम है कि आज उन्हें यहां बैठने का मौका मिला है। कड़ी मेहनत ही सफलता की कुंजी है। चरित्र निर्माण पर जोर देते हुए उन्होंने कहा कि कैरेक्टर, लिबरल, हंबल और काइंडनेस के बिना आप एक अच्छे लीडर नहीं बन सकते है, इसलिए जरूरी है कि ऐसी क्वालिटी को हमेशा अपने साथ रखें और ज्ञान की खोज और विस्तार में हमेशा प्रयासरत रहें।

मंजिल मिलने तक अडिग रहें

टेक्नीकल एंड हायर एजुकेशन डिपार्टमेंट के सेक्रेट्री अजय कुमार सिंह ने कहा कि स्टूडेंट्स दिल से निर्णय लें। आपको जो अच्छा लगे वही करें। दूसरे के कहने पर कभी जीवन की दिशा दशा तय नहीं करें। आप जिन चीजों को चाहते हैं, उनसे प्यार करें यही सफलता का मुख्य कारक भी है। अपने फैसले पर तब तक अडिग रहें, जब तक मंजिल नहीं मिल जाए।

मुश्किलों का डटकर सामना करें

आरयू के वीसी प्रो रमेश पांडेय ने कहा कि लाइन एक लंबी यात्रा है। जीवन को अपने अंदाज में एंजॉय करें और अपने गोल को अचीव करें। उन्होंने कहा कि अपने इंस्टीट्यूशन पर ट्रस्ट करें और इंस्टीट्यूशन के फेथ पर खुद को साबित करके दिखाएं। जीवन में मुश्किलों से कभी नहीं घबराएं बल्कि डटकर उसका सामना करें। स्टूडेंट्स से उन्होंने कहा कि टाइम लिमिट है, सो सही समय में सही डिसीजन लें और टाइम का सदुपयोग हार्डवर्क के रूप में करें। लास्ट में उन्होंने हौसलाफजाई करते हुए छात्रों को गुरुमंत्र दिया कि आत्मविश्वास, आत्मज्ञान और आत्मसंयम ही परमशांति प्रदान करता है।

क्या कहते हैं गोल्ड मेडलस्टि

मैं बेस्ट एजुकेटर बन कर समाज में शिक्षा का अलख जगाना चाहती हूं। यदि आप ईमानदारी से हार्डवर्क करते हैं, जो निश्चय ही सफलता कदम चूमेगी।

खुशबू, पीजी जूलॉजी

मेरी सफलता के पीछे मेरे टीचर्स और दोस्तों का साथ है। यदि आप अपनी क्षमता का इस्तेमाल ईमानदारीपूर्वक करें, तो सफलता मिलेगी ही।

साकेत कुमार, पीजी फिजिक्स

लक्ष्य तय करें और कभी हिम्मत न हारें। आपने ईमानदारी पूर्वक मेहनत की है तो सफलता जरूर मिलेगी, हां देर हो सकती है।

गिरिधारी बेरा, पीजी उडि़या

मैं प्रोफेसर बनना चाहता हूं। हिन्दी में मुझे गोल्ड मेडल मिला है, इसके पीछे मुख्य राज यह है कि मैंने कभी ब्रेक डाउन नहीं किया। टीचर्स के बताए रास्तों पर चला और सफलता आज मेरी मुट्ठी में है।

रवि रंजन बिलुंग, पीजी हिन्दी

मैं प्रोफेसर बनना चाहती हूं, और मेरा यह प्रयास तब तक जारी रहेगा, जब तक मैं इसे हासिल न कर लूं। एक लक्ष्य रखें और उसके लिए लगातार प्रयास करें।

कविता कुमारी, हिस्ट्री एमए

मेरा लक्ष्य प्रोफेसर बनना है। शिक्षा के माध्यम से ही अपने लक्ष्यों को प्राप्त किया जा सकता है। मेरी सफलता का श्रेय शिक्षक और परिवार के सदस्यों को जाता है।

जया अल्तमस, इकोनॉमिक्स एमए